Saturday, September 21, 2024
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संपादकीय – युद्ध का नया स्वरूप

तस्वीर साभार : India Today

इन धमाकों से भारत को भी एक चेतावनी अवश्य मिली है। चीन रिवर्स टेक्नॉलॉजी का मास्टर माना जाता है। चीन के विशेषज्ञ जुट गये होंगे यह जानने के लिये कि इन धमाकों को अन्जाम कैसे दिया गया होगा। भारत में चीनी मोबाइल फ़ोनों का निर्माण हो रहा है। उन मोबाइल फ़ोनों का डेटा चीन के लिये प्राप्त कर लेना कोई कठिन काम नहीं होगा। कहीं भविष्य में ऐसे धमाके चीन की ओर से भारत में ना होने लगें। भारत में आई.टी. विशेषज्ञों की कमी नहीं है। इसलिये बेहतर होगा कि ऐसी भयानक दुर्घटना होने से पहले ही कुछ ऐसे सुरक्षात्मक कदम उठा लिये जाएं ताकि भारत को किसी ऐसे ख़तरे का सामना ना करना पड़े।

जब से इन्सान बना है तब से ही विवाद, लड़ाई, झगड़ा, युद्ध, महायुद्ध होते आ रहे हैं। किसी ज़माने में निजी मल्लयुद्ध हुआ करते थे, फिर शस्त्रों का विकास हुआ तो अग्नि बाण और ब्रह्मास्त्र भी विकसित हुए। रामायण और महाभारत में तमाम तरह के अस्त्र-शस्त्रों को विवरण दिखाई देता है। उन युगों में भगवान शिव के पास सबसे अधिक अस्त्रों का भंडार था। जैसे आज अमरीका पूरे विश्व को हथियार सप्लाई करता है, ठीक वैसे ही उन युगों में हर देवता या दानव हथियारों के लिये भगवान शिव की ही आराधना करता था। चाहे राम हों या रावण – अस्त्र-शस्त्रों के लिये पूजा वे भगवान शिव की ही करते थे। 
वर्तमान काल में गोली बारूद के बाद बंदूकें, पिस्तौल, तोपें, बम, रॉकेट, मिसाइल, अणु बम, हाइड्रोजन बम, आदि आदि का आविष्कार हुआ। हाल के सालों में ड्रोन के आविष्कार ने युद्ध को नये आयाम प्रदान किये हैं। ड्रोन की सहायता से चोरी-चोरी, चुपके-चुपके दुश्मनों पर वार किया जा सकता है। मगर लेबनान और सीरिया में जिस तरह पेजर बमों का इस्तेमाल किया गया है, उससे यह ख़तरा और बढ़ गया है कि कल को किसी भी तरह की स्मार्ट मशीम में रिमोट बमों का प्रयोग किया जा सकता है।
भारत की युवा पीढ़ी को पेजर की शायद याद भी नहीं होगी। दरअसल करीब पच्चीस वर्ष पहले बहुत थोड़े काल के लिये पेजर तकनीक भारत में पहुंची थी। पेजर केवल ट्वीट की ही तरह बस कुछ सीमित शब्दों में संदेश पहुंचाने का काम करता था। अभी मोबाइल फ़ोन आम जनता तक नहीं पहुंचा था। इससे पहले कि पेजर लोकप्रिय हो पाता उसका निर्वाण भी हो गया। 
फिर सवाल यह उठता है कि इतने एडवांस स्मार्ट फ़ोन के ज़माने में पुरानी तकनीक के पेजर हिज़बुल्ला ने ख़रीदे क्यों और उनमें ब्लास्ट हुए कैसे। लेबनान में हुए पेजर ब्लास्ट में अब तक करीब बारह लोगों की मौत हो चुकी है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इज़राइल ने हज़ारों पेजर्स में विस्फोटक लगाकर इस हमले को अंजाम दिया है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने पाँच हज़ार पेजर्स में विस्फोटक लगाए थे।  
विश्व के हालात देखकर केवल एक बात समझ में आती है कि विश्व में यदि कोई एक सुपर पॉवर है तो वो हैं – इज़राइल। इज़राइल जब चाहे, जहां चाहे किसी पर भी हमला कर सकता है। उसे किसी का डर नहीं और वो अरब देशों के साथ अपनी शर्तों पर व्यवहार करता है। हमास ने राकेट हमले करके सोते हुए शेर को जगाया तो उसका ख़मियाज़ा आज हिज़बुल्ला और ईरान भी भुगत रहे हैं। 
सच तो यह है कि हिज़बुल्ला के पास एक पूरी फ़ौज है। उसे ईरान से लगातार फ़ंडिंग मिलती है। उसके पास हथियारों का पूरा ज़खीरा है। फिर इतना विकसित संगठन भला पेजर जैसी पुरानी तकनीक के उपकरण का इस्तेमाल क्यों कर रहा था। इसका एक मुख्य कारण यह है कि पेजर की लोकेशन ट्रेस नहीं हो सकती है। मोबाइल फ़ोन के इस्तेमाल में यह डर बना रहता है कि लोकेशन ट्रेस हो जाएगी और धारक पर हमला हो सकता है। इसलिये हिज़बुल्लाह संगठन के सदस्य आपस में संपर्क के लिये पेजर जैसे पुरातन उपकरण का इस्तेमाल कर रहे थे। पेजर एक ऐसी डिवाइस है जिसके माध्यम से वॉयस और टेक्स्ट मैसेज भेजे जा सकते हैं। 
मंगलवार 17 सितंबर को लेबनान में एक साथ कई हज़ार पेजरों में विस्फोट हुआ। इन पेजर विस्फोटों में कम से काम बारह लोगों की मृत्यु हो गई और तीन हज़ार के करीब लोग घायल या फिर गंभीर रूप से घायल हो गये। हिज़बुल्लाह ने आरोप लगाया है कि इस पेजर आक्रमण के पीछे इज़राइल का हाथ है। मगर फ़िलहाल इज़राइली सेना या सरकार ने इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं की है। 
दावा किया जा रहा था कि हिज़बुल्लाह ने ताइवान की एक कंपनी गोल्ड अपोलो को इन पेजर के लिये ऑर्डर दिया था। मगर इनके लेबनान पहुंचने से पहले ही फ़ैक्टरी में इनमें कुछ छेड़छाड़ करके हर पेजर में करीब तीन ग्राम तीव्र विस्फोटक लीथियम बैटरी के एकदम साथ फ़िट कर दिया गया। हिज़बुल्लाह को इन पेजर की डिलीवरी अप्रैल और मई के महीने में की गई थी। 
यह भी कहा जा रहा है कि पेजरों से छेड़छाड़ इज़राइल के जासूसी संगठन मोसाद ने की है। एक अमरीकी वैबसाइट एक्सिओस के अनुसार तीन अमरीकी अधिकारियों ने जानकारी दी है कि इज़राइल को आभास हो चला था कि उनका प्लान लीक होने वाला है। यदि हिज़बुल्लाह को बैटरी के साथ लगाए गया विस्फोटों की जानकारी हो जाती, तो इज़राइल की सारी मेहनत पर पानी फिर जाता। यह जानकारी मिल रही थी कि हिज़बुल्लाह के दो लड़ाकों को विस्फोटक सामग्री के बारे में शक़ हो गया था।  हलांकि इज़राइल ने इन विस्फ़ोटों के लिये अभी कोई दिन तय नहीं किया था। मगर उन्हें  इसीलिये जल्दबाज़ी में यह निर्णय लेना पड़ा और आनन-फानन में विस्फोट करने पड़े। इससे इज़राइल को वो नतीजे तो नहीं मिले जिनकी उसे अपेक्षा थी, मगर हिजबुल्लाह संगठन में हफरातफरी और डर का माहौल अवश्य फैल गया। 
अमरीकी सरकार के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यु मिलर के अनुसार इस पेजर ब्लास्ट से अमरीका का कुछ लेना-देना नहीं है। उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। मिलर ने आगे कहा कि वे इस मामले में जानकारी हासिल करने की प्रक्रिया में हैं। फ़िलहाल हम नहीं जानते कि इस हमले के लिये ज़िम्मेदार कौन है। 
जानकारी यह मिल रही है कि भरी दोपहरी के समय जब कुछ लोग सड़क पर ख़रीददारी कर रहे थे और कुछ कैफ़े वगैरह में बैठ कर कॉफ़ी और नाश्ते का आनन्द उठा रहे थे और कुछ लोग अपनी मोटर साइकिल पर सवार थे; अचानक उनके जेब में रखे पेजर गर्म होने लगे और उनमें धमाका हो गया। घायलों और मृतकों में अधिकांश हिज़बुल्लाह के सदस्य थे। 
लेबनान के सुरक्षा अधिकारियों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि जिन इलाकों में पेजर धमाके हुए, उनमें हिज़बुल्लाह के सदस्यों की उपस्थिति बड़ी संख्या में थी। सूत्रों का कहना है कि पहले पेजर थोड़े गर्म होने शुरू हो गये। जब पेजर-धारियों ने पेजर जेब से निकाल कर चेहरे के सामने लाकर उसे देखना / पढ़ना चाहा, तभी उनमें विस्फोट हो गया। इस हमले में लेबनान में ईरान के राजदूत मोजतबा अमीनी भी घायल हुए हैं। ये विस्फोट केवल लेबनान तक सीमित नहीं थे। ऐसे बहुत से विस्फोट सीरिया में भी हुए बताए जाते हैं। 
हिज़बुल्लाह ने अतिरिक्त सावधानी बरतते हुए अपने सदस्यों को स्मार्ट फ़ोन के स्थान पर पेजर बांटे थे, मगर उनकी बदकिस्मती कि पेजर कि शिपमेन्ट पहुंचने में तीन महीने लग गये और उस बीच अपना कारनामा दिखाने वाले उसमें विस्फोटक सामग्री फ़िक्स कर गये। ब्लास्ट से पहले सभी पेजर पर ‘Error’ का मैसेज आया, इस मैसेज के बाद वो वाइब्रेट करने लगा और फिर ब्लास्ट हो गया। 
अभी सीरियल पेजर ब्लास्ट से लेबनान जूझ ही रहा था कि फट पड़े वॉकी-टाकी, रेडियो सेट, और सोलर पैनल कई लोग घायल हो गये।  ये धमाके ‘वायरलेस कम्युनिकेशन डिवाइसेस’ में हुए हैं।  सुरक्षा सूत्रों के अनुसार ये वायरलेस रेडियों भी हिज़बुल्लाह ने पाँच महीने पहले ही ख़रीदे थे। शीर्ष हिजबुल्लाह अधिकारी हाशेम सफीददीन ने धमाकों को लेकर कहा कि संगठन बुरे समय का सामना कर रहा है, लेकिन इसका बदला लिया जाएगा। इन नये किस्म के धमाकों के बाद मृतकों की संख्या 37 तक पहुंच गई है। 
पूरा विश्व इन धमाकों से हतप्रभ सा रह गया है। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा कि आख़िर यह धमाके किसने किये और कैसे किये। कल तक जिन आतंकवादियों से पूरा विश्व घबराता था आज वही यह सोच कर आतंकित हो रहे हैं कि कहीं अगर उन्होंने टीवी चलाया तो टीवी ना फट जाए। कहीं फ़ोन उठाया तो फ़ोन ना फट जाए। किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के कभी भी फटने का डर सबके मन में बैठ गया है। शायद इसीलिये अभी तक किसी भी अन्य देश ने कोई विशेष टिप्पणी नहीं की। हालांकि इन धमाकों की निंदा अवश्य की है। मन ही मन सभी हिज़बुल्लाह की तरह ही हैरानी के आलम में हैं और स्थिति को समझने का प्रयास कर रहे हैं। क्या तीसरा विश्वयुद्ध तकनीक के सहारे लड़ा जाएगा?
इन धमाकों के बाद हिज़बुल्लाह ने इजरायल के विरुद्ध जंग का ऐलान कर दिया है। हिज़बुल्लाह ने बुधवार (18 सितंबर) को इज़रायल की सीमा चौकियों पर ताबड़तोड़ रॉकेट दागे हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक लेबनान पेजर ब्लास्ट के बाद हिजबुल्लाह ने इजरायल के ख़िलाफ़ पहली बार सीमा पार हमलों को अंजाम दिया है। मगर इज़राइल ने इसकी कोई परवाह नहीं की और जिस समय हिज़बुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह भाषण दे रहे थे उसके दस मिनट के भीतर ही लेबनान पर बम्बारी कर दी। गुरुवार को अपने भाषण में नसरल्लाह ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमें एक बड़ा झटका लगा है। लेबनान के इतिहास में अभूतपूर्व है, और यह पूरे क्षेत्र में इजरायली दुश्मन के साथ संघर्ष के इतिहास में अभूतपूर्व हो सकता है।”
इन धमाकों से भारत को भी एक चेतावनी अवश्य मिली है। चीन रिवर्स टेक्नॉलॉजी का मास्टर माना जाता है। चीन के विशेषज्ञ जुट गये होंगे यह जानने के लिये कि इन धमाकों को अन्जाम कैसे दिया गया होगा। भारत में चीनी मोबाइल फ़ोनों का निर्माण हो रहा है। उन मोबाइल फ़ोनों का डेटा चीन के लिये प्राप्त कर लेना कोई कठिन काम नहीं होगा। कहीं भविष्य में ऐसे धमाके चीन की ओर से भारत में ना होने लगें। भारत में आई.टी. विशेषज्ञों की कमी नहीं है। इसलिये बेहतर होगा कि ऐसी भयानक दुर्घटना होने से पहले ही कुछ ऐसे सुरक्षात्मक कदम उठा लिये जाएं ताकि भारत को किसी ऐसे ख़तरे का सामना ना करना पड़े।
तेजेन्द्र शर्मा
तेजेन्द्र शर्मा
लेखक वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं. लंदन में रहते हैं.
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12 टिप्पणी

  1. सादर नमस्कार आदरणीय सर जी अत्यंत महत्वपूर्ण विषय। सम्पूर्ण तथ्य एवं सत्यता पर आधारित आपका संपादकीय केवल पुरवाई के पाठकों के लिए ही नहीं अपितु विश्वभर के पाठकों के लिए पूर्णरूपेण महत्वपूर्ण है। विकास का अर्थ यही था कि मनुष्यजाति सुरक्षित रहें। परंतु, वर्तमान मानव अमानवीयता को जीवन शैली मान चुका है। निःसंदेह, भारत भी आधुनिकीकरण में आगे बढ़ चुका है । कदाचित, ऐसा युद्ध यहाँ न हो..।

    पुनः आपकी लेखनी सम्पूर्ण पाठक वर्ग का मार्गदर्शन किया है। यूँ ही आपकी लेखनी सत्य के पथ पर रहते हुए…साहित्य एवं समाज की सेवा करती रहे… साधुवाद

    • हार्दिक आभार अनिमा जी। आतंकवाद एक बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। अब उससे निपटने के भी नये तरीके सोचे जा रहे हैं। मानव ही मानव का विनाश करेगा एक दिन।

  2. आपकी संपादकीय में जो चिंता जताई गई है वह वाजिब है। अब तो मोबाइल पर भी दग्धा लग रही है कि कहीं यह भी गरम न होने लगे। युद्ध मानव जाति के लिए सही नहीं है लेकिन फिर भी मानव को इससे दो-चार होना पड़ रहा है। कहा जाए तो हर जगह आग लगी हुई है। कहीं ज्यादा तो कहीं कम।
    मानव ऐसा प्राणी है कि न तो स्वयं शांति से रहता है और न किसी दूसरे को रहने देना चाहता है। आजकल तकनीकी इतनी विकसित हो चुकी है कि कुछ भी कर सकता है मानव। आपने संपादकीय में लिखा है कि शायद तीसरा विश्व युद्ध ऐसी ही तकनीकि से हो सकता है। मैं चाहता हूं कि आपकी यह संभावना, संभावना ही रहे। अमल में न आए तो ही अच्छा है। दोनों पक्ष रुकेंगे तो नहीं फिर भी आशा करता हूं कि वे रुक जाएं। मानवता का विनाश धरती को खंडहर बनाए इससे पहले चेत जाना चाहिए।

    • Wordsworth ने अपनी एक कविता में लिखा है, “Have I not reason to lament / What man has made of man?” सोचिये तब से इन्सान क्या कुछ करता आ रहा है।

  3. समीचीन और अलग विषय पर जानदार संपादकीय।सटीक बात कही है।टेक्नोलॉजी ही श्रेष्ठता का आधार होगी ।
    संपादकीय में सही चिन्ता जाहिर की गई है।यह वही चीन है जो भारत को तंग करने ,पाकिस्तान के साथ आतंक युद्ध में सदैव खड़ा मिलता है।
    निश्चित रूप से यह संपादकीय चेता रहा है कि भारत को सावधान रहना ही होगा।
    शानदार संपादकीय हेतु बधाई हो।

    • जी भाई सूर्यकान्त जी। चीन ने कभी अंतर्राष्ट्रीय नियमों की परवाह नहीं की। भारत को अपनी सुरक्षा पर अधिक ध्यान देना होगा।

  4. जिस तरह से देश के पड़ोसी देशों में भारत विरोधी वातावरण तेजी से पनप रहा है उस स्थिति में पके द्वारा भारत के विरुद्ध संभावित तकनीकी हमले की आशंका निराधार नहीं है।
    सामयिक एवं प्रासंगिक संपादकीय के लिए हार्दिक बधाई आपको आदरणीय शर्मा जी

  5. जरुरी संपादकीय जरूरी चिताओं के साथ कुछ एक प्रुफ की कमियां है लेकिन फिर भी संपादकीय दुरुस्त है। समझ तो ये नहीं आता कि लोग ऐसा करते क्यों है। क्या किसी की जान लेना इतना आसान है? आपने संपादकीय के आरंभ में जिस तरह पौराणिक संदर्भ दिए और उन्हें वर्तमान से जोड़ते हुए भविष्य तक ले गए यह काबिले तारीफ है। और पेजर के बारे में सचमुच हम युवा पीढ़ी को नहीं मालूम कभी देखे भी नही। पर जरूरी सवाल फिर से यही की आखरी ऐसा क्यों होता है? इस पर रोक लगाई जा सकती है या नहीं? और अगर भारत में ऐसे हमले हुए तो क्या हम तैयार हैं इनसे निपटने के लिए?
    कुछ समझ नहीं आता सर कई बार। इसलिए बस अपने तक सीमित रह जाना, चाहे कहने को कुएं का मेंढक कहे दुनिया लेकिन कई बार लगता है बेहतर है कुएं का मेंढक बन जाना भी।

    • मैंने ऊपर एक टिप्पणी के जवाब में लिखा भी है तेजस – Wordsworth ने अपनी एक कविता में लिखा है, “Have I not reason to lament / What man has made of man?”… यही सोचना है कि क्या इस युक के नष्ट होने का समय निकट आता जा रहा है।

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