Wednesday, October 23, 2024
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आशमा कौल की कविताएँ

1. फूल
आओ सीखें हम फूलों से
खिलना और महकना
काँटों के बीच रह कर भी
हर दम मुस्कुराना
शहीदों की समाधि पर
नतमस्तक हो सजना
प्रभु के शीश पर चढ़
प्यार से इठलाना और
दूसरों की खुशी के लिए
हँसते हुए बिखर जाना ।
आओ सीखें हम फूलों से
खिलना और महकना
2. सागर
तुम सागर सम रखो
विशाल हृदय
शांत रह कर वह
देता है हर किसी को
भेंट अपने प्यार की
सागर तट से कोई भी
खाली हाथ नहीं आता
सागर की हर लहर से वह
मूंगा मोती पाता है ।
तुम सागर सम रखो
विशाल हृदय
3. हवा
झूमो मचलो खेलो तुम
चंचल हवा की तरह
सबका दुःख दूर करो
प्राण वायु की तरह
अपने कोमल स्पर्श और
मासूमियत से अपनी
तुम सबका जीवन
आलौकिक कर दो
सबका जीवन खुशियों
से भर दो ।
झूमो मचलो खेलो तुम
चंचल हवा की तरह….
4. नदी 
सीखो तुम अविरल बहना
नदी की तरह
राह में आयें चाहे
हजारों मुश्किलें
तुम कभी रुकना नहीं
चट्टानों के सामने
तुम कभी झुकना नहीं
मन में दृढ़ संकल्प कर
पहुँचना है तुम को
नदी की तरह निर्बाध
अपने लक्ष्य पर।
सीखो तुम अविरल बहना
नदी की तरह…..
5. पर्वत 
सदियों से तपस्या में
लीन ये पर्वत
किसी योगी सम
संयमी मौन धैर्यवान
अवश्य ही जन्मे होंगे
इस धरा पर
कभी न कभी
ये तपस्वी बन कर ।
आशमा कौल 
श्रीनगर, कश्मीर में जन्मी और दिल्ली विश्वविध्यालय से शिक्षित आशमा कौल हिन्दी की सुपरिचित कवयित्री हैं। रचनाएं राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित एवं आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से प्रसारित। अब तक ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित
सम्प्रति- कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार से सेवानिवृत राजपत्रित अधिकारी 
संपर्क : 2665, सेक्टर – 16,एस पी रोड, फरीदाबाद -121002 (हरियाणा)
मो. : 9868109905 , ई-मेल : [email protected]
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4 टिप्पणी

  1. मेरी कविताओं को पुरवाई पत्रिका में स्थान देने के लिए सम्पादक महोदय तेजेन्द्र शर्मा जी एवं उनकी संपादकीय टीम का हार्दिक धन्यवाद।

  2. आशमा कौल जी कविताएं पारंपरिक के साथ शिक्षाप्रद भी है। इन कविताओं में एक सहजता है। अभिधा में रची कविताएं दिमाग को कुरेद नहीं पाती हैं। लगता है हां, ये कविताएं सीधे-सीधे लिखीं गई है। फिर भी सीख देती कविताएं जीवन को कुछ न कुछ दे तो जाती ही है। पुरवाई पत्रिका में प्रकाशित होने के लिए कवयित्री जी को बधाई

  3. आपका बहुत-बहुत आभार
    आपने सही कहा, हर तरह की कविता का अपना आनंद होता है। हर कवि के पास भावनाओं का भण्डार होता है। कभी यह बहुत सहज अभिव्यक्ति बन कर ह्रदय पर दस्तक देती हैं और कभी बहुत क्लिष्ट रूप में प्रकट होती है ।

  4. आसमा जी आपकी कविता में भाव प्रवणता है ,सोच भी है , कि वह विचार भी है और सबसे बड़ी बात की प्रेरणास्पद है, शिक्षा देती है पर फिर भी ऐसा लगा कि इस पर कविताई की दृष्टि से थोड़ा काम करने की जरूरत है।् इन भावनाओं को अगर थोड़ा सा तुक में लिखा जाता तो यह और अच्छी हो जातीं। इनकी प्रभावशालीता बढ़ जाती । आपकी पहले ही कविता की दो पंक्तियां देखें। उनको पढ़ने में बहुत अच्छा लग रहा है एक लय है उनमें। पर फिर वह सौन्दर्य दोबारा कहीं नहीं दिखा। हमें ऐसा महसूस हुआ।

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