सुमन शर्मा की ग़ज़लें
फ़िर मुझको मुझसे मिला दे,
चल ख़्वाबों के जहां में ले चल,
भूला हुआ हूँ मैं खुद का चेहरा,
किया खुद को मैंने तेरे हवाले,
मुकम्मल नहीं जो चाहें यहाँ पर,
बिन तेरे आयी ये कैसी रात है,
दमक दमक कर दामिनी डराये,
अम्बर ने बरसा कर अमी रस,
मंद है चंचल पवन की रागिनी,
राग के सुख बीज को बोती हुई,
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आदरणीय सुमन जी! आपकी गजलें साधारण लगीं
शेर जो अच्छे लगे-
1
मुकम्मल नहीं जो चाहें यहाँ पर,
होता क्यों ऐसा है मुझको बता दे।
2
अम्बर ने बरसा कर अमी रस,
धरा को दी अपने प्यार की सौग़ात है
मंद है चंचल पवन की रागिनी,
पुष्प पल्लव की हवाओं से मुलाक़ात है।
बधाइयां आपको