Tuesday, September 17, 2024
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दीपक गिरकर की कलम से – लघुकथा विधा की वैचारिक विमर्श की समसामयिक कृति

पुस्तक  : लघुकथा वृत्तान्त (लघुकथा के विविध पक्षों का विशद विवेचन)
लेखक   : सूर्यकांत नागर
प्रकाशक : अद्विक पब्लिकेशन, 41 हसनपुर, आई.पी. एक्सटेंशन, पटपड़गंज गाँव, दिल्ली – 110092
आईएसबीएन : 978-81-19206-50-6  
मूल्य   : 190 रूपए
सच को स्वीकारा जाना चाहिए। इतने वर्षों से लघुकथाएँ लिखी जा रही हैं और उनका शोर भी खूब है। पर है कोई पूर्णकालिक लघुकथाकार जिसने अपनी विधा के बल पर अखिल भारतीय ख्याति प्राप्त कर, वही प्रतिष्ठा, प्रशंसा और सम्मान पाया हो, जो अनेक स्थापित बड़े कवियों, कहानीकारों, उपन्यासकारों और ललित निबंधकारों को प्राप्त है? संदर्भित पंक्तियाँ वरिष्ठ साहित्यकार सूर्यकांत नागर के “लघुकथा वृत्तान्त”  के प्रथम आलेख स्वाधीनता की भावभूमि और लघुकथा की विकास-यात्रा से ली गई हैं। इस आलेख की अंतिम पंक्ति में लेखक लिखते हैं – नितांत व्यक्तिगत या वैयक्तिक अनुभव को लेकर लिखी गई लघुकथा का कोई महत्त्व नहीं। यदि लेखक निजी अनुभवों और संवेदनाओं को समष्टिगत और सार्वभौमिक नहीं बनाता तो उसका कोई मूल्य नहीं। 
“लघुकथा वृत्तान्त वरिष्ठ साहित्यकार सूर्यकांत नागर की इन दिनों चर्चित कृति है। सूर्यकांत नागर के अभी तक दस कहानी संग्रह, दो उपन्यास, दो व्यंग्य संग्रह, तीन निबंध संग्रह, दो आत्मकथात्मक संस्मरण, एक लघुकथा संग्रह, वरिष्ठ साहित्यकारों के साक्षात्कारों की कृति, साहित्यकारों के पत्रों का संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। सूर्यकांत नागर के सारस्वत अवदान का आकलन करते हुए देश की प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया गया हैं। सूर्यकांत नागर के लेखन का सफ़र बहुत लंबा है। इनकी रचनाएँ निरंतर देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। “लघुकथा वृत्तान्त” सूर्यकांत नागर की तीसवीं पुस्तक है। सूर्यकांत नागर एक वरिष्ठ साहित्यकार हैं जिन्होंने व्यंग्य, कहानी और उपन्यास, लघुकथा, निबंध, संस्मरण, साक्षात्कार इत्यादि सभी में अपनी लेखनी की चमक बिखेरी है। आपने कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया है। आपकी कई लघुकथाओं और कहानियों का कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ है। इस पुस्तक के लेखक विमर्श केंद्रित सम-सामयिक आलेख लेखन, पुस्तक समीक्षाओं के साथ महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय में बौद्धिक विमर्श, गोष्ठियों एवं सेमिनारों में, साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में काफी सक्रिय हैं। 
इस पुस्तक में लेखक ने लघुकथा के विविध पक्षों का विशद विवेचन किया है। यह पुस्तक तीन खण्डों में विभाजित है। प्रथम खंड में सूर्यकांत नागर के लघुकथा की विकास यात्रा, रचनात्मकता में आ रहे बदलाव, आलोचना-शास्त्र, अध्यात्म, शिल्प और शैली, पुरुष और स्त्रीवादी सोच तथा नवोन्मेषी साहित्य जैसे 11 आलेख संकलित हैं। लेखक ने सभी आलेखों में लघुकथाओं के सन्दर्भ सहित विश्लेषणात्मक विवेचन किया है। द्वितीय खंड में सूर्यकांत नागर ने वरिष्ठ लघुकथाकारों श्यामसुंदर व्यास, बलराम, मधुदीप, विक्रम सोनी, रमेश बत्तरा, सतीश राठी और रूप देवगुण के व्यक्तित्व-कृतित्व पर प्रकाश डाला है। तीसरे खंड में नागर जी ने प्रतिष्ठित लघुकथाकारों अशोक भाटिया के लघुकथा संग्रह “अँधेरे में आँख” की लघुकथाओं, चैतन्य त्रिवेदी के लघुकथा संग्रह “कथा की अफ़वाह” की लघुकथाओं और बलराम अग्रवाल के लघुकथा संग्रह “आनेवाले दिन” की लघुकथाओं की समीक्षा की हैं।   इस पुस्तक का शीर्षक लघुकथा वृत्तान्त” अत्यंत सार्थक है। 
इस पुस्तक के आलेखों में लेखक ने लघुकथा की विकास यात्रा, लघुकथा का रचनात्मक पक्ष, लघुकथा में सृजन की दिशा, लघुकथा का परिदृश्य, नवोन्मेषी साहित्य सृजन, लघुकथा आलोचना, लघुकथा में अध्यात्म, लघुकथा की शिल्प और शैली, लघुकथा में नारी-विमर्श, लघुकथाओं में पुरुषवादी सोच, प्रेमचंद की कथाओं में आधुनिक दृष्टि इत्यादि विषयों पर गहरे विश्लेषण के साथ तर्कसम्मत, व्यावहारिक और ठोस चिंतन बहुत ही मुखर ढंग से प्रस्तुत किए है। पुस्तक के सभी आलेख सटीक, समसामयिक होने के साथ स्थाई महत्व के हैं। लेखक के अनुसार लघुकथा लेखन दुरूह और चुनौतीपूर्ण कार्य है। गागर में सागर भरने जैसा। पर सागर में विषैले सर्प, बिच्छू, मगरमच्छ, मछलियाँ और रत्न भी होते हैं। अत: भरते समय धान रखें कि जल के साथ केवल रत्न ही आएँ। यह भी कि गागर इतनी न भर जाए कि वजन न संभाल सके। बदलते परिवेश में लघुकथा घटना-लेखन मात्र नहीं रह गई है। सूर्यकांत नागर ने इस विधा की एक बहुत बड़ी समस्या की ओर इशारा किया है। वह समस्या है लघुकथा की आलोचना की विश्वसनीयता की। साहित्य की विभिन्न विधाओं में लघुकथा की आलोचना ही सर्वाधिक विवादास्पद और अविश्वनीय है। लघुकथा की समीक्षा, आलोचना की सबसे बड़ी समस्या है कि अभी तक लघुकथा की समीक्षा, आलोचना का कार्य लघुकथा-लेखक ही करते आए हैं, और कर रहे हैं।      
इस कृति द्वारा सूर्यकांत नागर का समकालीन लघुकथा के संबंध में बहुआयामी चिन्तन मुखर हुआ है। वे समकालीन साहित्य पर गहरी समझ रखते हैं। लेखक ने अपने सभी आलेखों में सन्दर्भ के साथ उदाहरण भी दिए हैं और उनका गहरा विश्लेषण भी किया है। कुल मिलाकर यह कृति लघुकथा के विविध पक्षों से जुड़े मुद्दों की गहन पड़ताल करती है। पुस्तक पठनीय ही नहीं, चिन्तन मनन करने योग्य, देश के लघुकथाकारों को दिशा देती हुई और क्रियान्वयन का आह्वान करती वैचारिक विमर्श की समसामयिक कृति है। लघुकथा में शोध करने वाले विद्यार्थियों के लिए तो यह कृति विशेष रूप से लाभदायक सिद्ध होगी। लघुकथा वृत्तान्त” समकालीन लघुकथा के विविध पक्षों का सशक्त दस्तावेज़ है।
दीपक गिरकर
समीक्षक
28-सी, वैभव नगर, कनाडिया रोड,
इंदौर452016
मोबाइल : 9425067036
मेल आईडी : [email protected] 
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