होमकविताहेमन्त कुमार शर्मा की कविता - मैं बोलता तेरी तर्जुमानी कविता हेमन्त कुमार शर्मा की कविता – मैं बोलता तेरी तर्जुमानी By Editor September 3, 2023 2 205 Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp मैं बोलता तेरी तर्जुमानी है, मेरे शब्द उस अधीरे की कहानी हैं। जो मजदूर बिखरा दिन भर, अन्न पाया बस मुट्ठी भर। मेरे शब्द उसकी मौन बानीं है। राह के दरख़्त सब काट दिये, समतल मग सब पाट दिये। उनकी असमय मौत मेरी जुबानी है। शिक्षा कुछ काम ना आई, सब डूब गई जो की थी पढ़ाई। उस साक्षर की कथा बनानी है। सुंदर पर भीतर से जो काले हैं, गिनती में नहीं और मुॅंह पे तालें है। इन अच्छे बुरों की बात सबको बतानी है। हेमन्त कुमार शर्मा ग्राम – कोना पोस्ट – नानकपुर हरियाणा। Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp पिछला लेखडॉ. ममता पंत की कविताएँअगला लेखडॉ ममता मेहता का व्यंग्य – मेरे अपने Editor RELATED ARTICLES कविता रश्मि विभा त्रिपाठी की तीन कविताएँ August 31, 2024 कविता अमित कुमार मल्ल की कविता – वक़्त के इशारे August 31, 2024 कविता अनुजीत इकबाल की कविता – बुद्ध प्रेमी हैं August 31, 2024 2 टिप्पणी सुंदर पर भीतर से जो काले हैं, गिनती में नहीं और मुॅंह पे तालें है। इन अच्छे बुरों की बात सबको बतानी है। बहुत अच्छी रचना! जवाब दें धन्यवाद आपका।—–हेमन्त जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें टिप्पणी: कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! नाम:* कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें ईमेल:* आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें वेबसाइट: Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed. Most Popular कविताएँ बोधमिता की November 26, 2018 कहानीः ‘तीर-ए-नीमकश’ – (प्रितपाल कौर) August 5, 2018 ‘हयवदन’ : अस्मिता की खोज May 2, 2021 अपनी बात…… April 6, 2018 और अधिक लोड करें Latest अलका सिन्हा की डायरी पुस्तक ‘रूहानी रात और उसके बाद’ का लोकार्पण और परिचर्चा September 7, 2024 संपादकीय – टीवी बहसों की बेलगाम भाषा September 7, 2024 पुरवाई की उपसंपादक नीलिमा शर्मा को दोहरा सम्मान September 3, 2024 सूर्यकांत शर्मा की कलम से – रंगमंच मनुष्य की सनातन प्रवृत्ति: लक्ष्मीनारायण लाल August 31, 2024 और अधिक लोड करें
सुंदर पर भीतर से जो काले हैं, गिनती में नहीं और मुॅंह पे तालें है। इन अच्छे बुरों की बात सबको बतानी है। बहुत अच्छी रचना! जवाब दें
सुंदर पर भीतर से जो काले हैं,
गिनती में नहीं और मुॅंह पे तालें है।
इन अच्छे बुरों की बात सबको बतानी है।
बहुत अच्छी रचना!
धन्यवाद आपका।—–हेमन्त