उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला स्थित ग्राम सजांव में जन्मे पीयूष कुमार दुबे हिंदी के युवा लेखक एवं समीक्षक हैं। दैनिक जागरण, जनसत्ता, राष्ट्रीय सहारा, अमर उजाला, नवभारत टाइम्स, पाञ्चजन्य, योजना, नया ज्ञानोदय आदि देश के प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक व साहित्यिक विषयों पर इनके पांच सौ से अधिक आलेख और पचास से अधिक पुस्तक समीक्षाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। पुरवाई ई-पत्रिका से संपादक मंडल सदस्य के रूप में जुड़े हुए हैं।
सम्मान : हिंदी की अग्रणी वेबसाइट प्रवक्ता डॉट कॉम द्वारा 'अटल पत्रकारिता सम्मान' तथा भारतीय राष्ट्रीय साहित्य उत्थान समिति द्वारा श्रेष्ठ लेखन के लिए 'शंखनाद सम्मान' से सम्मानित।
संप्रति - शोधार्थी, दिल्ली विश्वविद्यालय।
ईमेल एवं मोबाइल -
[email protected] एवं 8750960603
बहुत सार्थक, संदेशपूर्ण वार्तालाप। चिंतनीय प्रश्न!
साक्षात्कार लेने के लिए दूबे जी व आ. प्रो. लोहनी को साधुवाद।
साधुवाद पुरवाई को सुंदर आयोजन के लिए।
धन्यवाद
Awesome…
धन्यवाद, सुन्दर भेंटवार्ता
धन्यवाद
बहुत सार्थक वार्त्ता . वास्तव में हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित कर शिक्षा का माध्यम बनाना बहुत आवश्यक है और उपयोगी भी . अन्य भाषा भाषी प्रान्तों में प्रथाथमिक व माध्यमिक शिक्षा प्रान्तीय भाषा में हो किन्तु तब भी हिन्दी एक विषय के रूप में रहे . अंग्रेजी भई पढ़ाई जाय पर माध्यम बिल्कुल नहीं होना चाहिये . ‘मातृभाषा ही शिक्षा का सही माध्यम’ एक आलेख में मैंने भी यही कहने की कोशिश की है .