अंजू केशव की दो ग़ज़लें
आप जब व्यवहार की बातें करें
जानते हैं वो भी सूई की सिफ़त
हक़ दिलाने की हो कोशिश भी कोई
कुछ अलग अपना नज़रिया भी तो हो
बात तूफ़ानों की लहरों की हो क्यों
हाथ पर धर हाथ ये क्या ठीक है
बैठने का हो बहाना साथ बस
जिंदगी नें इस तरह बहला दिया
कामयाबी की न सुनवाई हुई
आ गए सपने खिलौने ले के फिर
मुस्कराए आज हम लगने पे चोट
कह दिखाता तू इधर का है उधर
कर दिया खुश दिन को सूरज दे के और
हसरतें भी डूबतीं जा कर कहाँ
रहनुमाई का हुनर कब सीखते
अंजू केशव
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बेहतरीन ग़ज़लें…..बहुत बहुत बधाई
अच्छी ग़ज़ल है आपकी अंजू जी!
कुछ शेर जो अच्छे लगे-
आप जब व्यवहार की बातें करें
ख़ुद के भी किरदार की बातें करें।
बात तूफ़ानों की लहरों की हो क्यों
क्यों न हम उस पार की बातें करें
बैठने का हो बहाना साथ बस
हम भले बेकार की बातें करें।
2.
जिंदगी ने इस तरह बहला दिया
दर्द में जीना मुझे सिखला दिया
कामयाबी की न सुनवाई हुई
केस मेरा भाग्य नें टहला दिया
आ गए सपने खिलौने ले के फिर
नींद में सर माँ नें जब सहला दिया
मुस्कराए आज हम लगने पे चोट
रब! तेरे नहले पे लो दहला दिया
कर दिया खुश दिन को सूरज दे के और
रात को दीये से ही फुसला दिया
वैसे दूसरी ग़ज़ल ज्यादा अच्छी लगी।
बहुत-बहुत बधाइयाँ आपको।