Sunday, September 8, 2024
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पुस्तक ‘जिजीविषा’ का लोकार्पण

12 तारीख जुलाई 2024, नविन पनवेल, नविमुम्बई में ‘श्रीजगन्नाथ सांस्कृतिक सेवा ट्रस्ट’ और ‘विविध भारतीय भाषा संस्कृति संगम’ की  ओर से रथयात्रा के पावन महोत्सव के दौरान बालाजी मंदिर में पुस्तक विमोचन और काव्यसम्मेलन का आयोजन किया गया। संस्था की अध्यक्षा लता तेजेश्वर ‘रेणुका’ जी का दो-कहानियों का संग्रह ‘जिजीविषा’ का समग्र पनवेल वासी और मंचीय कवि कवियत्रीगण के बीच लोकार्पण हुआ। इस कार्यक्रम अध्यक्ष मीनू मदान जी रही, मुख्यातिथि पनवेल के जगन्नाथ सेवा ट्रस्ट के प्रबंधक आदरणीय जादुमनी चक्र जी, विशिष्ट अतिथि के रूप में, नवभारत के स्तंभ लेखक और प्रत्रकार डॉ.दयानंद तिवारीजी और आदरणीया ओड़िआ भाषी लेखिका और पत्रिका संपादक मैत्रेयी कमिलाजी रहे। संस्थापक आदरणीय तेजेश्वर जी ने सभी को शॉल ओढ़कर सम्मानित किया। 
लता तेजेश्वर ‘रेणुका’ जी का कहानी-संग्रह पर आद सेवासदन प्रसाद जी ने विस्तार से व्यक्तव्य प्रस्तुत किये जिजीविषा कहानी संग्रह पर बारीकी से व्यक्तव्य दिया। आ.दयानंद तिवारी जी ने एक सुंदर कहानी के जरिए ‘जिजीविषा’ शब्द को बखूबी सार्थक किया। लता जी ने अपने बाल्य में रहे ओडिशा के छोटा सा गाँव गुम्मा का जिक्र करते हुए कहा, मैंने इस पुस्तक के जरिए फिर से मेरा बचपन जी लिया। वहीं के प्राकृतिक सौंदर्य, भोलेभाले लोग, पगडंडियों में खेलते बच्चे आदि को याद करते हुए ओड़िआ भाषा में बात करते हुए भावुक हो उठे और उस गाँव की संस्कृति से उपस्थित श्रोताओं को जोड़ दिया। मैत्रेयी जी ने अपने सुरीली आवाज में कविता सुनाई।
कार्यक्रम में आदरणीय भटनागर जी, खारघर, आ मंजु गुप्ता जी वाशी, आ मदन गोपाल ‘अकिंचन’जी थाने, आ हेमलता शर्मा जी, डॉ सुधीर पंडा जी पनवेल से और उपस्थित सभी मंचीय साहित्यकारों ने कवितापाठ किया। 
आ अश्विन उम्मीद जी ने श्रोता और लिखकों को जोड़ते हुए संचालक/सूत्रधार का काम किया, और अपने गज़लों से सभा को आनंदित किया। 
श्री श्री जगन्नाथ सांस्कृतिक सेवा संस्था ने सभी साहित्यकारों को मोमेंटो से नवाजा और अध्यक्ष को शॉल ओढ़कर सम्मानित किया। कार्यक्रम की सफलता के मद्देनजर आदरणीया मैत्रेयी जी ने आभार प्रगट किया।
लता तेजेश्वर ‘रेणुका’
नई पनवेल
नवी मुंबई
9004762999
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1 टिप्पणी

  1. जिजीविषा के लोकार्पण के लिए रेणुका जी को बहुत-बहुत बधाइयाँ एवं शुभकामनाएंँ।
    किताब हमारे पास पहुँच चुकी है हमने पढ़ना शुरू किया है। पूरी पढ़ने उसके बाद लिखते हैं।
    रेणुका जी को बहुत-बहुत बधाइयाँ व शुभकामनाएँ।

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