डॉ मोनिका देवी की कहानी ‘तड़पती जिंदगी ‘ झकझोरती है। एक ज़हीन लड़की का जीवन ऐसे भी बरबाद हो सकता है यह इस कहानी में देखने को मिल रहा है। ऐसी घटनाएं अब आम हो चुकी है। शराब के लती को प्रतिदिन पैसे चाहिए ही होते हैं। घर के बर्तन बिक जाएं उसकी बला से। कहानी का विषय वास्तविक है। एक दो पैराग्राफ में कहानी गड़बडा़नी है पर बाद में संभाल ली गई है। जब से विशाल की जाब गई है ———-++- इस पैराग्राफ को संभाला जा सकता था। अंत जल्दबाजी का शिकार हो गया है। अंतिम पैराग्राफ सहजता की मांग कर रहा था पर जल्दी हो गया। कहानी समाज के लिए प्रेरणादाई है। इस कहानी के लिए लेखिका को बधाई।
लेखन तभी सफल माना जाता है ज़ब रचना को पढ़कर कोई टिप्पणी आती है | मेरे लिए इस पत्रिका में छपना ही बड़ी बात है पत्रिका कि समस्त टीम व सम्पादक मंडल कि आभारी हु | लेखक बड़ा छोटा नहीं होता है, वह बस लेखक होता है सर बस वक़्त के साथ साथ लेखन निखरता रहता है! आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए सोने प्र सुहागा है, अगली रचना जल्द बाज़ी से हट कर धैर्य के साथ लिखी जाएगी!!
धन्यवाद सर
मैं आपकी इस टिप्पणी पर यही कहूंगा कि आप साहित्य की सच्ची साधिका है। कहानी पर की गई टिप्पणी को स्वीकार करना या न करना अलग विषय है पर टिप्पणी को सम्मान देना बड़े साहित्यकार की निशानी है।
डॉ मोनिका देवी की कहानी ‘तड़पती जिंदगी ‘ झकझोरती है। एक ज़हीन लड़की का जीवन ऐसे भी बरबाद हो सकता है यह इस कहानी में देखने को मिल रहा है। ऐसी घटनाएं अब आम हो चुकी है। शराब के लती को प्रतिदिन पैसे चाहिए ही होते हैं। घर के बर्तन बिक जाएं उसकी बला से। कहानी का विषय वास्तविक है। एक दो पैराग्राफ में कहानी गड़बडा़नी है पर बाद में संभाल ली गई है। जब से विशाल की जाब गई है ———-++- इस पैराग्राफ को संभाला जा सकता था। अंत जल्दबाजी का शिकार हो गया है। अंतिम पैराग्राफ सहजता की मांग कर रहा था पर जल्दी हो गया। कहानी समाज के लिए प्रेरणादाई है। इस कहानी के लिए लेखिका को बधाई।
लेखन तभी सफल माना जाता है ज़ब रचना को पढ़कर कोई टिप्पणी आती है | मेरे लिए इस पत्रिका में छपना ही बड़ी बात है पत्रिका कि समस्त टीम व सम्पादक मंडल कि आभारी हु | लेखक बड़ा छोटा नहीं होता है, वह बस लेखक होता है सर बस वक़्त के साथ साथ लेखन निखरता रहता है! आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए सोने प्र सुहागा है, अगली रचना जल्द बाज़ी से हट कर धैर्य के साथ लिखी जाएगी!!
धन्यवाद सर
आपके द्वारा की गयी समीक्षा के लिए आभार,
मैं आपकी इस टिप्पणी पर यही कहूंगा कि आप साहित्य की सच्ची साधिका है। कहानी पर की गई टिप्पणी को स्वीकार करना या न करना अलग विषय है पर टिप्पणी को सम्मान देना बड़े साहित्यकार की निशानी है।