प्रकाशक : न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन, सी–515, बुध नगर, इंद्रपुरी, नई दिल्ली –110012
आईएसबीएन नंबर : 978-81-969831-7-8
मूल्य : 225 रूपए
“धार फूलों की”चर्चित वरिष्ठ कवि-साहित्यकार श्री ब्रजेश कानूनगो की कविता यात्रा का पांचवा पड़ाव हैं। इसके पूर्व इनके “धूल और धुएं के परदे में”, “इस गणराज्य में”, “चिड़िया का सितार”, “कोहरे में सुबह”काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।“धार फूलों की”एक ऐसा कविता संग्रह है जो कई मुद्दों और विषयों पर प्रकाश डालता है। श्री ब्रजेश कानूनगो ने अपने कविता संग्रह “धार फूलों की”में अपने जीवन के कई अनुभवों को समेटने की कोशिश की है। “धार फूलों की”भावनाओं और विचारों की तीव्रता को दर्शाता एक अनूठा काव्य संग्रह है। ब्रजेशजी ज़मीन से जुड़े हुए एक वरिष्ठ और प्रगतिशील लेखक है। इस संग्रह में प्रकृति, प्रेम, जीवन के विविध रंग, जीवन की जटिलताओं, बसंत ऋतु की मधुरता, जीवन की विविधता, कविता में संगीत, मन के अंधेरों को रोशनी से भरने की कोशिश, कला और साहित्य की शक्ति, गहरी संवेदनशीलता और सामाजिक चेतना, बेटी के प्रति एक पिता के लगाव, उपभोक्तावादी संस्कृति की चकाचौंध को अभिव्यक्त करती कविताएं हैं। यह समकालीन कविताओं का एक सशक्त दस्तावेज़ है। इस संग्रह की हर रचना पाठकों और साहित्यकारों को प्रभावित करती है। इस संकलन में 80 छोटी-बड़ी कविताएं संकलित हैं।
इस संग्रह की शीर्षक कविता “धार फूलों की” जीवन के कई गहरे पहलुओं को छूती है। इसका केंद्र “धार” हैजो केवल भौतिक ताकत के प्रतीक के रूप में नहींबल्कि भावनाओं और विचारों की तीव्रता को भी दर्शाता है।कविता में यह बताया गया है कि असली धार वो होती है जो साधारण चीजों में भी होती है – जैसे कुएं की रस्सी या हवा की ठंडक। ये शक्तियाँ हमारे जीवन में न केवल शारीरिकबल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी प्रभावित करती हैं।कबीर के वचनों की धार का उल्लेख करते हुए कवि ने यह दिखाया है कि ज्ञान और सत्य की शक्ति कितनी अधिक होती है। कविता के अंत में फूलों की धार से दुनिया के लहूलुहान होने का जिक्र यह बताता है कि सौंदर्य और नाजुकता के पीछे भी एक गहरी पीड़ा छिपी हो सकती है।कविता का यह संदेश हमें सोचने पर मजबूर करता है कि असली ताकत किसमें होती है – भौतिक वस्तुओं मेंया हमारे विचारों और भावनाओं में।
“रंगों में रंग” प्रभावशाली रचना है। यह कविता रंगों के माध्यम से जीवन की जटिलताओं और भावनाओं को गहराई से व्यक्त करती है।माँ के मांडनेका संदर्भ यह दर्शाता है कि पारंपरिक कला में भी जीवन का उत्सव छिपा होता है। सफ़ेद लकीरों का नाचना आदिवासी संस्कृति की जीवंतता को प्रकट करता है।खुशीमें स्याह का हल्दी के रंग में बदलना यह दिखाता है कि जीवन की दृष्टि कितनी परिवर्तनशील होती है। सूखे पेड़ से गिरते पीले पत्ते का प्रेम में डूबना, जीवन के नाजुक क्षणों को दर्शाता है।उदास मौसममें हरे रंग की कमीऔर किसान की आँखों में फसल के लिए चिंताहमें वास्तविकता की कठोरता का एहसास कराते हैं।नीला समुद्रधैर्य का प्रतीक हैजो जीवन की गहराई और स्थिरता का प्रतीक है।सुर्ख रंगउपद्रव और आंसुओं के संगम को दर्शाते हैंयह बताते हुए कि कितनी बर्बादी के बाद भी मानवता की संवेदनाएँ जीवित रहती हैं।केसरिया और हरियालीका संदर्भ यह बताता है कि रंगों का वास्तविक अर्थ खो गया है। सब रंग एक दूसरे में घुलते जा रहे हैंजो हमारी वास्तविकता की अनिश्चितता और विकृति को दर्शाता है।कविता में रंगों का यह खेल जीवन के उतार-चढ़ाव, जश्न और दुःख के बीच के संबंध को दर्शाता है।
“संक्रमण काल” कविता जीवन के दुःख और संघर्ष को प्रस्तुत करती है। “वन्दना”से “गीत”में परिवर्तन एक अद्भुत यात्रा को दर्शाता हैजहां साधारण भावनाएँ भी गहराई और अर्थ में बदल जाती हैं। “आकाश रुदालियों के क्रंदन से भर जाताहै”इस पंक्ति में व्यापक दुख का संकेत मिलता हैजैसे कि समाज में चल रहे संघर्ष और पीड़ा का प्रभाव चारों ओर फैलता जा रहा है। “सलीब पर कौन चढ़ गया”की अनिश्चितता यह बताती है कि पीड़ा और त्याग का वास्तविक रूप अक्सर हमारे सामने स्पष्ट नहीं होता। आंसुओं के परदे के पीछे छिपी सच्चाई को पहचानना मुश्किल होता है।कविता संक्षिप्त होते हुए भी गहरे भावनात्मक अनुभव को प्रकट करती हैजो एक संक्रमण काल में हो रहे बदलावों और भावनाओं को दर्शाती है। यह जीवन की जटिलताओं को बखूबी दर्शाती है।
“जहर पीते हुए” कविता गहरे अर्थों के साथ जीवन के दुःख, विश्वासघात और आत्म-समर्पण की खोज को व्यक्त करती है।पहली घूँटके साथ स्मृतियों का मिटना एक दिलचस्प विचार हैजहां व्यक्ति अपनी पीड़ा को भुलाने के लिए जहर का सहारा लेता है। यह दिखाता है कि दर्द को भुलाने के लिए कभी-कभी हम अपने अस्तित्व के महत्वपूर्ण हिस्सों को भी छोड़ देते हैं। “औषधि की तरह काम करता होगा जहर”की पंक्ति यह दर्शाती है कि कभी-कभी बुरी चीजें भी हमें राहत देती हैंभले ही वो अस्थायी क्यों न हो। यह हमारे मन की जटिलता को उजागर करता हैजहां दर्द और राहत एक दूसरे से जुड़ते हैं।इन्द्रियों की चिंता न करनाउस व्यक्ति की गहरी निराशा को दर्शाता है जो बेस्वाद दुनिया से मुक्ति की तलाश में है। ऐसे में स्वाद का पता नहीं होनाजीने की जद्दोजहद में खोई हुई संवेदनाओं को दिखाता है। “मीठे होते हैं जहर”का विचार यह बताता है कि कभी-कभी विश्वासघात भी उतना स्पष्ट नहीं होता। व्यक्ति जब तक उस दर्द का सामना करता हैतब तक वो अपने अनुभव की गहराई में खो जाता है।अंत में “किसी दुनियादार को”की पंक्ति यह संकेत देती है कि जो लोग जीवन की वास्तविकता से वाकिफ हैंवे इस जहर का सही स्वाद नहीं समझ पाते।कविता जीवन के जटिल और विषाक्त अनुभवों को बखूबी व्यक्त करती है।
“चाकू” कविता में एक साधारण उपकरण के माध्यम से जीवन के गहरे पहलुओं को व्यक्त किया गया है। “हत्या ही नहीं करता किसी की”से शुरुआत करते हुए, चाकू की बहुपरकारी भूमिका को दिखाया गया है। यह न केवल शारीरिक रूप से काटता है, बल्कि रचनात्मकता के लिए भी आवश्यक है। “पेंसिल की नोक बना लेता है”से यह संकेत मिलता है कि चाकू कला और सौंदर्य की प्रक्रिया में भी महत्वपूर्ण है। “कटता है जब तरबूज”का उदाहरण मिठास और जीवन के सुखद क्षणों को दर्शाता है, जो कि किसी कठिनाई के बाद भी संभव हो सकते हैं। “पीड़ा की गांठें”और “बीमार हिस्सा”की चर्चा यह बताती है कि कभी-कभी हमें उन चीज़ों को काटना पड़ता है जो हमारे लिए हानिकारक हैं।अंत में, “दुनिया के खराब हो गए अंगों को काट फेंकने के लिए”से यह स्पष्ट होता है कि चाकू का उपयोग नकारात्मकता और समस्याओं को समाप्त करने के लिए भी आवश्यक है।
“संत बसंत” कविता में बसंत ऋतु की आनंददायक और मधुर छवि को जीवंत किया गया है। शब्दों का चयन और उनकी लय ने इसे और भी आकर्षक बना दिया है।बसंत की मधुरता, उसकी खुशबूऔर उसमें छिपे प्रेम के भाव को आपने बहुत अच्छे से व्यक्त किया है। यह ऋतु सच में एक जादू सा अनुभव लाती है, जैसे कवि आप ने लिखा है – “इश्क में डूबा फकीर”।
“हुसैन की दुनिया में” गहराई और संवेदना से भरी हुई है। इसमें ब्रजेश जी ने न केवल कला के माध्यम से जीवन की विविधता को प्रस्तुत किया है, बल्कि उसमें भारतीय संस्कृति और लोक जीवन के तत्वों को भी खूबसूरती से समेटा है।हुसैन की कलाकारी, जिसमें मातृत्व, करुणा, और संघर्ष का चित्रण किया गया है, अद्भुत तरीके से भावनाओं को जगाती है। “नीली नदी” और “गौ माता” के प्रतीक से कवि ने इस रचना को सुन्दर स्पर्श दिया है। चित्रकार की विशेषताओं को दर्शाते हुए ब्रजेश जी ने उनकी कला के विभिन्न पहलुओं को जीवंत रूप में पेश किया है, जैसे नर्तकी के घुंघरू और घोड़ों की शक्ति। यह सब कुछ मिलकर एक ऐसा दृश्य बनाता है जो ना सिर्फ देखने में बल्कि महसूस करने में भी अद्वितीय है।
“कभी-कभी“ रचना में भावनाओं की एक गहराई है, जो बादलों, बारिशऔर प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाती है। जैसे बारिश की बूंदें पत्तों को भिगोती हैं, वैसे ही प्रेम की हलचल दिल को छू जाती है।बांसुरी की धुन का उल्लेख एक अद्भुत वातावरण बनाता है, जिससे कविता में संगीत का अहसास होता है। सूरज का पश्चिम से निकलना, एक नई शुरुआत का प्रतीक है।
“अलाव” एक प्रतीकात्मक कविता है, जो न केवल बाहरी ताप को दर्शाता है, बल्कि भीतर के संघर्ष और आशा को भी उजागर करता है। जश्न और उल्लास के बीच निराश व्यक्ति अपने दुखों को भुलाने की कोशिश कर रहा है, जो जीवन की सच्चाई है।कविके शब्दों में अलाव की आंच का जो जादू है, वह हमें यह याद दिलाता है कि मुश्किल समय में भी उम्मीद की एक किरण होती है। मन के अंधेरों को रोशनी से भरने की कोशिश एक बेहद प्रेरणादायक संदेश है।यह कविता बहुत गहराई से भावनाओं को छूती है। उजाले में खुश होने का अहसास और दुख के घटाटोप का सामना करना, जीवन की दोहरी सच्चाई को बखूबी व्यक्त करता है। पूर्णिमा का अंधेरा एक प्रभावशाली रूपक है, जो यह बताता है कि कभी-कभी खुशी के क्षण भी छायाओं से भरे होते हैं।अलाव का रात में सुलगना और चिंताओं का दिन में जलना, हमारे मानसिक संघर्षों की एक बेहद सटीक तस्वीर पेश करता है। ये पंक्तियाँ यह दर्शाती हैं कि कैसे हम अपनी खुशियों के बीच भी चिंताओं को ढोते हैं।ब्रजेश जी की लेखनी में गहराई और संवेदनशीलता है, जो पाठकों को सोचने पर मजबूर करती है।यह कविता बहुत सशक्त और जीवंत है। कविने प्राकृतिक तत्वों को मित्रता के प्रतीक के रूप में पेश किया है, जो सुख-दुख के हर पल में हमारे साथ होते हैं। पानी, हवा, मिट्टी, और आकाश – ये सभी जीवन के अनिवार्य हिस्से हैं और हमारी भावनाओं का अक्स भी।चिता और अलाव का संदर्भ, जीवन के अंत और शुरुआत दोनों को एक साथ दर्शाता है। ये पुरानी दोस्ती हमें यह एहसास कराती है कि चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों, ये तत्व हमेशा हमारे आस-पास होते हैं, हमें सहारा देते हैं।कवि की यह रचना जीवन के सरल, लेकिन गहन सच को उजागर करती है।
“हरी ऊब” कविता में गहराई और सौंदर्य का अद्भुत संगम है। ऊब की क्यारी में संवेदनाओं की नमी और विचार की उष्मा का उपयोग एक खूबसूरत रूपक है। यह दर्शाता है कि जब मन में नकारात्मकता होती है, तब भी नई संभावनाएं उभर सकती हैं।कविता के फूलों का खिलना मन के बगीचे में, इस बात का प्रतीक है कि कैसे रचनात्मकता और भावनाएं मुश्किल समय में भी जन्म ले सकती हैं। यह एक प्रेरणादायक दृष्टिकोण है, जो हमें यह याद दिलाता है कि हर स्थिति में कुछ सकारात्मक खोजा जा सकता है।
“कायर आदमी” रचना में कवि ने जिस तरह से कला और साहित्य की शक्ति को दर्शाया है, वह बेहद प्रभावशाली है। यह कायरता केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि एक सामूहिक समस्या का भी प्रतीक है – जहाँ असहमति और सच्चाई को दबाने के लिए हिंसा और आतंक का सहारा लिया जाता है।कवि ने हथियारों के बजाय कविता को एक प्रकार की शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया है, जो कायरों के लिए असहनीय होती है। थियेटरों का जलना, रंगकर्मियों का प्रताड़ित होना, और साहित्य की हत्या – यह सब हमारे समाज में हो रही उन समस्याओं को उजागर करता है जहाँ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में है। यह कविता कथात्मकता के साथ जिस तरह से अपने पूरे यथार्थ को चित्रित करती है उससे काव्य की नई अनुभूति होती है। यही कविता का सौंदर्य है।
“छौंक” कविता में गहरी संवेदनशीलता और सामाजिक चेतना का समावेश है। कवि ने एक सामान्य सी जीवन की तस्वीर को बखूबी उकेरा है, जिसमें पड़ोसी, परस्पर संबंधऔर प्राकृतिक जीवन का जिक्र है। यह चित्रण एक सामुदायिक अहसास को दर्शाता है, जहां हर चीज एक-दूसरे से जुड़ी हुई है।छोंक रचना में “ये कौन-सा छोंक लगाया है / कि धुँआ-धुँआ सा हो गया है चारों तरफ” कवि की चिंता अभिव्यक्त होती है। रामचरण की बगीची और सलीम की बकरी के संदर्भ में, ब्रजेश जी उस हिंसा और विभाजन को उजागर कर रहे हैं, जो कभी-कभी छोटी-छोटी बातों पर भी भड़क उठता है। यह दिखाता है कि कैसे समाज में नफरत और असहिष्णुता फैलने लगती है, जिससे मानवीय संबंधों को नुकसान पहुंचता है। “छौंक” का संदर्भ भी अद्भुत है, जैसे किसी समस्या का अचानक आग लगना – यह धुंआ, जो चारों ओर फैलता है, हमारी संवेदनशीलता और मानवता को खतरे में डाल देता है।
“नक्शे में कैलिफोर्निया खोजता पिता” कविता एक गहन भावनात्मक यात्रा को प्रस्तुत करती है। पिता का अपनी बेटी के लिए चिंता और प्रेम, जो दूरी और समय के बावजूद कायम है, बहुत ही संवेदनशीलता से व्यक्त किया गया है।नक्शे के माध्यम से कैलिफोर्निया की खोज करना एक प्रतीक है, जो सिर्फ भौगोलिक दूरी को नहीं, बल्कि भावनात्मक और सामाजिक दूरी को भी दर्शाता है। पिता की जिज्ञासा – जलवायु, फसलें, मौसम – यह सब इस बात का संकेत है कि वह अपनी बेटी के जीवन में होने वाले परिवर्तनों को समझना चाहते हैं।बेटी की आवाज का “दसवीं कक्षा में पढ़ी कविता” के साथ जोड़ना यह दर्शाता है कि पिता की यादों में उसकी मासूमियत और बचपन की छवियाँ अब भी ताजा हैं। पिता का हाथ बेटी के माथे तक पहुंचने का चित्रण एक गहरी भावनात्मकता का प्रतीक है, जो प्यार और सुरक्षा का अहसास कराता है।
संग्रह की कविता “चीख” एवं “गारमेंट शो रूम में” व्यंग्य है क्योंकि कवि एक व्यंग्यकार भी है। कवि के पांच व्यंग्य संग्रह भी प्रकाशित हो चुके हैं। “आभासी दुनिया में“, “चीख” आदि कविताओं में ब्रजेशजी कला और साहित्य के प्रति व्यथित दिखते हैं। “बेटी का आना” कविता की पंक्तियाँ “रात को आई है सुबह की तरह / लगता है गई ही नहीं थी कभी यहां से” बेटी के घर आने पर उनके द्वारा लिखी गई कविता बेटी के प्रति एक पिता के लगाव को महसूस कराती है। “गारमेंट शो रूम में” कविता में उपभोक्तावादी संस्कृति की चकाचौंध पर गहरा कटाक्ष है। इस कविता में कवि कहते है “जगमगाते जंगल में कटे सरों के भूत / अपनी टांगों की तलाश में हेन्गरों पर अनगिनत लटके थे।” “गिनती”, “बाढ़”, “फाँस” कविताओं में कवि के मन के भीतर चल रही उठा पटक महसूस की जा सकती है।
ब्रजेश जी एक सजग कवि हैं। वे अपने आसपास के वातावरण, परिवेश तथा व्यवस्था पर अपनी पारखी नज़र रखते हैं। वे अनछुए पहलूओं पर दृष्टिपात कर अपनी कविताओं में अभिव्यक्त करते हैं। “धार फूलों की” कविता संग्रह ब्रजेश कानूनगो के अनुभवों से सृजित उत्कृष्ट काव्य रचनाओं से समृद्ध है। इस संकलन की कविताओं में सौन्दर्यानुभूति, प्रेम, व्यथा, आकांक्षाओं-अपेक्षाओं इत्यादि की अभिव्यक्ति है। कवि के पास दृष्टि की गहराई और जीवन की व्यापकता है। वे कविता और गद्य दोनों में सामर्थ्य के साथ अभिव्यक्त करने वाले रचनाकार हैं। ब्रजेशजी की लेखनी का कमाल है कि उनकी रचनाओं में वस्तु, दृश्य, संदेश, शालीनता और मर्यादा सभी मौजूद है एवं उनके कहने का अंदाज भी निराला है क्योंकि वे एक व्यंग्यकार भी है। ब्रजेश जी की कविताओं में गहरी सोच, वैचारिक सूझ एवं उनकी अपनी शालीनता प्रतिबिंबित होती हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कविता ब्रजेश जी की आत्मा में रची-बसी है। कवि की रचनाओं में आदि से अंत तक आत्मिक संवेदनशीलता व्याप्त है। संग्रह की रचनाएं ह्रदय में गहरे चिन्ह छोड़ जाती है। कवि की रचनाओं में जीवन के तमाम रंग छलछलाते नज़र आते हैं। संग्रह की सभी कविताएं कथ्य और शिल्प के दृष्टिकोण से नए प्रतिमान गढ़ती है। “धार फूलों की” न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन का उत्कृष्ट प्रकाशन है। 118 पृष्ठ का यह कविता संग्रह आपको कई विषयों पर सोचने के लिए मजबूर कर देता है। यह काव्य संग्रह सिर्फ़ पठनीय ही नहीं है, संग्रहणीय भी है। आशा है कि “धार फूलों की” कविता संग्रह का साहित्य जगत में स्वागत होगा।