भारतीय चुनावों में और उससे पहले विपक्ष हमेशा भारतीय जनता पार्टी सरकार पर और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर अंबानी और अडानी को लेकर छींटाकशी करता रहा है। मगर हैरान करने वाली स्थिति तो तब बनी जब विवाह में लालू प्रसाद का पूरा परिवार (लालू, रबड़ी, मीसा और तेजस्वी), स्टालिन परिवार, शरद पवार का परिवार, अखिलेश यादव का परिवार, ममता दीदी, उद्धव ठाकरे परिवार, एकनाथ शिंडे, और कांग्रेस के सलमान ख़ुर्शीद, सचिन पायलट, दिग्विजय सिंह, अभिषेक मनु सिंघवी और कांग्रेस समर्थक कपिल सिब्बल भी हाथ बांधे महराजाधिराज मुकेश अंबानी के दरबार में हाथ बांधे खड़े दिखाई दिये।
हाल ही में यह समाचार पढ़ने को मिला कि भारत के टाटा ग्रुप ऑफ़ कंपनीज़ की कुल संपत्ति 365 अरब डॉलर तक पहुंच गई है। यह उसे भारत की सबसे मज़बूत कंपनी तो बनाती ही है, साथ ही साथ उसकी यह संपत्ति पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी से कहीं अधिक है।
रतन टाटा इतना साधारण जीवन जीते हैं कि भारत के सबसे अमीर व्यक्ति की सूची में उनके नाम के बारे में कभी सोचा ही नहीं जाता। इस मामले में मुकेश अंबानी और गौतम अडानी के बीच ही रस्साकशी चलती रहती है। टाटा ना तो किसी वाद में और ना ही विवाद में।
मुकेश अंबानी की छवि भी एक सादे व्यक्ति की ही थी जो हमेशा सफ़ेद कपड़ों में दिखाई देता है। इससे पहले भी अंबानी दंपत्ति के दो बच्चों का विवाह हुआ मगर किसी की आँखों में चुभा नहीं। अनंत अंबानी की बहन ईशा और भाई आकाश के विवाहों में यदि मुकेश अंबानी ने पानी की तरह पैसा बहाया भी हो, तो भी आम आदमी तक उसकी आँच नहीं पहुंची।
जब भारत में एक महीने तक चुनाव चले तो चुनावों के अंतिम चरण तक पहुंचते-पहुंचते मतदाताओं की रुचि लगभग पूरी तरह से ऊब में बदल चुकी थी। तो भला तीन महीने लंबी चलने वाली शादी की रस्मों में किसी को भी क्या रुचि रहेगी। यहां तो शादी पूरी तरह से बेगाने की है तो भला अब्दुल्ला क्यों दीवाना होगा!
इसे “सदी की शादी” भी कहा जा रहा है। मुकेश अंबानी ने अपने छोटे पुत्र के विवाह को आलीशान बनाने के लिये कोई कसर नहीं रख छोड़ी। भारत का लोअर मिडल क्लास का आम आदमी फ़िल्म नटवरलाल के गीत की तरह सोच रहा होगा – “ये जीना भी कोई जीना है लल्लू!” वैसे अमिताभ बच्चन की एक और फ़िल्म थी ख़ुद्दार, जिसमें वे मुकरी की मूछों को देख कर कहते हैं – “मूंछें हों, तो नत्थुलाल जी जैसी!” चारों ओर लोग सोच रहे हैं – “शादी हो तो अनंत अंबानी जैसी!”
मगर पुरवाई का मानना है कि मुकेश अंबानी को भारत की जनता के सामने मिसाल पेश करनी चाहिये थी। सुनने में आया है (सुबूत तो कहीं से मिल नहीं सकता) कि इस विवाह में मुकेश अंबानी ने लगभग पांच हज़ार करोड़ रुपये ख़र्च कर डाले हैं।
मगर हैरानी की बात यह है कि इतना ख़र्च करने के बावजूद अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज़ को कोई नुक्सान नहीं हुआ। शेयर बाज़ार की ख़बरों के अनुसार शुक्रवार (विवाह वाले दिन) रिलायंस कंपनी को 1.21 अरब डॉलर का लाभ हुआ है। मगर दिल थामे रखिये अभी तो केवल विवाह तक की रस्में हुई हैं। अभी रिसेप्शन तो आज यानी कि रविवार को होने वाला है।
भारतीय चुनावों में और उससे पहले विपक्ष हमेशा भारतीय जनता पार्टी सरकार पर और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर अंबानी और अडानी को लेकर छींटाकशी करता रहा है। मगर हैरान करने वाली स्थिति तो तब बनी जब विवाह में लालू प्रसाद का पूरा परिवार (लालू, रबड़ी, मीसा और तेजस्वी), स्टालिन परिवार, शरद पवार का परिवार, अखिलेश यादव का परिवार, ममता दीदी, उद्धव ठाकरे परिवार, एकनाथ शिंडे, और कांग्रेस के सलमान ख़ुर्शीद, सचिन पायलट, दिग्विजय सिंह, अभिषेक मनु सिंघवी और कांग्रेस समर्थक कपिल सिब्बल भी हाथ बांधे महराजाधिराज मुकेश अंबानी के दरबार में हाथ बांधे खड़े दिखाई दिये।
अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी से पहले की तमाम रस्में पंडित चंद्रशेखर शर्मा की उपस्थिति में हुई हैं। ज़ाहिर है कि विवाह भी उनकी देखरेख में ही हुआ होगा। पंडित जी की फ़ेसबुक से पता चलता है कि वे केवल ज्योतिष और विवाह करवाने वाले पुजारी जी नहीं हैं। वे मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं, पर्सनल कोच भी हैं और आध्यात्मिक मार्गदर्शक भी हैं। पंडित चंद्रशेखर शर्मा का रेट-कार्ड ऑनलाइन उपलब्ध है। वे सामग्री समेत विवाह करवाने के ₹25,000/- चार्ज करते हैं। और विवाह के बाद जब लड़ाईयां होने लगती हैं तो शांति पूजा के ₹50,000/- लेते हैं।
इस महा-विवाह में विदेशों से भी बहुत से महारथी शामिल हुए जिनमें टोनी ब्लेयर, शैरी ब्लेयर, बॉरिस जॉन्सन, पहलवान-एक्टर जॉन सीना, किम कार्दशियन और उसकी बहन, देसी कुड़ी प्रियंक चोपड़ा अपने विदेशी पति निक जोनस के साथ शामिल हुई।
हिन्दी सिनेमा के इतने लोग विवाह में सम्मिलित हुए कि उनके नाम लिखना आसान होगा जो नहीं शामिल थे। अक्षय कुमार कोरोना पॉज़िटिव हो जाने के कारण विवाह में नहीं पहुंच पाए। वैसे शाहरुख़ ख़ान, गौरी ख़ान, सलमान ख़ान, अमिताभ बच्चन का पूरा परिवार, ऋतिक रोशन, क्रिकेट जगत से धोनी और बहुत से अन्य क्रिकेटर वहां दिखाई दिये। सुना है कि कुल 25,000 अतिथि थे। मुकेश अंबानी को तो पता भी नहीं चला होगा कि कौन आया और कौन नहीं आया।
1200 से 1500 ईवेन्ट ऑर्गेनाइज़रों ने मिल कर पूरा आयोजन किया। दस हज़ार के करीब सप्पोर्ट स्टाफ़ है यानी कि 40,000 से अधिक लोगों के लिये एक हज़ार से अधिक व्यंजन परोसे गये। जस्टिन बीबर ने आधे घंटे के लिये लेडीज़ संगीत में गीत गाए। जस्टिन बीबर हॉलीवुड का जाना-मान पॉप सिंगर है। वह एक ऐसा गायक है जो फटी हुई जीन्स अपने धारीदार कच्छे पर इतनी नीची बांधता है कि कच्छे की धारियां दिखाई देती हैं। उसने आधा घन्टा गाने के 83 करोड़ रुपये की मोटी फ़ीस चार्ज की।
समस्या यह भी है कि अंबानी ने अपने जीयो मोबाइल नेटवर्क के दामों में एकाएक वृद्धि का एलान कर दिया है। अब 155 रुपये वाले प्लान की कीमत बढ़ने के बाद 189 रुपये की हो गई है। इस प्लान में कुल 2 जीबी डेटा दिया जाता है। जियो के 209 रुपये वाले प्लान की कीमत बढ़ने के बाद 249 रुपये हो गई है। इस प्लान में हर दिन 1 जीबी डेटा मिलता है।
239 रुपये वाले प्लान की कीमत बढ़ने के बाद 299 रुपये हो गई है। 299 रुपये वाले प्लान की कीमत 349 रुपये कर दी गई है। 349 रुपये वाले प्लान की कीमत बढ़ने के बाद 399 रुपये कर दी गई है। वहीं 399 रुपये वाले प्लान की कीमत को बढ़ा कर 449 रुपये कर दिया गया है। इन सभी प्लान की वैलिडिटी 28 दिनों की है।
आपको बुरा लग सकता है कि पुरवाई का संपादक एक तरफ़ तो हज़ार करोड़ की बात कर रहा था अब अचानक दो सौ, तीन सौ का रोना ले बैठा है। सच तो यह है मित्रो हमारी पत्रिका सेठों की शादियों का संगीत परोसने वाली नहीं है। हम आम आदमी के साथ खड़े होने वाले लोग हैं।
सोशल मीडिया पर तो यह भी मीम चल रहे हैं कि भारत का आम आदमी जो कि जियो मोबाइल नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहा है, अंबानी के बेटे की शादी के ख़र्चे की किस्तें वही अदा कर रहा है। पहले सस्ता नेटवर्क परोस कर अचानक बेटे की शादी के आसपास एकदम दाम 25% से 50% तक बढ़ा देने का और कोई औचित्य तो समझ आता नहीं।
वैसे इन्सान की स्मरण शक्ति बहुत कमज़ोर होती है। जल्दी ही अच्छा-बुरा सब भूल जाता है और आगे बढ़ जाता है। मगर धन का इतना अश्लील प्रदर्शन उसे आने वाले लम्बे समय तक कचोटता रहेगा। हम सब के मन में एक दुआ भी निकलती होगी कि भगवान अमीर चाहे किसी को भी बनाए मगर उसे दिल और सोच रतन टाटा वाली दे!
शानदार आफरीन सर्वोत्तम या कोई और भी शब्द हो तो।यह पत्रकार की कलम की जद है ।यह 360 डिग्री चलनी चाहिए परंतु आजकल ऐसी कलमें और कलम चलाने वाले सरस्वती नदी ही तरह लुप्त हैं। यदि होते हैं तो सत्ता पक्ष या विपक्ष के पैरोकार या सीधी साफ सपाट भाषा में कहिए छुट भैया यह वो पत्रकार हैं, जिनका उद्देश्य कुछ ना कुछ लाभ कमा कर निकल जानाहोता है।
इस बार का संपादकीय आम जन के आंसू और आक्रोश दोनों का संगम है।सत्ता और सियासत तो वारागनाओं का पर्याय बन चुकी है,नतीजा कम मतदान में नजर आया है।
सही कहा है,ममता लालू सिब्बल पवार आज के सियासती जंगल और दंगल के तगड़े प्राणी हैं जो कुछ भी कर सकते हैं ।कमोबेश यही स्थिति सत्ता पक्ष में है।
बात धन की बेजा नुमाइश की।सटीक निडर टिप्पणी।
काश सत्ता पक्ष कुछ ऐसा करे जो फ्री के राशन, लफ्फाजी से इतर आम जन की थाली और गालों की लालिमा को लौटाए।
तेईस जुलाई का बजट इसका एक प्रासंगिक अवसर होगा जिसमें मिडिल क्लास या गरीबों का कितना ध्यान रखा जाता है और उम्मीद है कि इस पर भी एक संपादकीय आएगा पुरवाई के प्रबंधन द्वारा।
जनरंजन संपादकीय के लिए बधाई हो।
विवाह में अश्लीलता का भोंसड़ा प्रदर्शन वह भी भारतीय संस्कृति का छोंक लगाते हुए।
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा, उसके पैसा है पर भारत में हर कोई अपनी वित्तीय वसीयत से बढ़ चढ़ कर विवाह में व्यय करता हुआ। ऐसे नकार प्रदर्शनों के नकारात्मक अनेक पहृलु हों गये पर एक बात तो है ऐसे विवाहों के कारण हीं काफी लोगों को रोजगार मिलता है वरन् इतनी अधिक जनसंख्या कै लिए कितने ही रोजगार कै अवसर पैदा किये जाये कभी पर्याप्त हो ही नहीं सकते।
आज आपके संपादकीय ने शीर्षक को सही की तरह ही लिखा है।हास्य या व्यंग्य का जरा सा भी पुट नहीं है।एकदम टू दि पॉइंट।आपका शीर्षक यह संकेत दे रहा है कि इस बात से आप कितना अधिक क्षुब्ध हैं , आक्रोशित हैं। और आपकी क्षुब्धता और आक्रोश सिर्फ आपका ही नहीं बल्कि इसमें पुरवाई के हर सदस्य का क्रोध और आक्रोश समाया है। जन मानस की पीड़ा है।
हम तो उसके छोटे बेटे की शादी को ही नहीं भूल पाए।रह- रह के गुस्सा आता है।
पर जहाँ पैसा है वहाँ कुछ भी संभव है सर! इतनी लंबी लिस्ट भाजपा के अलावा अन्य पार्टियों के लोगों की! लेकिन हमें जरा भी आश्चर्य नहीं हुआ। वर्तमान की ताकत सिर्फ और सिर्फ पैसा है।
कुछ दिनों से यह सब चर्चा का विषय है,अन्य समूहों में,यूट्यूब में भी ,यही सब कुछ दिखाई दे रहा है।
और रिचार्ज करवाने के जो दाम बढ़े हैं, आपने तो अच्छी खासी लिस्ट निकाल दी। जिओ के दाम बढ़ेंगे यह पढ़ने में आया था, समझ में आ भी रहा था।उसको लेकर व्यंग्य भी पढ़ा।
और आज आपको पढ़कर जाना कि वाकई दाम बढ़ गए हैं। अब तो मन ऐसा कर रहा है कि ऐलान करें, लोगों से रिक्वेस्ट करें, कि सब जिओ को अवॉइड करो।
हम भी 299 रुपए का ही प्लान डलवाते हैं।कल सुबह ही डलवाना है।
एक बात तो है। गुजराती लोगों का दिमाग बिजनेस में बहुत चलता है। अपने हित को लेकर पटाने के सारे आईडिये ये लोग जानते हैं।
रतन टाटा की तुलना तो कहीं से कहीं तक नहीं की जा सकती। अंबानी रतन टाटा के पैरों की जूती में लगी धूल के बराबर भी नहीं।
टाटा को हम जितना अधिक पढ़ते हैं। उतना अधिक सम्मान और श्रद्धा उनके प्रति बढ़ती है।
हमें याद आ रहा है हमारा भांजा जबलपुर में टाटा की किसी कंपनी में शायद इंश्योरेंस का काम करता था। रेलवे एक्सीडेंट से जब उसकी डेथ हुई तो उसकी बॉडी भी नहीं उठी थी और 50 लाख रुपए का चेक आ गया था। जबलपुर के तो थे ही पर भोपाल तक से कंपनी के लोग आए थे अंतिम क्रिया के लिये। बाद में कंपनी में जॉब के लिए उसकी वाइफ को ट्रेनिंग दी फ्री में। और शायद बेंगलुरु में किसी गार्डन में दो माह बाद उसके नाम से वृक्षारोपण किया। उसकी फोटो भेजी थी उस पर अरविंद का नाम लिखा हुआ था। बुलाया भी था इन लोगों को पर ये लोग जा नहीं पाए।
आपका ऐश्वर्य किस काम का कि आप गरीब को एक रोटी ना खिला सको। इतनी भीड़ में,इतने लोगों के बीच में, कोई एक शख्स भी ऐसा नहीं होगा जिसने दुआ दी होगी। किसी एक गरीब का भी पेट भरा होता तो उसकी दुआ हजारों लोगों से मिले हुए गिफ्ट से महत्वपूर्ण होती,पारस की तरह।
Congratulations शब्द ज़बान से निकलता ।पर दुआ दिल से।
खैर……..
हम भी पुरवाई समूह की सोच के साथ सहमत हैं।हिंदुस्तान के सारे गरीबों को अगर खाना खिला दिया होता एक टाइम भी तो सारी दुनिया में नाम हो जाता।
शादी की खुशी में रिचार्ज का पैसा कम कर देते तो उपभोक्ता भी दुआएँ देते। कम से कम वही दुआएँ मिलतीं तो उससे भी गए ।वहाँ से भी सब बद्दुआ ही देंगे।
हमें कई साल पहले की होशंगाबाद की एक शादी याद आ गई। एक सामान्य टीचर थे साहू परिवार में। उनकी लड़की बहुत सुंदर थी किसी लखपति परिवार को वह पसंद आ गई और उन्होंने दोनों तरफ का खर्च उठाकर शादी की। काफी साल हो गए लेकिन फिर भी कुछ ऐसा याद आ रहा है कि उन्होंने सारे शहर को भोजन पर बुलाया था।
एक संपन्न परिवार की शादी ऐसी भी देखी थी जिन्होंने गायत्री मंदिर से शादी की और रात को एक रिसेप्शन किया। ना बेटी वालों ने कोई दहेज दिया न बेटे वालों ने कोई दहेज लिया और रिसेप्शन कर दिया दोनों ने आधे- आधे खर्च में। लड़की के पिता को जो देना था वह उन्होंने फिक्स्ड डिपॉजिट बेटी के नाम करवा दिया। सुबह आए और रात को रिसेप्शन करके वापस भी चले गए। जितना शेष बचा रिसेप्शन के बाद सब नर्मदा घाट पर गरीबों को खिला दिया।
ठीक से याद नहीं आ रहा किस समाज की बात है ?जैन हैं कि सोनी लेकिन तय कर लिया है की शादी में सिर्फ एक मीठा और एक नमकीन होगा एक ही प्रकार की सब्जी होगी चाहे कोई कितना ही अमीर क्यों ना हो और जिसने नियम तोड़ा उसको सामाजिक दंड दिया जाएगा।
सच कहें तो आपने वाकई संपादकीय के माध्यम से आम आदमी के दिल के दर्द को लिख दिया।
शुक्रिया तेजेंद्र जी! आज तो *लिखने को बहुत कुछ है अगर लिखने पे आते* लेकिन अगर क्रोध ज्यादा हो तो संयम जरूरी है सो लेखनी को विराम देते हैं।
संपादकीय को पढ़ना आदत में शुमार हो गया है।लंबे अंतराल के बाद दिल और दिमाग दोनों में हलचल हुई ऐसा लग रहा है।
बहुत बहुत शुक्रिया आपका इस परिश्रम के लिये।
नीलिमा जी एक आर.टी.आई.(अनिल गलगली द्वारा दायर की गई) के जवाब में बताया गया है कि जिस बांद्र-कुर्ला कम्पलेक्स में यह शादी का संजय भंसाली टाइप सिनेमा की शूटिंग हुई, मुकेश अंबानी ने उसके 4381 करोड़ रुपये अभी तक MMRDA को नहीं चुकाए।
एक बहुत जरूरी बात लिखना भूल गए राबड़ी देवी के लिए रबड़ी लिखा हुआ पढ़कर मुस्कुराहट आ गई। शादी के माहौल की बात थी।रबड़ी का टेस्ट याद आ गया।
वहां तो तीन चौथाई से ज्यादा लोग शुगर वाले होंगे। क्या पता खुद मुकेश अंबानी भी मीठे का टेस्ट ले पाए होंगे कि नहीं।
और पंडित जी की तो फिर बात ही क्या है। ऐसे पंडित की बलिहारी है। एक ही बार में 75000 लेकर शादी के साथ ही शांति पूजा भी करवा दें झंझट ही खत्म एक ही बार में।
सम्पादकीय में दिए गए विचारों से सहमत
यह एक चौथी दुनिया की निर्मिति का मॉडल है बस यही कहा जा सकता है,।
देखना ये है कि ये धरती को छोड़ किस नक्षत्रपर बसने वाले हैं ।
Dr Prabha mishra
क्या ये किसी राजनीतिक दल की आंतरिक व्यक्तिगत शादी थी जो लालू परिवार तथा अन्य नाम जो उल्लेखित हैं उनका सम्मिलित होने पर कोई उल्लंघन !
देश के सर्वोच्च पद पर आसीन और उनके सहयोगियों का शामिल होना पैतृक अधिकार है जो उनके शामिल होने पर किसी के नाम का उल्लेख नहीं ! उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद भी इलेक्ट्रल बॉन्ड में किस ने किस को कितना दिया इसकी जानकारी किसी को नहीं लेकिन इस शादी में कितना खर्च हुआ ये पता है!
पत्रकार आलोचना करते है और पत्तलकार क्या करते हैं ये सब जानते हैं ।
मानव याददाश्त कमज़ोर होती है, इस शादी को भी भूल जायेंगे।
आज स्वर्गीय श्री गुलज़ारीलाल नन्दा किसी को याद नहीं तो आपके अन्तिम पंक्ति में उल्लेखित नाम और काम कौन याद रखेगा ।
सराहनीय सम्पादकीय
कैलाश भाई आप नरेन्द्र मोदी को कितनी भी नफ़रत करें मगर ग़लत को ग़लत कहने से परहेज़ ना करें। मैं रोज़ाना सोशल मीडिया पर आपके विरुद्ध इल्ज़ाम लगाता रहूं, गालियां देता रहूं और जब भोपाल आऊं तो आपके घर आकर लंच या डिनर करूं… तो मैं भी लालू एण्ड कंपनी जैसा व्यवहार करूंगा।
Your Editorial of today represents our collective response to the vulgar extravaganza that this Ambani wedding put forth with great pride.
Sad that so many so called celebrities attended and joined this display in their most expensive dresses!!
You have rightly spoken of Ratan Tata,who in contrast,leads a very simple n unostentatious life.
And he too is a very wealthy person.
Warm regards
Deepak Sharma
बहुत बहुत बहुत बधाई व अभिनंदन के पात्र हैं आप और इस शानदार कथन का समर्थन सभी करेंगे कि आप यानि पुरवाई आम आदमी के साथ है और उसके दिल तक पहुंचती है।
कोई भी विषय हो आपका संपादकीय उसे पूरी तरह खंगाल देता है,यह पुरवाई की महत्वपूर्ण भूमिका है।
पैसा अच्छे अच्छों का चरित्र सामने ले आता है फिर इन राजनीतिक परिंदों की तो बात ही क्या है?वे कहीं भी उड़ान भर सकते हैं बस उन्हें – – –
पुरवाई बिना किसी भय के सीधी सच्ची बात बयान कर देती है, इसके लिए आप पर गर्व है।
अंतिम दो पंक्तियाँ कितनी गहरी छाप छोड़ गईं हैं, समझदार को इशारा काफ़ी यदि वहाँ तक पहुंच सके। आपने तो नाम के साथ प्रमाणित किया है।
अति धन्यवाद व अभिनंदन तेजेन्द्र जी
आपकी कलम को सलाम। बहुत माकूल लिखा है आपने। यह तो धन ऐश्वर्य का भोंडा प्रदर्शन ही था और तमाम कथित आमंत्रितों की उपस्थिति उनकी असली शख्सियत को ही अनावृत करती है। रुग्ण लालू भी गिरते पड़ते पहुंचा। साबित ही है कि सर्वे गुणाः कांचन माश्रयन्ति।
आम आदमी तो मोबाइल रिचार्ज दरों में भारी वृद्धि से अंबानी को कोस ही रहा है। और इस आडंबरपूर्ण विवाह को ही कारण मान शापित कर रहा है। यदि सचमुच मन में आम आदमी के प्रति तनिक भी संवेदना होती तो इस अवसर को वे सस्ते रिचार्ज का उपहार देकर करोड़ों लोगों की सदभ्वावनायें ले सकते थे। मगर यहां तो केवल धन वैभव दिखाने का उद्धत प्रयास और बड़े बड़ों पर अपनी धाक जमाने का ही उपक्रम था।
खैर ऐसे कृत्य और आचरण समाज के लिये अनुकरणीय नहीं हैं और न ही श्रेष्ठता के उदाहरण। टाटा सरीखा सादापन और विनम्रता अब अपवाद ही है।
आज का आपका संपादकीय धन्यवाद का अश्लील प्रदर्शन… बहुत से लोगों की मन की बात है। अंबानी जैसे. लोग सादगी से अपने पुत्र या पुत्री का विवाह करें तो वह समाज को सकारात्मक सन्देश देता। इस भोंडे प्रदर्शन को दिखाने के लिए मिडिया भी कम जिम्मेदार नहीं है। टाटा से उनकी तुलना करना बेमानी है। टाटा ग्रुप तबसे है जब शायद अंबानी पैदा भी न हुए हों। उनका बनाया टाटा कैंसर इंस्टिट्यूट न जाने कितनों को जीवन दे रहा है। आपकी अंतिम पंक्ति आपके पूरे संपादकीय का निचोड़ है…हम सब के मन में एक दुआ भी निकलती होगी कि भगवान अमीर चाहे किसी को भी बनाए मगर उसे दिल और सोच रतन टाटा वाली दे!
साधुवाद आपको।
जिस बांद्र-कुर्ला कम्पलेक्स में यह शादी का संजय भंसाली टाइप सिनेमा की शूटिंग हुई, मुकेश अंबानी ने उसके 4381 करोड़ रुपये अभी तक MMRDA को नहीं चुकाए यह नवाँ आश्चर्य सा लगा।
पैसे तो देने ही होंगे आज नहीं तो कल। अंबानी के लिए इतना देना एक छोटे से कर्ज की तरह है। अपनी ही आँखें चौड़ी हो रही हैं। उनके लिये बाएँ हाथ का खेल है।
हमें तो कभी-कभी लगता है ,वैसे कहना नहीं चाहिए लेकिन कहे बिना रहा नहीं जा रहा कि लड़की ने सिर्फ ऐश्वर्य देखकर शादी की है। लड़के के बारे में तो जितना अभी तक पढ़ने में आ रहा है उसको पढकर यही लगा कुछ सही सा हो नहीं रहा।बाकी ईश्वर जाने या अंबानी परिवार।
ये आलोचना तो हर छोटे बड़े आयोजन कि की जा सकती है- चाहे वो विवाह हो, फिल्म निर्माण हो या कोई साहित्यिक सम्मेलन ही क्यों न हो| इस प्रकार के आयोजन व इनमे होने वाला खर्च आर्थिक गतिविधि का मूल यंत्र है| जैसा अपने बताया है के इस शादी मे लगभग पांच हज़ार करोड़ रुपये ख़र्च हुए हैं, तो इन पैसों से हुआ क्या है, ये समझना होगा| कितने लोगों को कुछ काम मिला, कितनों ने अपना कर्ज उतारा, इस पर दृष्टि डालनी होगी| भारत मे ही नहीं विश्व भर मे सबसे अधिक खर्च शादी पर ही होता है, और व्यक्ति-परिवार अपनी सामर्थ के अनुसार खर्च करते हैं| इस आयोजन से अंबानी परिवार ने वैश्विक स्तर पर भारत की आयोजन क्षमता व शान शौकत का प्रदर्शन किया है, ये एक प्रकार से Tourism, व अन्य क्षेत्रों का शो-केस स्वरूप देखा जाना चाहिए| इस भव्य आयोजन को दिखावटी व धन की बर्बादी मात्र समझना भूल होगी| जो १००-५० लाख रुपया ख़ान बंधुओं ने लिया है, आशा है उस पैसे से वो को नई अच्छी फिल्म बनाएंगे जिससे कलाकारों व टेकनिशियनो को काम मिलेगा| वरना २ ढाई लाख मे तो हम भी फिल्म बना सकते है- और अपने बच्चों की शादी भी कर सकते हैं!
निखिल भाई आम आदमी तो चाह कर भी भोंडा प्रदर्शन नहीं कर सकता। यदि आपको यह ग़लतफ़हमी है कि यह आडम्बर लोगों को काम देने के उद्देश्य से किया गया था, तो आपको दोबारा इस बारे में सोचना होगा।
सर, आज की संपादकीय में आपने करोड़ों भारतीयों के मन की बात कह दी…मेरे मन में कई दिनों से यही बातें घुमड़ रही थीं पर मैं इतना सर्वे नहीं कर पाया और नहीं लिख पाया.. पर अब इतना तय है कि मैं आपकी इस संपादकीय को हर जगह share करने जा रहा हूँ… निश्चित ही अमीरी की इस अश्लीलता का बहिष्कार करते हुए मीडिया द्वारा
इसका गुणगान बंद होना चाहिए…
आपकी लेखनी को पुनः नमन करता हूँ
जो आपने सम्पादकीय का बेबाक़ शीर्षक दिया है, वह कोई सच्चा साहित्यकार या निर्भीक पत्रकार ही कर सकता है।
अम्बानी ने हर मेहमान को रिटर्न गिफ्ट में दो करोड़ की घड़ी दी। ग़रीब, अनाथों को एक वक़्त का भरपेट भोजन करा देते तो पुण्य मिलता।
आदरणीय तेजेन्द्र जी ! आप आम आदमी साथ हरदम खड़े होते है। सच्ची व खरी बात कहने से चूकते नहीं हैं, आपकी जितनी तारीफ़ की जाए, कम है। हार्दिक साधुवाद स्वीकारें।
आ0 तेजेन्द्र जी! बढ़िया सम्पादकीय! धन का अश्लील प्रदर्शन। पर क्या आजकल ये सर्वत्र नहीं हो रहा? जब हम छोटे थे और पत्रिकाएँ पढ़ते थे तब अन्त:वस्त्रो के विज्ञापन में मॉडल्स अपने चेहरे नहीं दिखाते थे, ब्राण्ड के नाम कहीं अन्दर लिखे होते थे ,अभिनेत्रियाँ साड़ी पहन कर और सर ढक कर पार्टियों में शामिल होती थीं। लेकिन अब सब कुछ बदल गया है। सादगी कहीं नहीं है। दिखावा आजकल का फ़ैशन है। ब्रांड नेम्स बिल्कुल ऐसी जगह हैं जहाँ से दिखें।
अभिनेत्रिया ब्लाउज़ के नाम पर पत्ते पहन रही हैं। और संभ्रांत कहे जाने वाले परिवार फोटोग्राफर के इशारों पर मुंडी घुमा रहे हैं चमकीले भड़कीले अंग दिखाऊ वस्त्र सब ही पहन रहे हैं । अब जिसके पास जो है वो उसका प्रदर्शन कर रहा है। आप देखिये और अश-अश कीजिये।
रतन टाटा की सादगी से क्या मुकाबला वो पीढ़ियों से रईस हैं।
मुझे लगता है ये इस प्रदर्शन से भी कुछ कमाई लेंगे। वेडिंग की फोटोस और अन्य किसी बात के अधिकार बेच कर।
जहाँ तक जीयो की बात है व्यापार और मुनाफ़े के हिसाब से सही जा रहे हैं पहले फ्री दे कर चस्का लगाओ फिर दाम बढ़ा दो। नशा है फोन भी और नशे के लिये तो सब सबकुछ लुटा सकता है। अंबानी जी के बेटे की शादी की धूमधाम की महीने चली आशा है शादी उससे कुछ अधिक लम्बी चले।
काश मोदी जी मध्यम वर्ग पर टैक्स की मार कुछ कम कर दें। सब्ज़ियाँ ,दालें और ज़रूरी भोजन वस्तुएँ , पेट्रोल,डीजल गैस की दरें कम हों। स्वास्थ्य सुविधाएँ सस्ती और 12वीं तक शिक्षा निशुल्क और उसके पश्चात कम शुल्क पर हो।
वैसे बहुत खर्चीली शादियों के पक्ष में मैं भी नहीं हूँ लेकिन फिर भी आपनी-अपनी स्थिति के अनुसार सभी लोग शादी धूम धाम से मनाते हैं अब अगर अंबानी एशिया के सबसे बड़े अमीर हैं तो फिर अपने बेटे की शादी भी उसी शान शौकत से की, इसे धन का अश्लील प्रदर्शन कहना ठीक नहीं होगा।
जब आम आदमी थाली में सूखी रोटी के साथ मिर्च चबा पा होगा(अब तो यहाँ प्याज़ भी पहुँच बाहर है)स्क्रीन पर फैली
इतनी चमक,इतने व्यंजन,इतना ड्रामा उसे भरमाएगा ।उसके
सीने की तरफ बढ़ता यह चमकीला ख़ंजर कहीं उसकी दिशा ना
बदल दे।ख़ूब खर्च करते पर ऐसा भोंडा प्रदर्शन विरोध के लिए
उकसाता है।
शानदार आफरीन सर्वोत्तम या कोई और भी शब्द हो तो।यह पत्रकार की कलम की जद है ।यह 360 डिग्री चलनी चाहिए परंतु आजकल ऐसी कलमें और कलम चलाने वाले सरस्वती नदी ही तरह लुप्त हैं। यदि होते हैं तो सत्ता पक्ष या विपक्ष के पैरोकार या सीधी साफ सपाट भाषा में कहिए छुट भैया यह वो पत्रकार हैं, जिनका उद्देश्य कुछ ना कुछ लाभ कमा कर निकल जानाहोता है।
इस बार का संपादकीय आम जन के आंसू और आक्रोश दोनों का संगम है।सत्ता और सियासत तो वारागनाओं का पर्याय बन चुकी है,नतीजा कम मतदान में नजर आया है।
सही कहा है,ममता लालू सिब्बल पवार आज के सियासती जंगल और दंगल के तगड़े प्राणी हैं जो कुछ भी कर सकते हैं ।कमोबेश यही स्थिति सत्ता पक्ष में है।
बात धन की बेजा नुमाइश की।सटीक निडर टिप्पणी।
काश सत्ता पक्ष कुछ ऐसा करे जो फ्री के राशन, लफ्फाजी से इतर आम जन की थाली और गालों की लालिमा को लौटाए।
तेईस जुलाई का बजट इसका एक प्रासंगिक अवसर होगा जिसमें मिडिल क्लास या गरीबों का कितना ध्यान रखा जाता है और उम्मीद है कि इस पर भी एक संपादकीय आएगा पुरवाई के प्रबंधन द्वारा।
जनरंजन संपादकीय के लिए बधाई हो।
भाई सूर्यकान्त जी, आपने संपादकीय की आत्मा को महसूस किया है। त्वरित टिप्पणी के लिये हार्दिक आभार।
आपकी अंतिम लाइन सबसे सही कही है
दिल से महसूस किया आलोक।
अब आदमी नहीं उसका पैसा बोलता है. उसकी आवाज सुनकर नेता, अभिनेता सब पहुंच गए.
जी सही कहा।
बिलकुल दादा, रतन टाटा बनना आसान नहीं है परंतु जो बन गया वह व्यक्ति असाधारण होगा।।
कम से कम पुरवाई के पाठकों को ऐसा बनने का प्रयास करना चाहिए
आपने अंतिम लाइन सबसे सही कही है
सच्ची और सटीक बात कही आपने। ख़र्च भी किया तो प्रदर्शन क्यों?
प्रदर्शन भी भोंडा…
विवाह में अश्लीलता का भोंसड़ा प्रदर्शन वह भी भारतीय संस्कृति का छोंक लगाते हुए।
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा, उसके पैसा है पर भारत में हर कोई अपनी वित्तीय वसीयत से बढ़ चढ़ कर विवाह में व्यय करता हुआ। ऐसे नकार प्रदर्शनों के नकारात्मक अनेक पहृलु हों गये पर एक बात तो है ऐसे विवाहों के कारण हीं काफी लोगों को रोजगार मिलता है वरन् इतनी अधिक जनसंख्या कै लिए कितने ही रोजगार कै अवसर पैदा किये जाये कभी पर्याप्त हो ही नहीं सकते।
जी अंबानी जैसे लोगों से अपेक्षा होती है के वे अपने कृत्यों से मिसाल बनें… मगर…
धन कुबेर का प्रदर्शन
वाकई कोई अमीर हो तो उसका दिल टाटा जी सा हो। मन की बात लगी। उनका बहुत अधिक सम्मान है मन में।
अच्छे संपादकीय की बधाई आपको।
आभार निर्देश जी…
आदरणीय तेजेन्द्र जी!
आज आपके संपादकीय ने शीर्षक को सही की तरह ही लिखा है।हास्य या व्यंग्य का जरा सा भी पुट नहीं है।एकदम टू दि पॉइंट।आपका शीर्षक यह संकेत दे रहा है कि इस बात से आप कितना अधिक क्षुब्ध हैं , आक्रोशित हैं। और आपकी क्षुब्धता और आक्रोश सिर्फ आपका ही नहीं बल्कि इसमें पुरवाई के हर सदस्य का क्रोध और आक्रोश समाया है। जन मानस की पीड़ा है।
हम तो उसके छोटे बेटे की शादी को ही नहीं भूल पाए।रह- रह के गुस्सा आता है।
पर जहाँ पैसा है वहाँ कुछ भी संभव है सर! इतनी लंबी लिस्ट भाजपा के अलावा अन्य पार्टियों के लोगों की! लेकिन हमें जरा भी आश्चर्य नहीं हुआ। वर्तमान की ताकत सिर्फ और सिर्फ पैसा है।
कुछ दिनों से यह सब चर्चा का विषय है,अन्य समूहों में,यूट्यूब में भी ,यही सब कुछ दिखाई दे रहा है।
और रिचार्ज करवाने के जो दाम बढ़े हैं, आपने तो अच्छी खासी लिस्ट निकाल दी। जिओ के दाम बढ़ेंगे यह पढ़ने में आया था, समझ में आ भी रहा था।उसको लेकर व्यंग्य भी पढ़ा।
और आज आपको पढ़कर जाना कि वाकई दाम बढ़ गए हैं। अब तो मन ऐसा कर रहा है कि ऐलान करें, लोगों से रिक्वेस्ट करें, कि सब जिओ को अवॉइड करो।
हम भी 299 रुपए का ही प्लान डलवाते हैं।कल सुबह ही डलवाना है।
एक बात तो है। गुजराती लोगों का दिमाग बिजनेस में बहुत चलता है। अपने हित को लेकर पटाने के सारे आईडिये ये लोग जानते हैं।
रतन टाटा की तुलना तो कहीं से कहीं तक नहीं की जा सकती। अंबानी रतन टाटा के पैरों की जूती में लगी धूल के बराबर भी नहीं।
टाटा को हम जितना अधिक पढ़ते हैं। उतना अधिक सम्मान और श्रद्धा उनके प्रति बढ़ती है।
हमें याद आ रहा है हमारा भांजा जबलपुर में टाटा की किसी कंपनी में शायद इंश्योरेंस का काम करता था। रेलवे एक्सीडेंट से जब उसकी डेथ हुई तो उसकी बॉडी भी नहीं उठी थी और 50 लाख रुपए का चेक आ गया था। जबलपुर के तो थे ही पर भोपाल तक से कंपनी के लोग आए थे अंतिम क्रिया के लिये। बाद में कंपनी में जॉब के लिए उसकी वाइफ को ट्रेनिंग दी फ्री में। और शायद बेंगलुरु में किसी गार्डन में दो माह बाद उसके नाम से वृक्षारोपण किया। उसकी फोटो भेजी थी उस पर अरविंद का नाम लिखा हुआ था। बुलाया भी था इन लोगों को पर ये लोग जा नहीं पाए।
आपका ऐश्वर्य किस काम का कि आप गरीब को एक रोटी ना खिला सको। इतनी भीड़ में,इतने लोगों के बीच में, कोई एक शख्स भी ऐसा नहीं होगा जिसने दुआ दी होगी। किसी एक गरीब का भी पेट भरा होता तो उसकी दुआ हजारों लोगों से मिले हुए गिफ्ट से महत्वपूर्ण होती,पारस की तरह।
Congratulations शब्द ज़बान से निकलता ।पर दुआ दिल से।
खैर……..
हम भी पुरवाई समूह की सोच के साथ सहमत हैं।हिंदुस्तान के सारे गरीबों को अगर खाना खिला दिया होता एक टाइम भी तो सारी दुनिया में नाम हो जाता।
शादी की खुशी में रिचार्ज का पैसा कम कर देते तो उपभोक्ता भी दुआएँ देते। कम से कम वही दुआएँ मिलतीं तो उससे भी गए ।वहाँ से भी सब बद्दुआ ही देंगे।
हमें कई साल पहले की होशंगाबाद की एक शादी याद आ गई। एक सामान्य टीचर थे साहू परिवार में। उनकी लड़की बहुत सुंदर थी किसी लखपति परिवार को वह पसंद आ गई और उन्होंने दोनों तरफ का खर्च उठाकर शादी की। काफी साल हो गए लेकिन फिर भी कुछ ऐसा याद आ रहा है कि उन्होंने सारे शहर को भोजन पर बुलाया था।
एक संपन्न परिवार की शादी ऐसी भी देखी थी जिन्होंने गायत्री मंदिर से शादी की और रात को एक रिसेप्शन किया। ना बेटी वालों ने कोई दहेज दिया न बेटे वालों ने कोई दहेज लिया और रिसेप्शन कर दिया दोनों ने आधे- आधे खर्च में। लड़की के पिता को जो देना था वह उन्होंने फिक्स्ड डिपॉजिट बेटी के नाम करवा दिया। सुबह आए और रात को रिसेप्शन करके वापस भी चले गए। जितना शेष बचा रिसेप्शन के बाद सब नर्मदा घाट पर गरीबों को खिला दिया।
ठीक से याद नहीं आ रहा किस समाज की बात है ?जैन हैं कि सोनी लेकिन तय कर लिया है की शादी में सिर्फ एक मीठा और एक नमकीन होगा एक ही प्रकार की सब्जी होगी चाहे कोई कितना ही अमीर क्यों ना हो और जिसने नियम तोड़ा उसको सामाजिक दंड दिया जाएगा।
सच कहें तो आपने वाकई संपादकीय के माध्यम से आम आदमी के दिल के दर्द को लिख दिया।
शुक्रिया तेजेंद्र जी! आज तो *लिखने को बहुत कुछ है अगर लिखने पे आते* लेकिन अगर क्रोध ज्यादा हो तो संयम जरूरी है सो लेखनी को विराम देते हैं।
संपादकीय को पढ़ना आदत में शुमार हो गया है।लंबे अंतराल के बाद दिल और दिमाग दोनों में हलचल हुई ऐसा लग रहा है।
बहुत बहुत शुक्रिया आपका इस परिश्रम के लिये।
नीलिमा जी एक आर.टी.आई.(अनिल गलगली द्वारा दायर की गई) के जवाब में बताया गया है कि जिस बांद्र-कुर्ला कम्पलेक्स में यह शादी का संजय भंसाली टाइप सिनेमा की शूटिंग हुई, मुकेश अंबानी ने उसके 4381 करोड़ रुपये अभी तक MMRDA को नहीं चुकाए।
कभी वक्त मिले तो पहले वाली भी दोनों टिप्पणियां पढ़ लीजिएगा प्लीज।
एक बहुत जरूरी बात लिखना भूल गए राबड़ी देवी के लिए रबड़ी लिखा हुआ पढ़कर मुस्कुराहट आ गई। शादी के माहौल की बात थी।रबड़ी का टेस्ट याद आ गया।
वहां तो तीन चौथाई से ज्यादा लोग शुगर वाले होंगे। क्या पता खुद मुकेश अंबानी भी मीठे का टेस्ट ले पाए होंगे कि नहीं।
और पंडित जी की तो फिर बात ही क्या है। ऐसे पंडित की बलिहारी है। एक ही बार में 75000 लेकर शादी के साथ ही शांति पूजा भी करवा दें झंझट ही खत्म एक ही बार में।
जी कई बार टाइपिंग की ग़लती होठों पर मुस्कान ले आती है।
सम्पादकीय में दिए गए विचारों से सहमत
यह एक चौथी दुनिया की निर्मिति का मॉडल है बस यही कहा जा सकता है,।
देखना ये है कि ये धरती को छोड़ किस नक्षत्रपर बसने वाले हैं ।
Dr Prabha mishra
सही बात प्रभा जी।
क्या ये किसी राजनीतिक दल की आंतरिक व्यक्तिगत शादी थी जो लालू परिवार तथा अन्य नाम जो उल्लेखित हैं उनका सम्मिलित होने पर कोई उल्लंघन !
देश के सर्वोच्च पद पर आसीन और उनके सहयोगियों का शामिल होना पैतृक अधिकार है जो उनके शामिल होने पर किसी के नाम का उल्लेख नहीं ! उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद भी इलेक्ट्रल बॉन्ड में किस ने किस को कितना दिया इसकी जानकारी किसी को नहीं लेकिन इस शादी में कितना खर्च हुआ ये पता है!
पत्रकार आलोचना करते है और पत्तलकार क्या करते हैं ये सब जानते हैं ।
मानव याददाश्त कमज़ोर होती है, इस शादी को भी भूल जायेंगे।
आज स्वर्गीय श्री गुलज़ारीलाल नन्दा किसी को याद नहीं तो आपके अन्तिम पंक्ति में उल्लेखित नाम और काम कौन याद रखेगा ।
सराहनीय सम्पादकीय
कैलाश भाई आप नरेन्द्र मोदी को कितनी भी नफ़रत करें मगर ग़लत को ग़लत कहने से परहेज़ ना करें। मैं रोज़ाना सोशल मीडिया पर आपके विरुद्ध इल्ज़ाम लगाता रहूं, गालियां देता रहूं और जब भोपाल आऊं तो आपके घर आकर लंच या डिनर करूं… तो मैं भी लालू एण्ड कंपनी जैसा व्यवहार करूंगा।
Your Editorial of today represents our collective response to the vulgar extravaganza that this Ambani wedding put forth with great pride.
Sad that so many so called celebrities attended and joined this display in their most expensive dresses!!
You have rightly spoken of Ratan Tata,who in contrast,leads a very simple n unostentatious life.
And he too is a very wealthy person.
Warm regards
Deepak Sharma
Deepak ji you have captured the spirit of the editorial. Thanks for your continued support!
बहुत बहुत बहुत बधाई व अभिनंदन के पात्र हैं आप और इस शानदार कथन का समर्थन सभी करेंगे कि आप यानि पुरवाई आम आदमी के साथ है और उसके दिल तक पहुंचती है।
कोई भी विषय हो आपका संपादकीय उसे पूरी तरह खंगाल देता है,यह पुरवाई की महत्वपूर्ण भूमिका है।
पैसा अच्छे अच्छों का चरित्र सामने ले आता है फिर इन राजनीतिक परिंदों की तो बात ही क्या है?वे कहीं भी उड़ान भर सकते हैं बस उन्हें – – –
पुरवाई बिना किसी भय के सीधी सच्ची बात बयान कर देती है, इसके लिए आप पर गर्व है।
अंतिम दो पंक्तियाँ कितनी गहरी छाप छोड़ गईं हैं, समझदार को इशारा काफ़ी यदि वहाँ तक पहुंच सके। आपने तो नाम के साथ प्रमाणित किया है।
अति धन्यवाद व अभिनंदन तेजेन्द्र जी
आदरणीय प्रणव जी प्रयास रहता है कि सच बोला जाए… आप का समर्थन हौसला बढ़ाता है। हार्दिक आभार।
आपकी कलम को सलाम। बहुत माकूल लिखा है आपने। यह तो धन ऐश्वर्य का भोंडा प्रदर्शन ही था और तमाम कथित आमंत्रितों की उपस्थिति उनकी असली शख्सियत को ही अनावृत करती है। रुग्ण लालू भी गिरते पड़ते पहुंचा। साबित ही है कि सर्वे गुणाः कांचन माश्रयन्ति।
आम आदमी तो मोबाइल रिचार्ज दरों में भारी वृद्धि से अंबानी को कोस ही रहा है। और इस आडंबरपूर्ण विवाह को ही कारण मान शापित कर रहा है। यदि सचमुच मन में आम आदमी के प्रति तनिक भी संवेदना होती तो इस अवसर को वे सस्ते रिचार्ज का उपहार देकर करोड़ों लोगों की सदभ्वावनायें ले सकते थे। मगर यहां तो केवल धन वैभव दिखाने का उद्धत प्रयास और बड़े बड़ों पर अपनी धाक जमाने का ही उपक्रम था।
खैर ऐसे कृत्य और आचरण समाज के लिये अनुकरणीय नहीं हैं और न ही श्रेष्ठता के उदाहरण। टाटा सरीखा सादापन और विनम्रता अब अपवाद ही है।
अरविंद भाई, आपने संपादकीय की आत्मा को पकड़ा है। हार्दिक आभार।
आप आप बिना किसी डर के बात अपनी सच्ची बात कह देते हैं। यही आपकी खूबी है। इसके लिए आपको धन्यवाद और बधाई।
एस भाग्यम शर्मा
हार्दिक आभार भाग्यम जी।
आज का आपका संपादकीय धन्यवाद का अश्लील प्रदर्शन… बहुत से लोगों की मन की बात है। अंबानी जैसे. लोग सादगी से अपने पुत्र या पुत्री का विवाह करें तो वह समाज को सकारात्मक सन्देश देता। इस भोंडे प्रदर्शन को दिखाने के लिए मिडिया भी कम जिम्मेदार नहीं है। टाटा से उनकी तुलना करना बेमानी है। टाटा ग्रुप तबसे है जब शायद अंबानी पैदा भी न हुए हों। उनका बनाया टाटा कैंसर इंस्टिट्यूट न जाने कितनों को जीवन दे रहा है। आपकी अंतिम पंक्ति आपके पूरे संपादकीय का निचोड़ है…हम सब के मन में एक दुआ भी निकलती होगी कि भगवान अमीर चाहे किसी को भी बनाए मगर उसे दिल और सोच रतन टाटा वाली दे!
साधुवाद आपको।
सुधा जी जब लिख रहा था तो अपने को महसूस हो रहा था कि वह अधिकांश मित्रों की दिल की बात होगी। हार्दिक आभार।
जिस बांद्र-कुर्ला कम्पलेक्स में यह शादी का संजय भंसाली टाइप सिनेमा की शूटिंग हुई, मुकेश अंबानी ने उसके 4381 करोड़ रुपये अभी तक MMRDA को नहीं चुकाए यह नवाँ आश्चर्य सा लगा।
पैसे तो देने ही होंगे आज नहीं तो कल। अंबानी के लिए इतना देना एक छोटे से कर्ज की तरह है। अपनी ही आँखें चौड़ी हो रही हैं। उनके लिये बाएँ हाथ का खेल है।
हमें तो कभी-कभी लगता है ,वैसे कहना नहीं चाहिए लेकिन कहे बिना रहा नहीं जा रहा कि लड़की ने सिर्फ ऐश्वर्य देखकर शादी की है। लड़के के बारे में तो जितना अभी तक पढ़ने में आ रहा है उसको पढकर यही लगा कुछ सही सा हो नहीं रहा।बाकी ईश्वर जाने या अंबानी परिवार।
जी बिल्कुल यह तो पूरी तरह वायरल हो चुका है।
ये आलोचना तो हर छोटे बड़े आयोजन कि की जा सकती है- चाहे वो विवाह हो, फिल्म निर्माण हो या कोई साहित्यिक सम्मेलन ही क्यों न हो| इस प्रकार के आयोजन व इनमे होने वाला खर्च आर्थिक गतिविधि का मूल यंत्र है| जैसा अपने बताया है के इस शादी मे लगभग पांच हज़ार करोड़ रुपये ख़र्च हुए हैं, तो इन पैसों से हुआ क्या है, ये समझना होगा| कितने लोगों को कुछ काम मिला, कितनों ने अपना कर्ज उतारा, इस पर दृष्टि डालनी होगी| भारत मे ही नहीं विश्व भर मे सबसे अधिक खर्च शादी पर ही होता है, और व्यक्ति-परिवार अपनी सामर्थ के अनुसार खर्च करते हैं| इस आयोजन से अंबानी परिवार ने वैश्विक स्तर पर भारत की आयोजन क्षमता व शान शौकत का प्रदर्शन किया है, ये एक प्रकार से Tourism, व अन्य क्षेत्रों का शो-केस स्वरूप देखा जाना चाहिए| इस भव्य आयोजन को दिखावटी व धन की बर्बादी मात्र समझना भूल होगी| जो १००-५० लाख रुपया ख़ान बंधुओं ने लिया है, आशा है उस पैसे से वो को नई अच्छी फिल्म बनाएंगे जिससे कलाकारों व टेकनिशियनो को काम मिलेगा| वरना २ ढाई लाख मे तो हम भी फिल्म बना सकते है- और अपने बच्चों की शादी भी कर सकते हैं!
निखिल भाई आम आदमी तो चाह कर भी भोंडा प्रदर्शन नहीं कर सकता। यदि आपको यह ग़लतफ़हमी है कि यह आडम्बर लोगों को काम देने के उद्देश्य से किया गया था, तो आपको दोबारा इस बारे में सोचना होगा।
सर, आज की संपादकीय में आपने करोड़ों भारतीयों के मन की बात कह दी…मेरे मन में कई दिनों से यही बातें घुमड़ रही थीं पर मैं इतना सर्वे नहीं कर पाया और नहीं लिख पाया.. पर अब इतना तय है कि मैं आपकी इस संपादकीय को हर जगह share करने जा रहा हूँ… निश्चित ही अमीरी की इस अश्लीलता का बहिष्कार करते हुए मीडिया द्वारा
इसका गुणगान बंद होना चाहिए…
आपकी लेखनी को पुनः नमन करता हूँ
मनीष जब भाग्यम जी और प्रणव जी की पीढ़ी के साथ तुम्हारी पीढ़ी भी इस संपादकीय का समर्थन कर रही है, तो संपादकीय सफल है। हार्दिक आभार।
जो आपने सम्पादकीय का बेबाक़ शीर्षक दिया है, वह कोई सच्चा साहित्यकार या निर्भीक पत्रकार ही कर सकता है।
अम्बानी ने हर मेहमान को रिटर्न गिफ्ट में दो करोड़ की घड़ी दी। ग़रीब, अनाथों को एक वक़्त का भरपेट भोजन करा देते तो पुण्य मिलता।
आदरणीय तेजेन्द्र जी ! आप आम आदमी साथ हरदम खड़े होते है। सच्ची व खरी बात कहने से चूकते नहीं हैं, आपकी जितनी तारीफ़ की जाए, कम है। हार्दिक साधुवाद स्वीकारें।
हार्दिक आभार आदरणीय शशि जी।
आ0 तेजेन्द्र जी! बढ़िया सम्पादकीय! धन का अश्लील प्रदर्शन। पर क्या आजकल ये सर्वत्र नहीं हो रहा? जब हम छोटे थे और पत्रिकाएँ पढ़ते थे तब अन्त:वस्त्रो के विज्ञापन में मॉडल्स अपने चेहरे नहीं दिखाते थे, ब्राण्ड के नाम कहीं अन्दर लिखे होते थे ,अभिनेत्रियाँ साड़ी पहन कर और सर ढक कर पार्टियों में शामिल होती थीं। लेकिन अब सब कुछ बदल गया है। सादगी कहीं नहीं है। दिखावा आजकल का फ़ैशन है। ब्रांड नेम्स बिल्कुल ऐसी जगह हैं जहाँ से दिखें।
अभिनेत्रिया ब्लाउज़ के नाम पर पत्ते पहन रही हैं। और संभ्रांत कहे जाने वाले परिवार फोटोग्राफर के इशारों पर मुंडी घुमा रहे हैं चमकीले भड़कीले अंग दिखाऊ वस्त्र सब ही पहन रहे हैं । अब जिसके पास जो है वो उसका प्रदर्शन कर रहा है। आप देखिये और अश-अश कीजिये।
रतन टाटा की सादगी से क्या मुकाबला वो पीढ़ियों से रईस हैं।
मुझे लगता है ये इस प्रदर्शन से भी कुछ कमाई लेंगे। वेडिंग की फोटोस और अन्य किसी बात के अधिकार बेच कर।
जहाँ तक जीयो की बात है व्यापार और मुनाफ़े के हिसाब से सही जा रहे हैं पहले फ्री दे कर चस्का लगाओ फिर दाम बढ़ा दो। नशा है फोन भी और नशे के लिये तो सब सबकुछ लुटा सकता है। अंबानी जी के बेटे की शादी की धूमधाम की महीने चली आशा है शादी उससे कुछ अधिक लम्बी चले।
काश मोदी जी मध्यम वर्ग पर टैक्स की मार कुछ कम कर दें। सब्ज़ियाँ ,दालें और ज़रूरी भोजन वस्तुएँ , पेट्रोल,डीजल गैस की दरें कम हों। स्वास्थ्य सुविधाएँ सस्ती और 12वीं तक शिक्षा निशुल्क और उसके पश्चात कम शुल्क पर हो।
ज्योत्सना जी आपने संपादकीय को कुछ नये बिन्दु प्रदान किये हैं। आभार।
वैसे बहुत खर्चीली शादियों के पक्ष में मैं भी नहीं हूँ लेकिन फिर भी आपनी-अपनी स्थिति के अनुसार सभी लोग शादी धूम धाम से मनाते हैं अब अगर अंबानी एशिया के सबसे बड़े अमीर हैं तो फिर अपने बेटे की शादी भी उसी शान शौकत से की, इसे धन का अश्लील प्रदर्शन कहना ठीक नहीं होगा।
अपनी सोच के अनुसार टिप्पणी के लिये हार्दिक आभार जया।
जब आम आदमी थाली में सूखी रोटी के साथ मिर्च चबा पा होगा(अब तो यहाँ प्याज़ भी पहुँच बाहर है)स्क्रीन पर फैली
इतनी चमक,इतने व्यंजन,इतना ड्रामा उसे भरमाएगा ।उसके
सीने की तरफ बढ़ता यह चमकीला ख़ंजर कहीं उसकी दिशा ना
बदल दे।ख़ूब खर्च करते पर ऐसा भोंडा प्रदर्शन विरोध के लिए
उकसाता है।
आपने सही कहा नीहार जी…