Tuesday, September 17, 2024
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पारमिता षड़ंगी की दो कविताएँ

1 – फिर से आरंभ
एक अनजानी दुनिया में
शब्दार्थौं के लक्ष्य हीन भ्रमण
कालांतर से टुकड़े टुकड़े होकर
गिरनेवाले मुहूर्त के भग्नावशेषों में
आज भी जिंदा है
सिर्फ रानी नफ़र्तीती के नाम का अक्षर
स्पष्टता में कितनी अनिश्चितता
मेरी आँखो के रेटिना में
मैं नहीं होता हूँ
कमरे के उजाला में दिन नहीं,
दिन का भ्रम होता है
मैं नीरव रहता हूँ
मेरी कविता भी गायब हो जाती है
मैं असमर्थ हो जाती हूँ
प्रश्न का उत्तर देने मैं और
मेरी भाषा का बखान करने में
एक रंगमंच की लौकिक भूमिका की वास्तविकता को
समझने कि क्षमता चरित्र को होती है क्या?
मेरी कविता हो या न हो
कुछ होना और न होने के बीच
अपनी कल्पना को फिर से गढ़कर
भागवत के शब्दों की तरह
उच्चारण कर रही हूँ दृश्यों को
तब जाकर स्वच्छता की प्रतिफलन
की तरह मेरे शब्द सारे
स्वतंत्र होतें है
लिपिबद्ध के लिए
मैं फिर से आरंभ होती हूँ
ख़त्म होने के बाद भी।
2 – पिंजरा
तुम्हें जीना है ,
शायद इसीलिए
मुझे एक सुबह दे दिया ।
लेकिन रात के लिए…
धीरे से हाथ उठालिया
अजीव सहनशक्ति होती है इन्सानों में
तकलीफ़ों से उत्तर ढूंढ कर
दे दिया है
सिर्फ तुम्हें खुश करने के लिए ।
कभी कभी परछाई
आगे चलने लगती है
सामना न कर सको तो
मुँह फेर कर चलना पड़ता है ,
सही या ग़लत ,
वक्त कहाँ है पता करने के लिए ?
सुना है प्यार करने की रसिकता
नहीं है तुम्हारे पास ,
मगर बर्बाद तुम क्या खूब करते हो
क्या यह सच नहीं है कि
घड़ी बन्द हो जाने पर
समय निकल जाता है पिंजरे से ।
हे ! मेरे जीने का वक्त
कैदियों की कतार में
तुझसे मिलता हूँ
फिर भी कुछ बोलना था,
कुछ शब्दों को माँगना था ।
नदी किनारे रात को फिसलने के बाद
देह से पक्षी के उड़ने के बाद
एक कविता भेंट करना
एक सबेरा भेंट करना
फिर कुछ दिन जीने की
तकलीफ़ों से भरा
राह पर चलने के लिए।

पारमिता षड़ंगी
ओड़िआ साहित्य जगत में पारमिता षड़ंगी एक सुपरिचित नाम हैं । वह अपनी आँचलिकता में सशक्त स्त्री – कथाकार एवं कवयित्री ही नहीं, कुशल ओड़िआ भाषानुवादक भी हैं।नारी मनस्तत्व की विष्लेषण , सूक्ष्म अवबोध की अन्वेषण तथा एक बलिष्ठ कहानी के आधार – उनकी कहानियों को अलग परिचय देतें है। जीवनवादी कहानीकार होते हुए भी पारमिता की कविताएँ चेतना और मानसिकता को खूब प्रभावित करती हैं। हिन्दी और ओड़िआ भाषा में कहानी, कविता लेखन में उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उनकी रचनाएँ भारत के विभिन्न क्षेत्रों और विदेश में भी प्रकाशित हुई है।
मो -9867113113
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