Wednesday, October 23, 2024
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संपादकीय – आख़िर जस्टिंदर सिंह टरूडोवाल की समस्या क्या है ?

मित्रो पिछले साल 3 अक्टूबर को पुरवाई ने कनाडा में खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की जून में हुई हत्या पर एक संपादकीय लिखा था  यह रेडियो कैनेडिस्तान है इसके तुरन्त बाद हमारी पत्रिका पर साइबर अटैक हुआ और जो नया ऐप हम शुरू करने जा रहे थे, उसके शुरू होने से पहले ही इतनी गड़बड़ी पैदा हो गई कि आजतक ऐप शुरू नहीं हो पाया। इसके बावजूद आपके संपादक ने एक बार फिर हिम्मत जुटाई है और कनाडा के प्रधानमंत्री सरदार जस्टिंदर सिंह टरूडोवाल पर संपादकीय लिख डाला है। आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी 

“हमारा आतंकवादी तो आतंकवादी है मगर तुम्हारा आतंकवादी हमारा नागरिक है! यदि हम चाहें तो पाकिस्तान में घुसकर ओसामा बिन लादेन को, बग़दाद में सद्दाम हुसैन और लीबिया में कर्नल ग़द्दाफ़ी को मौत के घाट उतार सकते हैं। मगर गुरपतवंत सिंह पन्नू अमरीकी नागिरक है और हरदीप सिंह निज्जर कनाडा का नागरिक था। यदि भारत ने पन्नू की तरफ़ टेढ़ी निगाह से देखा भी तो, भारत पर निज्जर की तरह उसकी हत्या का इल्ज़ाम लगा दिया जाएगा। दूसरे देशों में घुस कर अपने दुश्मनों का सफ़ाया करने का हक़ केवल अमरीका और इज़राइल के पास है। बाक़ी अगर किसी ने सोचा भी तो उस पर प्रतिबंध लगा दिये जाएंगे। आतंकवादी केवल वही हैं जो अमरीका, कनाडा या पश्चिम यूरोपीय देशों को नुक़सान पहुंचाएं। बाक़ी सब तो शांति के पुजारी हैं।”
अमरीका और पाँच आँखों को अब अपनी इस सोच को बदलना होगा। आज भारत वो कमज़ोर भारत नहीं है जिसे आप भभकी देकर चुप रहने को मजबूर कर देंगें। आज हम विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। जितनी बड़ी संख्या हमारी मिडल क्लास की है, उतनी आबादी तो अमरीका, कनाडा और पश्चिमी यूरोप को मिला कर भी नहीं होगी। और भारत की यह मिडल क्लास कुछ भी ख़रीदने की कुव्वत रखती है। 
कनाडा के प्रधानमंत्री सरदार जस्टिंदर सिंह का कहना है कि हम आप पर आरोप लगाएंगे कि आपने निज्जर की हत्या की है। उसके बाद हम आप पर यह ज़िम्मेदारी भी थोप देंगे कि इस हत्या के सुबूत भी हमें आप ही उपलब्ध करवाएं। अजब सोच है भाई। आपको डांट क्यों ना लगाई जाए कि भाई इतनी ज़िम्मेदारी वाली कुर्सी पर बैठे हो; एक विकसित देश के प्रधानमंत्री हो, और बिना किसी सुबूत के बस मुंह खोला और कुछ भी बोल दिया। 
ठीक है कि आपका जन्म 1971 में हुआ और आपकी हरकतें भारत में जन्में उस चिरयुवा नेता की तरह हैं जिसका जन्म 1970 में हुआ था। मगर आप तो प्रधानमंत्री बन चुके हैं। आप तो अपनी कही गई हर बात के लिये जवाबदेह हो। चाहे लन्दन का अख़बार दि गार्डियन और अमरीका का न्यूयॉर्क टाइम्स आपके समर्थन में कुछ भी ऊलजलूल छापने को तैयार हो जाएं, उससे सच्चाई पर कोई असर नहीं पड़ने वाला। 
एक मज़ेदार सिलसिला यह है कि कनाडा की पुलिस ने यह आरोप भी लगाया है कि भारत सरकार लॉरेंस बिश्नोई गैंग का  इन हत्याओं के लिये इस्तेमाल कर रही है। जबकि सच यह है कि भारत सरकार ने कनाडा सरकार को गुरजीत सिंह, गुरजिंदर सिंह, अर्शदीप सिंह गिल, लखबीर सिंह लंदा और गुरप्रीत सिंह के नाम कनाडा को सौंपे थे और इनके प्रत्यर्पण की मांग भी की थी। इसमें कुछ लोग बिश्नोई गैंग के भी हैं… लेकिन कनाडा सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया।
सच तो यह है कि पाकिस्तान के बाद कनाडा दूसरा ऐसा देश बन गया है जो सक्रिय रूप से भारत के विरुद्ध आतंकवादियों को ना केवल पनाह दे रहा है बल्कि उनकी रक्षा भी कर रहा है। और एक घोषित आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर अपने पुराने मित्र भारत के साथ रिश्तों को कचरे के डिब्बे में डालने को तैयार है। भारत के विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि जब भी भारत ने एंटी-इंडिया और अलगाववादी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है उसे कनाडा ने अनसुना कर दिया है।
18 सितम्बर 2023 को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिंदर सिंह टरूडोवाल ने कनाडा की संसद में पहला बम फोड़ते हुए यह आरोप लगाया था कि हमारे पास यह मानने के विश्वसनीय कारण हैं कि भारत सरकार के एजेंट कनाडा की धरती पर एक कनाडाई की हत्या में शामिल थे। ऐसा करके हमारा देश नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के पक्ष में खड़ा हो रहा है जिसमें हम विश्वास रखते हैं।
अबकी बार तो जस्टिंदर सिंह ने तमाम हदें पार करते हुए कनाडा में भारत उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और कुछ अन्य डिप्लोमैट्स पर सीधा आरोप लगाते हुए उन्हें हरदीप सिंह निज्जर के हत्याकाण्ड में ‘पर्सन्स ऑफ़ इंटरेस्ट’ घोषित कर दिया। इसका सीधा-सीधा अर्थ था कि अब भारतीय उच्चायुक्त और उनके अधीनस्थ कर्मचारी ओटावा (कनाडा) में सुरक्षित नहीं हैं। 
भारत ने अपने राजदूत समेत छः राजनायिकों को वापस भारत बुला लिया मगर साथ ही भारत ने कनाडा के 6 राजनयिकों को भी भारत छोड़ने के लिए कह दिया। इनमें कनाडा के कार्यवाहक उच्चायुक्त स्टुअर्ट रॉस व्हीलर एवं उप-उच्चायुक्त पैट्रिक हेबर्ट भी शामिल हैं।  
जस्टिंदर सिंह टरूडोवाल की सरकार की समस्या यह है कि उनके पास संसद में बहुमत नहीं है और वे जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रैटिक पार्टी की बैसाखियों पर चल रहे हैं। जगमीत सिंह घोषित खालिस्तान समर्थक हैं। अपनी घरेलू मजबूरिरयों के चलते जस्टिंदर सिंह ने भारत से पंगा लेने का निर्णय ले लिया। भारत ने समय-समय पर खालिस्तानी आतंकवादियों के प्रत्यार्पण के लिये मांग की मगर कनाडा ने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया। 
भारत का मसला गुरपतवंत सिंह पन्नू को लेकर अमरीका के साथ भी चल रहा है। मगर अमरीका ने इसे अधिकारियों के स्तर तक सीमित रखा है पन्नू के चक्कर में भारत से दुश्मनी मोल नहीं ली है। यही परिपक्व और ग़ैर-ज़िम्मेदार नेता में होता है। जो बाइडन या उनके किसी मंत्री ने भारत के विरुद्ध कोई अनर्गल बातें सार्वजनिक रूप से नहीं बोलीं। वहीं दूसरी ओर कनाडा की विदेश मंत्री मैलैनी जोली ने तो भारत पर प्रतिबन्ध लगाने की धमकी तक दे डाली। 
मगर भारत में इंडी ग्रुप के तमाम दल मोदी विरोध से इतने ग्रस्त हैं कि वे इस मामले में भी देश हित में इकट्ठे ना दिखाई देकर राजनीति करने को तरजीह दे रहे हैं। पन्नू के मामले में भी वे अमरीका की आलोचना ना करके मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। 
कनाडा को अपने ‘पाँच आँखें’ ग्रुप – जिसमें शामिल हैं अमरीका, यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्युज़ीलैण्ड – पर काफ़ी भरोसा है कि ये देश कनाडा के समर्थन में खड़े हो जाएंगे। मगर इन आँखों ने बिना पलकें झपकाए कनाडा का कंधा थपथपा दिया। इससे अधिक और कुछ नहीं। हालाँकि वे आभास ऐसा दे रहे हैं जैसे कि भारत के विरुद्ध वे कनाडा के साथ खड़े हैं। 
स्थिति हास्यास्पद तो तब हो गई जब एक संसदीय कमेटी ने जस्टिंदर सिंह टरूडोवाल से चुनावों में विदेशी धन के इस्तेमाल पर सवाल पूछे। तो एक सवाल के जवाब में जस्टिंदर सिंह ने कहा कि उन्होंने भारत को कोई ठोस सुबुत नहीं दिये केवल जो जांच चल रही है उसके आधार पर अपनी बात कही है। यह सबसे अधिक अजीब हरकत है कि किसी देश का प्रधानमंत्री बिना किसी सुबूत के किसी मित्र देश पर आरोप लगा दे और दोनों देशों के रिश्तों का सत्यानाश कर दे। 
सच तो यह है कि 2018 में जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत दौरे पर आए थे तो पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें 10 ऐसे लोगों की सूची सौंपी थी, जो कानूनी प्रक्रिया से बचकर भाग गए थे और कनाडा में रह रहे थे। लेकिन बोलने की आजादी की आड़ लेकर राजनीतिक हित साधने के लिए मौजूदा जस्टिन ट्रूडो सरकार इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रह है। 
आतंकी गुरजीत चीमा, मलकीत फौजी, सुलिंदर सिंह, हरदीप सोहोता, गुरजंट सिंह पन्नू, परमिंदर सिंह दुलाई, भगत सिंह बराड़, टहल सिंह जैसे खालिस्तानी आतंकी वर्षों से कनाडा में शरण लिए हुए हैं। इसके साथ ही गोल्डी बराड़, लारेंस बिश्नोई का भाई अनमोल बिश्नोई, गुरविंदर सिंह उर्फ बाबा डल्ला, सतविंदर सिंह उर्फ सैम, सनोवर ढिल्लों, लखवीर सिंह उर्फ लंडा, अर्श डल्ला उर्फ अर्शदीप सिंह अर्श, गगना उर्फ गगनदीप, दीप नवांशहरिया, रिंकू बिहला, रमन जज जैसे गैंगस्टरों को कनाडा में मिल हुआ है।
लोकप्रिय टीवी समीक्षक डॉ. आनंद रंगानाथन ने एक ज़बरदस्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि, “खालिस्तान कोई सच्चाई तो है नहीं, केवल एक मिथिकल सोच है। इसलिये हरदीप सिंह निज्जर और गुरपतवंत सिंह पन्नू खालिस्तानी आतंकवादी तो हो नहीं सकते। इसलिये उन्हें उसी नाम से पुकारा जाना चाहिये जो कि वे हैं – कनाडा और अमरीका के आतंकवादी।”
क्या भारत के लिये ठीक रहेगा कि अब कनाडा को आतंकवादियों को पनाह देने वाला देश घोषित कर दे? कनाडा किसी भी मामले में पाकिस्तान से कुछ अलग तो नहीं कर रहा! पाकिस्तान मसूद अज़हर, हाफ़िज़ सईद जैसे दसियों आतंकवादियों को अपने यहां पनाह दिये बैठा है और वहां आतंकवादियों के लिये ट्रेनिंग कैंप चला रहा है। ठीक उसी तरह अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर कनाडा खालिस्तान समर्थकों को कुछ भी करने की छूट दे कर उन्हें अपना नागरिक बताने का नाटक कर रहा है। इन खालिस्तान समर्थकों ने एक झांकी निकाली थी जिसमें भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को गोलियों से भूना जा रहा था। इसे भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कह कर दरकिनार कर दिया गया।
कनाडा के प्रधानमंत्री की लोकप्रियता की दर इस समय केवल 19% है। जबतक कनाडा में कोई ज़िम्मेदार और परिपक्व प्रधानमंत्री नहीं चुना जाता तब तक तो लगता है कि कनाडा और भारत के रिश्ते बद से बदतर ही होते रहेंगे। जस्टिंदर सिंह टरूडोवाल को यह समझना होगा कि लोग सत्ता में आते हैं चले जाते हैं, मगर देश उनके आने से पहले भी होता है और उनके जाने के बाद भी रहता है। और हाँ, यदि जस्टिंदर सिंह टरूडोवाल को खालिस्तान से इतना ही प्रेम है तो कनाडा में तो बहुत विशाल इलाका ख़ाली पड़ा है, वहीं एक खालिस्तान की स्थापना करवा कर वहां के पहले प्रधानमंत्री बन जाएं… क्योंकि अब कनाडा की उनकी गद्दी तो हिल रही है!
तेजेन्द्र शर्मा
तेजेन्द्र शर्मा
लेखक वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं. लंदन में रहते हैं.
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33 टिप्पणी

  1. आपकी हक़ीक़त बयानी ने फिर से
    एक बार आपकी लेखनी की धार को
    एक नई चमक दी है साधुवाद आपको
    ऐसे ही सच को उजागर करते रहिए
    आपके साथ हैं हम हमेशा जियो भ्राता श्री

  2. आपकी संपादकीय का मौजूं विषय है -सरदार जस्टिंदर सिंह टुरूडोवाल। दुनिया की राजनीति में अब इस व्यक्ति को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। केवल सत्ता की खातिर आतंकवादियों का पक्ष लेकर अपनी कुर्सी बचाए रखना चाहता है। आपकी संपादकीय का मुख्य बिन्दु है कि आपके यहां आतंकवादी गतिविधियां चलाने वाले आतंकवादी और दूसरे देशों खासकर भारत में आतंकवादी गतिविधियां चलाने वाले आपके नागरिक। यह एक ऐसा वाक्य है जो जस्टिंदर सिंह टुरूडोवाल की असलियत खोल देता है। डॉ आनंद रंगनाथन की टिप्पणी बहुत दूर तक मार करने वाली है।
    यह व्यक्ति अपने देश को गर्त में ले जाकर छोड़ेगा। भारत जैसे देश से तो अच्छे-अच्छे देश कमेंट करने से बचते हैं। यह आदमी बिना सबूत के आरोप लगा रहा है। इसे क्या कहें हम ? निरा देहाती !

    • भाई लखनलाल जी, आपकी साहित्य और पत्रकारिता की समझ से ख़ासा प्रभावित हूं। सार्थक टिप्पणी के लिए आभार।

  3. आदरणीय संपादक महोदय वेदों के कथन
    सत्यम् ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयाद्सत्म sप्रियम,, उक्तिका आंशिक पालन करते हुए अपने सत्य कह दिया और अप्रिय सत्य ही कह दिया।
    आपकी निर्भीकता को नमन है।
    जब देखे तब कनाडा के प्रति भारत सहायता का हाथ बढ़ता रहता है लेकिन कनाडा सदैव
    “कागहि कहा कपूर खवाए, स्वान नहाए गंग , खर को कहा अरगजा लेपन मर्कट भूषन अंग”
    की कहावत को चरितार्थ करता रहता है।
    सत्यम् ,शिवम् ,निर्भीकम् संपादकीय के लिए बधाइयां

  4. आपके संपादकीय हमेशा बहुत सटीक और तथ्यात्मक होते हैं। आपके इस संपादकीय की मंशा पूरे भारत की मंशा को प्रतिबिंबित करती है। आश्चर्य होता है कि एक जिम्मेदार पद पर बैठा हुआ किसी देश का प्रधानमंत्री इतना गैर जिम्मेदाराना आचरण कर रहा है। इस कैटेगरी में पाकिस्तान और चीन के बाद कनाडा को ही रखा जा सकता है। कनाडा जल्दी ही मुक्त हो ऐसे जिम्मेदार व्यक्ति से, यही प्रार्थना है।

  5. आपकी सपाट बयानी एवं हिम्मत की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। सच को सामने लाने से आप किसी की गीदड़ भाभकियों
    और रास्ते में आनेवाली रूकावटों से पीछे नहीं हटते। यही होंसला बना रहे. हार्दिक शुभकामनायें।

  6. आपको साधुवाद सच के साथ खड़े होने के लिए, भारत विपक्ष मोदी विरोध के नाम पर भारत विरोधी हो चुका है ये कई मौकों पर साबित हो चुका है ।

  7. क्या लिखूँ कुछ समझ में नहीं आ रहा। इस कनाडा वाले दारजी पर से कमबख्त नज़र ही नही हट रही

  8. आख़िर जस्टिंदर सिंह टरूडोवाल की समस्या क्या है ?
    बेहद निडर सजग होकर लिखा गया प्रमाणिक और तथ्यात्मक संपादकीय।जो जस्टिंदर सिंह टरूडोवाल प्रधानमंत्री के दोगलेपन और उसके सत्ता के प्रति धृतराष्ट्र समान प्रेम को दर्शाता है।जिसकी जींस में ही भारत विरोध हो ,उस से कुछ भी आशा करना बालू से तेल निकालना भर का भ्रम है।
    हमारे धर्म ग्रन्थ में कहा गया है
    कामी क्रोधी लालची
    इनसे ना भक्ति होय
    भक्ति करे कोई सूरमा
    जाति धर्म कुल खोय।
    इस शहजादे के पिता भी भारत विरोधी और खालिस्तान समर्थन के मित्र रहे। कनिष्क हवाई जहाज हत्याकांड भी उन्हीं ही के कार्यकाल का काला कांड रहा और उसके शहजादे से आप क्या उम्मीद कर सकते हैं।
    संपादक महोदय ने सही कहा है कि पिछले साल तीन अक्टूबर को भी उनके /हमारे समूह ने साइबर आतंकवाद झेला।तिस पर भी पत्रकारिता धर्म का निबाह करते हुए बिंदास लिखना बड़े ही जीवट का कार्य हैं।
    यह भी औचित्यपूर्ण है कि यदि वर्तमान तुङो महाराज को खालिस्तान समर्थकों से इतनी ही हमदर्दी है तो कनाडा का खाली हिस्सा उन्हें दे दें।
    पुराना भारत उन पांच आंखों से जरूर सहमता था।अब भारत उनकी आंखों में आंख डालकर बात करता है।तोडू महाराज स्वयं कैसे कोरोना जनक की मदद से सत्ता चुराने में कामयाब हुए वह भी कोई इन्हीं से पूछे।
    निडर और कर्त्तव्यपरायण संपादकीय लिखने हेतु ,संपादक और पुरवाई पत्रिका परिवार को बधाई।

  9. आतंकी देश पाकिस्तान की श्रेणी में अब कैनेडा को भी सम्मलित करना उचित ही है. इन दोनों देशों को ऐसे कुकृत्य करने के लिए बहुत सी ऊर्जा भारत के आज के दिग्भ्रमित विपक्ष से मिलती है. जो दिग्भ्रमित 55 वर्षीय बाल बुद्धि बालक के नेतृत्व में देश की जड़ में मट्ठा डालने का कोई अवसर नहीं चूकता. जो विदेश में जाकर भारत के एक देश होने पर ही प्रश्न चिह्न लगा ता है. वास्तव भारत की वास्तविक समस्या तो विपक्ष है. आप बाहरी दुश्मनों से तो आज आराम से निपटने में सक्षम हैं, लेकिन घर के दुश्मनों से ज्यादा सतर्कता बरतनी पड़ती है, क्योंकि आस्तीन के सर्प कब कहां डस लें समझना कठिन होता है. संपादकीय के जरिए कैनेडा को आईना दिखाने का आपने साहसपूर्ण प्रशंसनीय कार्य किया है. आप को हार्दिक शुभकामनायें…

    • प्रदीप भाई, संपादकीय पर इस ख़ूबसूरत टिप्पणी से पाठक और अधिक जुड़ पाएंगे। हार्दिक आभार।

  10. आदरणीय आपका संपादकीय हर बार की तरह फिर से एक समस्या के प्रति जागरूक करने वाला है। आपके एप को शुरू होने से पहले ही बंद कर दिया गया। फिर भी आपने अपना कर्तव्य निभाते हुए इस संवेदनशील मामले पर अपने विचार व्यक्त किए । बात आती है कि कनाडा को पाकिस्तान की तरह आतंकवादी देश माना जाए या नहीं? भारत एक ऐसा देश है जो अपने दुश्मन का भी स्वागत करता है। किन्तु यह भारत की कमजोरी नहीं है । कनाडा के प्रधानमंत्री यह भूल गए हैं की जिस तरह से वह भारत का विरोध कर रहे हैं और भारत को मारे गए आरोपियों के लिए ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं यह उनकी अपरिपक्वता का परिचय है। आज भारत को एक सशक्त नेता मिला है जिसने भारत को विश्व गुरू बना दिया है। इसलिए भारत कनाडा के प्रधानमंत्री की बातों का जवाब देना वह ज़रूरी नहीं समझता किन्तु अपने देश की रक्षा कर सकें इतना अक्षम नहीं है । जो लोग भारत को कमजोर समझने की गलती कर रहें हैं वह सचमुच बड़ी गलती कर रहे हैं ।
    फिर से एक महत्वपूर्ण विषय के प्रति जागरूक करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार

  11. अत्यंत साहसी लेख है ये ,सच का आइना दिखाता है ये लेख l
    ये महाशय अपनी ग़ैर ज़िम्मेदाराना और अपरिपक्व नेतृत्व के चलते शीघ्र ही देश को अंधकार में ले जाने वाले हैं l
    आपका ऐप पुनः शुरू हो पाए ऐसे शुभेच्छा है
    एक बार पुनः ज़बरदस्त संपादकीय l

  12. सादर चरणस्पर्श

    भारत कनाडा के रिश्ते में खटास का मुख्य कारण है कनाडाई प्रधानमंत्री ट्रूडो का खुलेआम वैश्विक पटल पर भारत को नीचा दिखाते हुए आतंकवाद के मामले पर भारत को ही दोषारोपण करना। जिस प्रकार से दोनों देशों के मध्य कुछ महीनो से लगातार खींचातानी चल रही है और इस बीच भारत सरकार द्वारा कनाडा से अपने दूतावास अधिकारियों को वापस बुलाने का निर्णय बिल्कुल सही है। भारत कुटनीतिज्ञ रूप से कनाडा को जवाब दे रहा है और यह आवश्यक भी था पुरवाई में संपादकीय के माध्यम से कनाडा के पीएम का खालिस्तानियों के प्रेम को, उजागर करने वाला सटीक पोस्टमार्टम किया है । अपने देश का संस्कारिक नागरिक बताकर भारत विरोधी ताकतों का लगातार न केवल खुला समर्थन करना , उल्टा भारत के आतंकियों को भारत को न सौंपना यह सब दूषित मानसिकता एवं आतंकवाद के प्रति दोहरा मापदंड को दर्शाता है। भारत अब सहने वालों में से नहीं है। देश की अखंडता संप्रभुता एवं सुचिता को कैसे अक्षुण्ण बनाए रखना है कौन उसके लिए हितकर है और कौन उसके लिए आतंकी, यह हम तय करेंगे। क्योंकि हमें अब इलाज करना आ गया है

  13. आखिर जस्टिंदर सिंह टरूडोवाल की समस्या क्या है, संपादकीय आपके भारत के बाहर रहने के बावजूद भारत के विरुद्ध चल रही साजिशों का नीर क्षीर विवेक से पड़ताल करता हुआ मन के तंतुओं को छू लेता है।
    पांच आँख का भारत के प्रति रवैया आश्चर्यजनक है। वे गुरुवन्त सिंह पन्नू के जरिये भारत पर लगाम कसना चाहते है। शायद वे भारत को तरक्की करते नहीं देख सकते। जस्टिंदर सिंह टरूडोवाल प्रधानमंत्री पद पर बने रहने के लिए अपने ही देश में अपनी करनी से अपरिचित होते जा रहे हैं। उन्हें यह भी एहसास नहीं है कि कहीं एक दिन ख़ालिस्तानी मूवमेंट के समर्थक कहीं कनाडा में ही खालिस्तान की मांग न कर बैठें।
    आपका कहना सौ प्रतिशत सत्य है कि जस्टिंदर सिंह टरूडोवाल को यह समझना होगा कि लोग सत्ता में आते हैं चले जाते हैं, मगर देश उनके आने से पहले भी होता है और उनके जाने के बाद भी रहता है।
    इसी लेखक में आपने जस्टिंदर सिंह टरूडोवाल के साथ भारत के चिर युवा नेता का जिक्र कर आपने अनकहे ही, भारत के प्रति उनके दृष्टिकोण को पाठकों के सम्मुख रख दिया है। सच तो यह है कि जो भी देश आतंकवादियों को पनाह देता है, वह अपने लिए भी खाई खोदता है।

    • सुधा जी, आप हमेशा संपादकीय का अर्थ समझाते हुए टिप्पणी करती हैं। हार्दिक आभार।

  14. प्रिय संपादक श्री !
    हर बार आपके निर्भीक संपादकीय पढ़कर आपको स्नेहसिक्त साधुवाद ही प्रेषित करने का मन होता है |कारण है कि कोई भी विषय क्यों न हो मुझ जैसा अराजनैतिक बंदा भी बहुत सी बातों से बाबस्त हो जाता है और जिस ओर कभी दृष्टि भी न गई हो उधर का चिंतन शुरू हो जाता है |क्या ऐसे लोग राजनीति के ‘र’ से भी परिचित होते होंगे कितनी असुरक्षा रहती होगी उन लोगों के मन में जो वहाँ पर अपने अच्छे भविष्य के लिए गए हुए हैं |वास्तविक परिस्थिति तो न जाने क्या होगी लेकिन यह बेहूदा नाटक तो कब से चल रहा है |इसका परिणाम? |हर बार बहुत कुछ आता है मन में और सबसे अधिक कि आप पर सदा सुरक्षा-कवच बना रहे | आमीन !

  15. अत्यंत संवेदनशील और निडर लेख। जब भी आप राजनितिक विषयों पर लिखते हैं.. तो पाठक मन विह्वालित हो जाता है। सत्य को आधार बना कर आपकी लेखनी समस्त विषय को जीवंत कर लेती है।

    साधुवाद सर

  16. जितेन्द्र भाई: हालाँकि भारत मेरी जन्मभूमि है लेकिन, इस के साथ साथ, एक बहुत लम्बे अर्से से कैनेडा मेरी कर्मभूमि भी रहा है। आज कैनेडियन टीवी चैनल CTV पर भारत और कैनेडा के हाई कमिशनरों का interview देखा। टॉपिक भारत और कैनेडा में जो एक दूसरे पर इलज़ाम लगा रहे हैं उस पर था। दोनों पक्ष अपनी अपनी सफ़ाईयाँ दे रहे थे। भारत के राजदूत का कहना था कि कोई सबूत नहीं मिले और कैनेडियन राजदूत इस बात को बार बार दोहरा रहे थे कि उन्होंने सारे पुख़्ता सबूत दे दिये हैं। यहाँ मुझे एक बात समझ नहीं आती कि यह सब जानने के बाद भी जब प्रधान मन्त्री ट्रुडो ने स्वयं इस बात को स्वीकार किया है कि उनकी ब्यान बाज़ी किसी ठोस सबूत के आधार पर नहीं थी फ़िर बात को इतना बढ़ाने से क्या हासिल होगा। निज्जर के background से सब वाकिफ़ हैं फ़िर भी parliament में उसको इस तरह से सम्मान देना पुष्टिकरण नहीं तो और क्या है और जगमीत सिंह इसका पूरा फ़ायदा उठा रहा है।

  17. स्टीवर्ट बेल ने अपनी पुस्तक कोल्ड टेरर हाउ कनाडा नचर्स एंड एक्सपोर्ट टेरेरिज्म अराउंड द वर्ल्ड में लिखा है कि कनाडा खलिस्तानी, जेहादी जैसे अलगाववादीयों ,आतंकवादियों को पैसों की खातिर अपने देश में पनाह देता है।
    लेकिन ऐसा कर के वह अपने लिए भी गढ्ढे खोद रहा है।सिखों का प्रवासी समुदाय कनाडा की आबादी का2.1% है जो वहां का महत्वपूर्ण मतदाता समूह है । अपने राजनीतिक फायदे के लिए सिखों की हर बात का समर्थन कर सत्ताधीश अपने देश को तबाह करेंगे और दूसरों को भी हानि पहुचायेंगे ।
    Dr Prabha mishra

  18. डीप स्टेट द्वारा दुनिया में कुछ ऐसे “पप्पू” प्रभावशाली पदों पर स्थापित किये गये हैं , जो बे-अक़्ल होने के साथ साथ बे-शर्म भी हैं । वे कहीं भी, कुछ भी बोल सकते हैं। उन्हें इस बात की ज़रा फ़िक्र नहीं होती कि वे कुछ भी ऊल-जलूल बकते हुए किसी जोकर से कम नहीं लगते। ऐसे लोग ख़तरनाक भी बहुत होते हैं इसलिए इन्हें हल्के में लेने की ग़लती कतई नहीं करनी चाहिए। उनकी गलतियों के मुताबिक उनके साथ व्यवहार होना चाहिए… सतर्कता के साथ।
    शानदार, बेबाक संपादकीय के लिए साधुवाद!

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