Tuesday, September 17, 2024
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दिलीप कुमार का व्यंग्य – और क्या चाहिए

भले ही प्रेम, अफेयर, लिव -इन रिलेशनशिप,लांग डिस्टेंस रिलेशनशिप,प्लूटोनिक लव तथा साहचर्य के विभिन्न विकल्प मौजूद हों मगर आज भी भारतीय परिवेश में शादी बेहद जरूरी मानी जाती है । ऊर्दू के एक उस्ताद राइटर ने फरमाया था कि “इश्क का ताल्लुक दिल से होता है मगर शादी -विवाह का ताल्लुक तनखाहों से होता है “। पहले शादी- विवाह अपने ही परिवेश में अपने ही नातेदार – रिश्तेदार लगाया करते थे । अब यह काम विवाह की वेबसाइट करवाया करती हैं । अपने परिवार को विवाह खोजने के अंतहीन थकाऊ काम से उद्धार करने के लिए तथा विवाह जैसे जरूरी सामाजिक जिम्मेदारी को निभाने के लिए एक तरुणी ने अपने परिवार वालों को वर खोजने का कष्ट न देने का निर्णय किया । युवती ने वर खोजने के  पारंपरिक तरीकों को दरकिनार कर वरमाला डाट काम पर एक युवक को स्पाट किया और उससे प्रणय हेतु चर्चा शुरू की।
युवती– “ आपने शादी के लिए एड दिया है ना, आप विवाह करना चाहते हैं ? सच में विवाह करके घर-गृहस्थी बसाना चाहते हैं या सिर्फ टाइमपास टाइप की बातें सोच रहे हैं”।
युवक –   “ नहीं-नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं है टाइमपास वगैरह की बात मत कहिये। मैं सच में विवाह करके अपना जीवन बसाना चाहता हूं। काफी सीरियस हूँ इसको लेकर। आप अपनी बताएं ”।
युवती –   “मैं जल्द ही विवाह करना चाहती हूँ। इसीलिये मैं बहुत लोगों से मिल रही हूँ पर अभी तक कोई ढंग का लड़का मिलता ही नहीं। सही लड़का मिलते ही मैं तुरन्त शादी कर लूंगी”।
युवक  –  “हाँ, इस लेवल पर आप किसी से कनेक्ट हों और उसके साथ बॉन्डिंग हो जाये तो सब कुछ आसानी से सार्ट आउट हो जायेगा । एक बार जब किसी से कनेक्ट हो जाएंगी तो उसके साथ कम्फर्टेबल भी हो जाएंगी। जब कम्फर्टेबल हो जायेंगी तो शादी की बात अपने आप सही दिशा में आगे बढ़ जाएगी”।
युवती –
“कोई कनेक्ट-वनेक्ट नहीं करना मुझे। मुझे ये लव ,अंडरस्टैंडिंग ,बॉन्डिंग के झमेले में नहीं पड़ना। लव वगैरह का अंजाम देख चुकी हूं मैं। अब मेरी कुछ छोटी सी कंडीशन्स हैं उन्ही पर बात होगी ,वह पूरी होगीं तो शादी होगी”।
युवक ने मन में लड्डू फूटे। उसने कहा –
“बताइये आपकी नजरों में सही और ढंग का लड़का होने की क्या डेफनीशन है”?
युवती –
पहली बात तो लड़के की अच्छी आमदनी हो।अपना खुद का घर हो,रेंट पर न रहता हो। उसका फैमिली बैकग्राउंड स्ट्रांग हो,मेरा मतलब है कि पुरखों की जमीन -जायदाद भी हो। मुझे हर फैसला लेने की निजी तौर पर आजादी हो और मेरी  प्राइवेट लाइफ में मुझे अपने हिसाब से हर डिसीजन लेने की फ्रीडम हो। हाउस मेड के अलावा खाना बनाने वाली एक अलग नौकरानी हो ।साल में  दो बार लांग ट्रिप और दो शार्ट ट्रिप की वेकेशन हो। लड़का मुझे जॉब करने के लिए फोर्स न करे। मुझसे अकड़कर या तेवर से बात न करे और दहेज की बात तो हर्गिज नहीं होनी चाहिए। लड़का मेरे पास्ट या एक्स के बारे में मुझसे क़भी कोई बात न करे। उस लड़के का कोई अफेयर नहीं होना चाहिए । मुझे शादी के बाद तुरंत बच्चा पैदा करने को फोर्स न करे और हां इनलॉज की मेरी मैरिड लाइफ में दखलंदाजी बिल्कुल नहीं होनी चाहिये। बस यही सब छोटी-छोटी कंडीशन्स हैं मेरी तरफ से”।
युवक –     “ बस यही कंडीशन्स हैं या और भी कुछ हैं”?
युवती –  “ नहीं, इन छोटी -मोटी बातों के अलावा बाकी चीजें मैं एडजस्ट कर लूंगी। लेडीज को शादीशुदा ज़िंदगी में एडजस्ट तो करना ही पड़ता है”।
लड़का – ओह, आप तो बेहद डाउन टू अर्थ लेडी हैं ।आपकी कंडीशन्स तो बहुत कम हैं । आजकल तो शादी में लोग बड़ी -बड़ी कंडीशन्स लगाते हैं शादी में। वैसे अगर लड़के की भी कुछ कंडीशन्स हो तो ? लड़के की कौन कौन सी कंडीशन्स आप मान सकती हैं” ?
युवती –  “पागल हो क्या तुम ? मैं लड़के से शादी कर रही हूं ये क्या कम है । और क्या चाहिए उसे” ?
युवक – “ शादी तो लड़का भी कर रहा है न तुमसे । जब लड़का तुम्हारी इतनी कंडीशन्स मान रहा है तो तुम्हे भी उसकी कुछ कंडीशन्स  माननी चाहिए। क्या तुम लड़के की कोई भी कंडीशन नहीं मानोगी”?
युवती – 
“तुम सच में  पागल हो क्या ? मैं कहे जा रही हूँ और तुम बिल्कुल भी नहीं समझते। अरे मैं शादी कर रही हूँ न उससे। उसे और क्या चाहिए” ?
युवक – “ फिर भी, कुछ तो लड़के की भी कंडीशन्स मानने को तुम्हे सोचना चाहिये”।
युवती –  “शट अप। तुम शादी को लेकर बिल्कुल भी सीरियस नहीं हो। तुम सिर्फ रिश्तों को टाइमपास समझते हो। मैं तुम जैसे लड़कों को खूब समझती हूँ । तुम्हारे लिए शादी एक खेल की तरह है । मगर मैं शादी को बेहद सीरीयसली लेती हूँ । कोई खेल या बिजनेस डील नहीं है मेरे लिये शादी। मैं और लड़कियों की तरह नहीं हूँ । अगर शादी की बात करनी हो और सीरियस हो तो आगे बात की जाए।  अगर  सिर्फ टाइमपास की बातें करनी हो तो ब्लाक कर दूंगी ,समझे”।
युवक – “ समझ गया दीदी”।
युवती-   “शटअप । दीदी होगी तेरी मां। एक नम्बर का लोफर है तू, फ्राड है तू । यू क्रेप, रुक तू अभी ।तेरी कम्प्लेन करती हूँ तुझे पुलिस से पकड़वाती हूँ । यू डर्टी माइंड, नानसेंस ” यह कहते हुए युवती ने ब्लाक कर दिया।
युवक स्तब्ध और अवाक हो गया उसके दिमाग में बस एक ही बात गूंज रही थी “और क्या चाहिए “।
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2 टिप्पणी

  1. अभी तक आपके जितने भी व्यंग्य हमने पढ़े हैं दिलीप जी; उनमें यह सर्वश्रेष्ठ लगा और ऐसा नहीं है कि यह गलत है, बिल्कुल 100% सही है। एक वक्त था कि लड़के लड़कियों पर भारी पड़ते थे लेकिन इस समय लड़कियाँ लड़कों पर भारी पड़ रही है। लड़की की डिमांड सुन के जोर-जोर से हँसने का मन हुआ पर हम अकेले थे और हंसने के लिए कोई साथ चाहिए होता है ,मजबूरी में मुस्कुराने से काम चलाया। इस तरह के कई अनुभव अभी-अभी हमको हुए अपने भतीजे के लिए लड़की ढूंढते हुए।
    इसी चक्कर में इस पीढ़ी में कई लड़के और लड़कियां कुंवारे बैठे हैं।
    यह अनुभव तो हमने अपने समाज से लिया है।
    आने वाला समय हर लिहाज से ही बहुत कठिन होने वाला है, विशेष तौर से माता-पिता के लिए।
    बधाई आपको इस व्यंग्य के लिये।

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