Sunday, September 8, 2024
होमपुस्तकसूर्यकांत शर्मा की कलम से एग्जाम वॉरियर्स पुस्तक की समीक्षा

सूर्यकांत शर्मा की कलम से एग्जाम वॉरियर्स पुस्तक की समीक्षा

पुस्तक : एग्जाम वॉरियर्स लेखक : प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी प्रकाशक : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, दिल्ली मूल्य : 150 रुपए मात्र प्रकाशन वर्ष : 2024 कुल पृष्ठ : 261 आई.एस.बी.एन. नंबर : 978-93- 5743-242-9
परीक्षा एक ऐसा शब्द है जो भारतीय जन मानस में अर्वाचीन,प्राचीन,अतीत,वर्तमान और भविष्य में भी एक मापदंड,बैरोमीटर या फिर दीपस्तंभ की मानिंद रहेगा ही रहेगा।हमारीसंस्कृति में भी यह संस्कार की भांति है।अतःपरीक्षा जीवन में एक पड़ाव और सोपान है जो बार बार आता रहता है ठीक हमारे त्यौहार या उत्सव की तरह।बस दरकार होती है। इसकी सही तैयारी और सकारात्मक सोच की, निरंतरता की,,,और यही प्रक्रिया शिक्षा और अन्य विधाओं की भी तो है।प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को ;मन की बात’ प्रश्न और सुझाव मंजूषा से, एक भारतीय नागरिक ने पूछा कि भारत तो परीक्षा उत्सव और त्योहारों का देश है,तब उसके  बच्चे,किशोर और नौजवान परीक्षा से डर क्यों रहे हैं?!
बस यहीं से समीक्षित पुस्तक के सृजन का बीजारोपण भी हुआ।वर्तमान नई शिक्षा नीति ने मातृभाषा को प्रश्रय देकर परीक्षा के कुप्रभाव को कम करने में अप्रत्यक्ष रूप से भूमिका निभाई है। तिस पर भी ,युवाओं से बहुल जनसंख्यक समुच्चय को परीक्षा के बारे में सहजता का विश्वास दिलाने वाली सामग्री और शिक्षक अभिभावक और समाज का सक्रिय योगदान की महती आवश्यकता है।
प्रस्तुत पुस्तक जिसके लेखक स्वयं देश के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी हैं,इसी कमी को बेहद नैसर्गिक रूप से पूरा करने की अग्रदूत साबित हुई है।तभी तो देश के विद्यार्थी सहज भाव से परीक्षा को एक निरंतर आने वाले उत्सव और पड़ाव की भांति व्यवहार में ला पाएंगें।प्रस्तुत समीक्षित पुस्तक इसी ओर एक सशक्त और भविष्यदृष्टा प्रयास है।
इस पुस्तक का में यह विचार मूल रूप से कहा गया है कि परीक्षाएं महत्वपूर्ण है लेकिन वह जीवन का एकमात्र पहलू ही हैं।इसके अतिरिक्त जीवन में और भी कई चीजे हैं।एग्जाम वारियर्स में दिए गए विचार युवा मस्तिष्क को कुछ करने के लिए प्रेरित करते हैं और उन्हें अपनी तरीके से जीवन को संवारने में मदद कर सकते हैं।यह विचार अलग -अलग मंत्रों के रूप में दिए गए हैं।दरअसल प्रत्येक मंत्र एक सामान्य सिद्धांत है जो किसी विशेष पहलू पर व्यापक दिशा प्रदान करता है। प्रत्येक मंत्र को यदि हम इन शब्दों में समझें कि प्रत्येक मंत्र चंद्रमा की तरफ इशारा करने वाली उंगली की तरह है ना कि स्वयं चंद्रमा! पुस्तक में संख्या एक से लेकर 28 तक के मंत्र छात्रों के लिए ही हैं,लेकिन यह उन लोगों के लिए भी उपयोगी होंगे जो जीवन को निरंतर सीखने की प्रक्रिया मानते हैं।वहीं पर संख्या 29 से लेकर 34 तक के मंत्र विशेष तौर पर अभिभावकों या माता-पिता के लिए हैं।वस्तुतः यह पुस्तक वर्षों से सोची,चर्चित, विश्लेषित और अनुसंधानित प्रोजेक्ट का सौगात सा परिणाम है। एन बी टी ने इसे अपनी प्रसिद्ध पुस्तक श्रृंखला तरुण भारती के अंतर्गत प्रकाशित किया है।अक्सर इस श्रृंखला के तहत प्रकाशित होने वाली पुस्तकें विद्यार्थी,शिक्षक और शिक्षा सस्थानों हेतु लिखी और प्रकाशित की जाती हैं। वर्तमान संस्करण के 261 पृष्ठों में परीक्षा, विद्यार्थी, अभिभावक, शिक्षक और आमजन सभी प्रभावी घटक रूप में उपस्थित है और इस सारगर्भित विषय से रू ब रू है।
            लेखक ने अपने अनुभव, देश के आम जन,शिक्षा नीति और प्रणाली को सफल रूप से संबोधित  किया है। इस पुस्तक में मूल रूप से परीक्षाओं और परीक्षार्थियों को फोकस में रखा गया है वे परीक्षाओं को किस दृष्टि से देखते हैं और परीक्षार्थियों को किस प्रकार से परीक्षा हेतु तैयारी करनी है और उसके प्रति क्या विचार या नजरिया रखना है। यह सभी इस पुस्तक में सारगर्भित अंदाज में बताए गए हैं। एक्साम वॉरियर्स पुस्तक में एक हिस्सा बच्चों को यानी परीक्षार्थियों को समर्पित है तो दूसरा हिस्सा उनके अभिभावकों यानी माता-पिता को भी समर्पित है लेखक और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने शिक्षकों को भी एक पत्र द्वारा संबोधित कर उन्हें छात्रों के प्रति और अपने प्रति भी संवेदनशील रखने का करने का सफल प्रयास किया गया है। कोरोना महामारी से सफलतापूर्वक लड़ने में विज्ञान और तकनीक की भूमिका अविस्मरणीय रही है और आम भाषा में आपदा में अवसर जैसी कालजयी कार्यसंस्कृति पैदा हुई और व्यवहार में भी आई।
अतःटेक्नोलॉजी का प्रयोग और सभी लोगों को एक साथ लाने का प्रयास एग्जाम वारियर की पहले संस्करण में दिए गए सभी मित्रों को नरेंद्र मोदी एप से जोड़कर विद्यार्थियों को एक प्लेटफार्म दे दिया गया नरेंद्र मोदी आपके माध्यम से ही एग्जाम वारियर्स ने परीक्षा में अपने अनुभवों को दूसरों से साझा किया और यह भी प्रयास किया गया कि विद्यार्थियों ने ऐसे साझा किए गए अनुभव से क्या सीखा? इसके अतिरिक्त एक्साम वॉरियर्स इसके अतिरिक्त एक्जाम वॉरियर्स की मेंटल हेल्थ पर भी फोकस रखने का प्रयास और इसे भविष्य में संचालित  करने की बात इस पुस्तक में की गई है।
यह पुस्तक एक विशेष अंदाज में सोची समझी और लिखी गई है अतः इसे पढ़ने यानी प्रयोग में लाने की विधि भी पुस्तक के शुरू में ही बताई गई है। इस पुस्तक में करें और सीखें करने की तर्ज
 को केंद्र में रखा गया है।तत्पश्चात उसे एक्टिविटी से जोड़ा गया है।इस सीखे गए ज्ञान को एग्जाम वॉरियर्स के कम्युनिटी पेज से भी जोड़ा गया है।ताकि सीखे गए ज्ञान को अन्य से भी साझा कर सीखने की गति,संख्या और गुणवत्ता को अधिकतम परिमाण तक समूचे देश में प्रसारित किया जा सके और परीक्षा को उत्सव और मौसम की भांति समझा जा सकें।
        पुस्तक की सबसे बड़ी खासियत है कि यह पुस्तक होने के साथ साथ विद्यार्थियों, मातापिता और अभिभावक की डायरी भी है अतः यह कक्षा दर कक्षा की पाठ्य पुस्तक अवतार से इतर एक भावनात्मक दस्तावेज है। जिसमें हम अपना अक्स दिनोंदिन और वर्षोंवर्ष देख सकते हैं।
यहां पर राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भी निश्चित रूप से बधाई का पात्र है,यूं भी कोरोना संकट काल जब सभी प्रकाशन गतिविधियां ठप्प पड़ गई थीं। तिस पर भी एनबीटी ने सीरीज विशेष निकाल कर कर्म योग और संस्कृति के बेमिसाल नज़ीर पेश की थी।वर्तमान में यह बेजोड़  पुस्तक प्रकाशित कर इस संस्थान ने अपनी बेजोड़ कार्यसंस्कृति का शानदार उदाहरण पेश किया है।
सूर्य कांत शर्मा
फ्लैट नम्बर B1 Mansarovar apartment
Plot number 3 Sector 5 Dwarka New Delhi 110075
E-mail – [email protected]
Mobile – 7982620596
RELATED ARTICLES

1 टिप्पणी

  1. अच्छी समीक्षा की है आपने सूर्यकांत जी! एकाएक इस पर विश्वास करने को जी नहीं चाहता कि मोदी जी को क्या इतना वक्त मिला वह भी 2023 -24 में कि वे किताब लिख पाते हैं वह भी इतनी महत्वपूर्ण किताब। जिनके लिए श्लोक भी तलाश करना पड़ा होगा!
    बहरहाल लिखी गई है यह तो तय है।
    हमारे लिए भी यह उतनी ही महत्वपूर्ण है जिस उद्देश्य से यह लिखी गई।हम भी इसे पढ़ना चाहेंगे।इसमें दिए हुए श्लोकों में अधिक रुचि रखते हैं हम।
    संस्कृत के नीति श्लोक हमारे जीवन को स्थापित करने के लिए आज भी सक्षम हैं।वे प्रकाश पुंज की तरह है, प्रेरणा श्रोत की तरह हैं।
    हमें तो सबसे बड़ी शिकायत सीबीएसई से ही है। क्योंकि इसमें हिंदी सिर्फ दसवीं तक है अगर हम उसे राष्ट्रभाषा के रूप में देखना चाहते हैं तो यह आवश्यक नहीं है क्या कि उसे 12वीं तक अनिवार्य विषय के तहत रखा जाए?
    प्रधानमंत्री को इस ओर भी ध्यान देना चाहिये।
    इस समीक्षा के लिए आपको बहुत-बहुत बधाइयाँ। वैसे इसे पढ़ते हुए हमें प्रताप नारायण मिश्र का परीक्षा निबंध याद आ गया।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Most Popular

Latest