हम अस्त्र-शस्त्र आयुधों के ख़िलाफ़ हैं हम विरोध करते हैं आक्रमणों का हम उन उँगलियों का समर्थन नहीं कर सकते हैं जो उठाई जा रही है दूसरों की तरफ़ हम उन तनी हुई मुट्ठियों को देखना भी नहीं चाहते जो दबा देती है दूसरों के सपने और आज़ादी हम भूल नहीं पाते सब याद रखते हैं अस्त्र-शस्त्र आयुध अणु परमाणु बम मुट्ठियाँ तानते, उँगलियाँ उठाते चिल्लाते चीख़ते, आक्रमण के लिए सहेजते, तैयार करते लोग, सत्ता-सेनाएं सृष्टि के विरुद्ध एक अपराध ही तो है लोगों आओ, अपने हाथों को खोलो बढ़ाओं उनकी तरफ जो जीवन जीने की जद्दोजहद में जैसे तैसे भागते हुए, मारे जा रहे हैं उन्हें ज़रूरत है दुनिया की और तुम्हें उनकी फिर यह युद्ध क्यों? क्या तुम खाली भूभाग और लाशों पर शासन करने जा रहे हो? युद्ध हम सबके विरूद्ध है फिर भी हम कर रहे हैं युद्ध युद्ध युद्ध ये दुनिया शांति चाहती है शांति
परिचय
कमलेश कुमार दीवान 15/38, मित्र विहार कालोनी मालाखेड़ी रोड
नर्मदा पुरम मध्यप्रदेश भारत वर्ष 461001
युद्ध पर आपकी कविता पढ़ी कमलेश जी! पहली खुशी तो इस बात की है कि आप हमारे नर्मदापुरम् के ही वासी हैं यह जानकर खुशी हुई। कल्पना ही नहीं थी कि नर्मदापुरम् का कोई रचनाकार इस समूह में मिल सकता है।
युद्ध कहीं भी किसी के लिए भी हितकर नहीं है युद्ध से हमेशा ही बचना चाहिये। जायज़ है कि जब इंसान ही नहीं रहेगा तो जमीन का क्या करोगे।
अच्छी कविता के लिए आपको बधाई
युद्ध पर आपकी कविता पढ़ी कमलेश जी! पहली खुशी तो इस बात की है कि आप हमारे नर्मदापुरम् के ही वासी हैं यह जानकर खुशी हुई। कल्पना ही नहीं थी कि नर्मदापुरम् का कोई रचनाकार इस समूह में मिल सकता है।
युद्ध कहीं भी किसी के लिए भी हितकर नहीं है युद्ध से हमेशा ही बचना चाहिये। जायज़ है कि जब इंसान ही नहीं रहेगा तो जमीन का क्या करोगे।
अच्छी कविता के लिए आपको बधाई