सलमान इस रेस में नहीं जीत सके दर्शकों का दिल
– साधना अग्रवाल
फिल्म – रेस 3
निर्देशक- रेमो डिसूजा
अभिनय -सलमान खान, अनिल कपूर, जैकलीन फर्नांडीज,बाॅबी देओल, डेज़ी शाह, साकिब सलीम, फ्रेडी दारुवाला
संगीत -सलीम सुलेमान
गीत – कुमार, सलमान खान, हार्दिक आचार्य, शब्बीर अहमद, श्लोके लाल
अवधि-160 मिनट
रेटिंग -1.5 स्टार
फिल्म रेस सीरीज की यह तीसरी कड़ी है लेकिन इसमें कुछ बदलाव किए गए हैं जिसमें पहली बार सलमान खान नजर आ रहे हैं या इसे यूं भी कह सकते हैं कि इस बार पूरी कास्ट ही बदल गई है, सिवाय अनिल कपूर के। पिछली दोनों रेस में दो भाई होते थे और दोनों की आपसी दुश्मनी में दोनों हीरोइनें टकराती थीं। उनमें भी अनिल कपूर थे तो जरूर लेकिन मात्र एक फिलर की भूमिका में। सलमान खान हर साल ईद के अवसर पर दर्शकों को ईदी के रूप में अपनी फिल्म देते हैं चाहे वह ‘वांटेड’ हो, ‘बजरंगी भाई जान’ हो या फिर ‘एक था टाइगर’ और ये सभी फिल्में 100 करोड़ से ज्यादा के क्लब में शामिल होकर ब्लाॅकवास्टर फिल्में बन चुकी हैं। दूसरा बदलाव इसका निर्देशन में हुआ है। इस बार अब्बास मस्तान की जगह रेमो डिसूजा ने जिम्मेदारी संभाली है। अभी तक हमें रेमो डिसूजा के निर्देशन में बनी फिल्मों में डांस देखने को मिलता था लेकिन इसमें एक्शन मुख्य है। इस फिल्म में धोखा है, षड़यंत्र है, थ्रिलर है, लड़ाई-झगड़ा है, ईर्ष्या-द्वेष है, रोमांच है, डबल क्रास करते लोग हैं, सस्पेंस है, एक्शन है, ट्विस्ट और टर्न है, रफ्तार है , गोली बारी है, स्टंट है, यानी वहीं सब कुछ जो पहले भी था। जो दिखता है वह हमेशा सच नहीं होता के इर्द-गिर्द रेस 3 की कहानी घूमती है।यह रेस जिंदगी की रेस है जो किसी की जिंदगी लेके ही खत्म होगी।
दरअसल रेस 3 की कहानी एक परिवार के चारों ओर घूमती है जिसका मुखिया शमशेर सिंह (अनिल कपूर) है। शमशेर अवैध तरीके से अल-शिफा द्वीप में हथियार सप्लाई का काम करता है।वह चाहता है कि वह अपना धंधा भारत में भी शुरू कर सके लेकिन अपराधी होने के कारण वह ऐसा नहीं कर पाता। उसके खिलाफ कई लोग हैं।राणा (फ्रेडी दारुवाला) उसका प्रतिद्वंद्वी है। सिकंदर (सलमान खान) शमशेर का सौतेला बेटा है। अपने पिता की मृत्यु के बाद सिकंदर और शमशेर के जुड़वां बच्चे सूरज (साकिब सलीम) और संजना (डेज़ी शाह) भी शमशेर के साथ काम तो करते हैं लेकिन जायदाद के लिए लड़ाई- झगड़ा भी है क्योंकि मामला अरबों खरबों की सम्पत्ति का है। संजना और सूरज सिकंदर को कोई हिस्सा नहीं देना चाहते जबकि आधी जायदाद का मालिक सिकंदर है। परिवार के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है। यश (बाॅबी देओल) बिजनेस को लेकर चिंतित है ।वह कहता है कि बिजनेस में जितने दुश्मन कम हों, बिजनेस उतना ही बढ़ता है।
इस फिल्म में सलमान खान के फैंस सलमान को देखकर निराश होंगे। कहने को तो वह इसके केन्द्र में हैं लेकिन दर्शकों से उनका कोई कनेक्शन होता दिखाई नहीं देता। इसमें सबसे मजबूत जो लगता है वह हैं अनिल कपूर। बाॅबी देओल, जो इतने सालों बाद किसी फिल्म में नजर आए हैं और अहम भूमिका में लेकिन वह कोई खास काम नहीं कर पाए। हालांकि उनके रोल से फिल्म में ट्विस्ट आया है लेकिन प्रभावित नहीं कर पाते जैसे चाय कम पानी ज्यादा। जैकलीन फर्नाडीज और डेज़ी शाह खूबसूरत तो लगी हैं लेकिन अभिनय के नाम पर शून्य।
अल्लाह दुहाई गाना , जो रेस में पिछली दोनों बार भी था, को शामिल किया गया है और इस वजह से थोड़ी जान आ गई है वरना इसका गीत-संगीत बेहद कमजोर है। सेलफिश गाना जिसे सलमान खान ने लिखा है, वह आपके साथ हाॅल में तो रहता है लेकिन बाहर निकलते ही यह भी दिमाग से बाहर हो जाता है। बाकी कोई भी गाना अपना प्रभाव नहीं छोड़ता।
इस फिल्म की बेवजह लंबाई बढ़ाने की तुक समझ नहीं आती। यही कारण है कि पूरी फिल्म को झेलना मुश्किल हो जाता है। पहला हाफ तो किरदारों का परिचय देने में ही निकाल दिया है। कहानी बेहद उलझी हुई है। संवाद भी बेदम हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो स्टंट दिखाने की कोशिश जरूर की गई है लेकिन सलमान खान इस ईद के मौके पर अपने दर्शकों को निराश ही करते हैं।