सोनिया सोनम की ग़ज़ल
ख्वाहिशें देखूं कभी उसकी तमन्ना देखूं
ये भी क्या तुक है मुहब्बत में भुला दूँ खुद को
प्यार में तेरे करूँ ज़िन्दगी कब तक बर्बाद
इश्क़ में जिसके लुटा बैठी हूँ अपना सब कुछ
इल्तिजा नींद से हर रोज़ ये रहती है मेरी
दिल मुहब्बत का तरफ़दार तो दुनिया का दिमाग़
फिर भला मुझको किसी से कहाँ मतलब ‘सोनम’
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बहुत बहुत बधाई हो।
अच्छी ग़ज़ल हुई है
अच्छी ग़ज़ल है आपकी सोनिया जी!बधाई आपको.