फ़िल्म ‘कल्कि 2898AD’ अद्भुत है, आप को एक ऐसे कल्पना लोक में ले जाएगी, जहाँ आप अभिमंत्रित हो उसका हिस्सा बन जाएंगे। फ़िल्म की तकनीक, सेट, कलाकारों की एक्टिंग सब कुछ उम्दा है। इसे 3D में ही देखें, यदि पूरा आनंद लेना है तो..
फ़िल्म तो लेखक की कल्पना है, कल्कि अवतार या कलयुग, सनातन धर्म की मान्यताओं का हिस्सा है।
यदि आप आधुनिक जीवन, जो विज्ञान की देन है, उस पर आस्था रखते हैं, तब भी यह फ़िल्म उस भयावह सच से हमारा साक्षात्कार करवाती है, जो महज़ कुछ सदी बाद हमारी आने वाली पीढ़ियाँ भोगने वाली हैं।
गंगा जी का उद्गम गोमुख ग्लेशियर पिछले 30 साल में बहुत पीछे सरक गया है, गंगाजी में अभी तो जल है पर भविष्य में निश्चित ही नहीं रहेगा। अन्य इतिहास में वर्णित नदियों की तरह ये भी विलुप्त हो जाएगी
ये फ़िल्म उस भविष्य के काशी को दिखाती है, जहां कभी गंगा जी का अस्तित्व था। पानी, पृथ्वी से लगभग समाप्त हो चुका है; वन सम्पदा, खेत उपवन सब कुछ नष्ट हो चुके हैं…
मानव, जीवन जीने के लिए संघर्ष कर रहा है।
ये फ़िल्म महाभारत से आरम्भ होती है। अश्वत्थामा को भगवान श्री कृष्ण का श्राप… “तुम इस धरा पर हमेशा रहोगे, जब तक कलयुग के अंत में भगवान कल्कि का अवतरण नहीं होता।”
अमिताभ का अभिनय, अश्वत्थामा के रूप में देखते बनता है। द्वापर युग में मनुष्य की ऊँचाई लगभग नौ फ़ीट होती होती थी। अमिताभ की हाईट, इस फ़िल्म में यही दिखाई गयी है।
चूँकि ये कहानी 2898AD की है, यानि जब कलयुग के लगभग छह हज़ार वर्ष बीत चुके होंगे, उस समय का विज्ञान, आज से कई गुना विकसित है, किन्तु पृथ्वी का पर्यवारण नष्ट हो चुका है।
पुराणों में वर्णित कलयुग का वो अंतिम दौर है, भगवान कल्कि के अवतरण का समय…। भगवान इस फ़िल्म की नायिका दीपिका गर्भ के आ चुके हैं और कंस की तरह आसुरी शक्तियाँ उन्हें मारना चाहती हैं।
फ़िल्म का अंत नहीं हुआ है, कारण निश्चित ही इसका ˈसीक्वल्’ (sequel),बनेगा और कहानी आगे बढ़ेगी। आशा है कि जो इस फ़िल्म के दर्शक हैं, वो उसे अवश्य देखेंगे। कारण है, रहस्य व रोमांच, अब आगे क्या होगा?
कैसे कल्कि भगवान का अवतरण होगा? कैसे अश्वत्थामा गर्भ में उन्हें धारण कर चुकी सुमति (दीपिका) की रक्षा करेंगे।
मूलतः ये एक तेलगु फ़िल्म है, इसलिए हिन्दी में कहीं-कहीं संवाद बनावटी लगते हैं, प्रभावशाली नहीं लगते, हास्य के सीन में हंँसी नहीं आती, अच्छा होता हिन्दी दर्शकों के लिए कुछ सीन व संवाद अलग से तैयार किए जाते। पर ये छोटी कमियाँ हैं।
सेट तकनीक और भव्यता.. किसी भी हॉलीवुड फ़िल्म से कम नहीं, अवश्य देखें।
हमारी ओर से दस में दस।
– संजय अनंत
कल्की फिल्म ……सबका अपना अपना नजरिया है कौन किस नजरिये से देख रहें हैं कहानी में कुछ भी दम नही है। दस मेसे तीन भी नंबर नहीं दे सकते हैं
.. बाकी सभी समझदार है… जय हो..
अच्छी समीक्षा। पढ़ने के बाद पिक्चर को देखने का मन बना। वैसे फिल्म देखने के बाद ही समझ में आती है। संजय जी को बधाई।