Sunday, September 8, 2024
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डॉ आरती कुमारी की ग़ज़लें

ग़ज़ल 1
एक ही राह के मुसाफ़िर हैं
तू है जादू तो हम भी साहिर हैं
हमको मत ढूंढिए ज़माने में
हम तुम्हारे ही रुख़ से ज़ाहिर हैं
जान लेते हैं हाल हम दिल का
इस हुनर में बड़े ही माहिर हैं
हम ही अव्वल हैं इस कहानी में
और हम ही तुम्हारा आख़िर हैं
इतने मासूम हैं कि क्या कहिये
सबको लगता यही कि शातिर हैं

ग़ज़ल 2

दास्तां इश्क़ मुहब्बत की सुनाने वाले
खो गए जाने कहाँ पिछले ज़माने वाले
क़समो- वादों की रिवायत है अभी तक लेकिन
लोग मिलते ही नहीं इसको निभाने वाले
ज़िंदगी क्या है समझता नहीं कोई लेकिन
मौत आती है तो रोते हैं ज़माने वाले
मेरी ग़ज़लों की तरह मुझको भी गाओ तो कभी
ऐसे मौसम भी कहाँ लौट के आने वाले
‘आरती’ इल्म की दहलीज़ पे आँखों के चराग़
ये अंधेरों में भी हैं राह दिखाने वाले

डॉ आरती कुमारी
आज़ाद कॉलोनी रोड 3 माड़ीपुर
मुजफ्फरपुर 842001
संपर्क – [email protected]
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1 टिप्पणी

  1. अच्छी गजलें हैं आरती जी आपकी! शेर जो अच्छे लगे-

    ग़ज़ल 1
    जान लेते हैं हाल हम दिल का
    इस हुनर में बड़े ही माहिर हैं

    ग़ज़ल 2

    ज़िंदगी क्या है समझता नहीं कोई लेकिन
    मौत आती है तो रोते हैं ज़माने वाले

    ‘आरती’ इल्म की दहलीज़ पे आँखों के चराग़
    ये अंधेरों में भी हैं राह दिखाने वाले

    बधाइयां आपको।

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