दोहा—
हिन्दी से ही मान है, हिन्दी से अभिमान ।
हिन्दी से ही बन गया, पूरा हिन्दुस्तान॥
रचना —
तन की जान हिन्दी है,वतन की शान हिन्दी है,
सिर्फ़ भाषा नहीं है ये, मधुर यशगान हिन्दी है ।
समूचे विश्व में परचम है ,जिसने आज फहराया,
मचाई धूम जिसने है, हमारी आन हिन्दी है ।
कहीं गीता -कहीं मानस, कहीं भजनों में गाते हैं,
हमारे होंठों पर खिलती हुई, मुस्कान हिन्दी है ।
कितनी सहज-कितनी सरल, मीठी से ये बोली,
हमारे होंठों पर खिलती हुई,मुस्कान हिन्दी है ।
हमारी राजभाषा को बना ,दो राष्ट्रभाषा अब,
हमारा ज्ञान, गौरव,यश और सम्मान हिन्दी है ।