आज चेन्नई शहर में प्रख्यात हिंदी साहित्यकार भगवती चरण वर्मा की स्मृति में हिंदी साहित्य की एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। सीमा जौहरी जो भगवती चरण वर्मा की पौत्री हैं और चेन्नई शहर की निवासी है, उनकी भगवती चरण वर्मा स्मृति संस्था और हिंदी विभाग मद्रास विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में 1 सितंबर 2023 को मद्रास विश्वविद्यालय के मरीना कैंप्पस के सभा कक्ष में यह कार्यक्रम संपन्न हुई। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे सूर्य प्रसाद दीक्षित और विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहीं वरिष्ठ साहित्यकार ममता कालिया।
प्रोफेसर बीना बुदकी और डॉ. एम. गोविंदराजन ने भी कार्यक्रम को अपनी उपस्थिति से गरिमा प्रदान की। श्री वशिष्ठ जौहरी सीआरआर/आईआईटी, मद्रास एवं पूर्व महाप्रबंधक ने सभी का स्वागत किया। डॉ. चिट्टी अन्नपूर्णा विभागाध्यक्ष हिंदी मद्रास विश्वविद्यालय भगवती चरण वर्मा को याद करते हुए हिंदी साहित्य तथा साहित्य में हो रहे अनेक प्रगतिशील कार्यों पर नजर डालते हुए विश्वविद्यालय प्रांगण में हो रहे इस भव्य कार्यक्रम में सभी का स्वागत किया।
कार्यक्रम के दौरान सीमा जौहरी द्वारा संपादित पुस्तक भगवती चरण वर्मा स्मृति समकालीन कहानी संग्रह पुस्तक का लोकार्पण भी हुआ। इस कहानी संग्रह में ममता कालिया, सूर्यबाला, चित्रा मुद्गल, प्रहलाद श्रीमाली, अलका सरावगी, सुनीता जाजोदिया जैसे समकालीन कहानीकारों के साथ-साथ प्रवासी कथाकार ज़किया ज़ुबैरी, सुधा ओम ढींगरा एवं हंसा दीप की कहानियां भी संग्रहित हैं।
प्रोफ़ेसर बीना बुदकी ने भगवती चरण वर्मा की कहानियों एवं उपन्यासों में प्रस्तुत राष्ट्रीय चेतना के उदाहरण श्रोताओं के साथ साझा किया। डॉ एम. गोविंद राजन ने भगवती बाबू के बारे में बात करते हुए उनके व्यक्तित्व एवं सर्जना पर प्रकाश डाला।
उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि आचार्य सूर्य प्रसाद दीक्षित ने भगवती चरण वर्मा के सृजन एवं स्मृतियों को श्रोताओं के साथ साझा करते भाव भीनी श्रद्धांजलि अर्पित की । अलका प्रमोद ने भगवती बाबू की कहानियों में चित्रित विभिन्न सामाजिक पहलुओं पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शोध छात्रों ने भी भगवती बाबू पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किया।
डॉ. दीनानाथ सिंह, पूर्व सदस्य-सचिव, नराकास, चेन्नै एवं पूर्व उप महाप्रबंधक, द. रेलवे ने भगवती चरण वर्मा के चित्रलेखा उपन्यास को केन्द्र बनाते हुए उनके उपन्यासों की चर्चा की। बी. एल. आच्छा ने भगवती बाबू की युग चेतना की काव्यधारा पर वक्तव्य देते हुए हरिवंश राय बच्चन जैसे कवियों के साथ उनकी तुलना की।
द्वितीय सत्र की मुख्य अतिथि ममता कालिया ने चेन्नई शहर में ऐसे भव्य कार्यक्रम के आयोजन पर अपनी खुशियाँ व्यक्त कीं। उन्होंने अपने बचपन में पढ़ी भगवती बाबू की प्रायश्चित कहानी ने किस प्रकार से अपने साहित्य यात्रा को आरंभ करने में प्रेरणा दी, उन अनुभवों को श्रोताओं के साथ साझा किया। अंत सीमा जौहरी, जो भगवती बाबू की पौत्री हैं और उनके साथ की कई स्मृतियों को सहेजकर रखी हैं ‘मेरे स्मृतियों में मेरे दादाजी’ विषय लिया और भावुकता के साथ स्मृतियों को श्रोताओं के साझा किया। उन्होंने इस भव्य कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथिय़ों, मद्रास विश्वविद्यालय, तथा नराकास, चेन्नई सदस्य-कार्यालयों से आए अधिकारियों एवं कर्मचारियों, विभिन्न कॉलेजों से आए प्रोफ़ेसरों एवं छात्रों को अपना धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. ए. श्रीनिवासन, राजभाषा अधिकारी, प्र. का. द. रेलवे ने किया