यूं ही आशनाई नहीं करता
है कोई,
कलम और रौशनाई से।
कलम को कौन गले
लगाता है,
उससे अपने अपने हिस्से
के आसमां
लिखवाता है हर कोई।
अल्फाज़ हैं अहसास हैं,
शराब ओ शबाब से,
बेहतर गुलाब हैं,
इबादत है मुहब्बत है,
इनकी आब और सोज
को कांटों के सेज पर
कलम से लिखवाता है
कोई कोई।
प्रारब्ध है कि कर्म हैं,
नसीब है कि नियति है
पर कलम पर ही
गिरता है
हर एक का अश्क कोई
कोई।
या अल्लाह कलम ना
हुई ,
बस ले दे के लगता है
आधी आबादी का
अफसाना है कोई ।
कलम है अब्दुल हई है,
पर बड़ी दुश्वारियों से
साहिर लुधियानवी बनता
है, कोई कोई।
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सूर्य कांत शर्मा
मोबाइल – 7982620596
वैसे तो कलम का हुनर और कलम की ताकत से बड़ी कोई ताकत नहीं। एक सिग्नेचर से क्या से क्या हो जाता है ।लेकिन उसके असली महत्व को लेखक जानता है एक रचनाकार के लिए कलम का बहुत महत्व है पर यह भी सही है कि कलम के होने मात्र से कोई साहिर भी नहीं बन सकता।
अच्छा लिखा आपने।
आप सरीखे जागरूक और चितेरे पाठक जिस रचनाकार या पत्रिका समूह के पास हों ,तो फिर लेखन और पठन के बीच में रामसेतु बनना तय है।
आपको रचना अच्छी लगी आपका आत्मीय
आभार। असली बधाई आदरणीय अग्रज तेजेंद्र शर्मा जी को मिलनी चाहिए क्योंकि उनके प्रोत्साहन और मार्गदर्शन के बिना साहिर लुधियानवी जैसी अज़ीम शख्सियत पर लिखना संभव न हो पाता।
पुनः आभार सहित।
आपका।
*विलंब हेतु क्षमा प्रार्थी हूं।