Sunday, September 8, 2024
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डॉ. विदुषी शर्मा की कविता

यह नदियों का मुल्क है,

पानी भी भरपूर है।

बोतल में बिकता है,

पन्द्रह रुपये शुल्क है।

:

यह गरीबों का मुल्क है,

जनसंख्या भी भरपूर है।

परिवार नियोजन मानते नहीं,

नसबन्दी नि:शुल्क है।

:

यह अजीब मुल्क है,

निर्बलों पर हर शुल्क है।

अगर आप हों बाहुबली,

हर सुविधा नि:शुल्क है।

:

यह अपना ही मुल्क है,

कर कुछ सकते नहीं।

कह कुछ सकते नहीं,

बोलना नि:शुल्क है।

:

यह शादियों का मुल्क है,

दान दहेज भी खूब हैं।

शादी करने को पैसा नहीं,

कोर्ट मैरिज नि:शुल्क हैं।

:

यह पर्यटन का मुल्क है,

रेलें भी खूब हैं।

बिना टिकट पकड़े गए तो,

रोटी कपड़ा नि:शुल्क है।

:

यह अजीब मुल्क है,

हर जरूरत पर शुल्क है।

ढूंढ कर देते हैं लोग,

सलाह नि:शुल्क है।

:

यह आवाम का मुल्क है,

रहकर चुनने का हक है।

वोट देने जाते नहीं,

मतदान नि:शुल्क है।

:

यह शिक्षकों का मुल्क है,

पाठशालाएं भी खूब है,

शिक्षकों को वेतनमान देने के पैसे नहीं,

पढ़ना,खाना,पोशाक निःशुल्क है।

डॉ. विदुषी शर्मा
डॉ. विदुषी शर्मा
इग्नू में अकादमिक काउंसलर हैं. सम्पर्क - [email protected]
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