Tuesday, October 22, 2024
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डॉ. मोनिका देवी की कहानी – तड़पती जिंदगी

मै आज बाहर बालकनी में बैठी हुई  थी, अचानक मुझे मेरी दोस्त विशाखा की याद गई  देखने में सुंदर,पढ़ने में अव्वल,आने वाली लड़की की जिंदगी, क्या इतनी खौफनाक होगी, इसका अंदाजा किसी को भी नहीं  था |
मैं बात उन दिनों से शुरू करूंगी  ज़ब वह मेरे साथ एम मे पढ़ती थी,तभी उसके पिताजी ने उसके विवाह की बात चलाई,उसने शरमाते हुए अंदाज में अपनी बात की,वह अपनी शादी की बात हम सभी दोस्तों को बता रही थी| वह शादी के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी |
एक दिन अचानक विशाखा क्लास नहीं आई, फिर धीरे धीरे यह सिलसिला बढ़ने लगा|हफ्ते में कभी एक बार कभी हफ्ते में दो बार छुट्टी उसकी होने लगी,हमारे पास उस समय फोन भी नहीं था जो उससे फोन करके पूछ सके कि क्या कारण है | वह एक महीने बाद क्लास अटेंड करने आती है, मांग में सिंदूर, हाथों में लाल चूड़ा पहने क्लास में प्रवेश करती है|
पूरी क्लास  एकटक उसको देखते रह गई, फिर वह अचानक आकर मेरे पास बैठ गई क्लास खत्म होने के बाद हम सब कैंटीन में गई वही उसे इस सब बारे में बातचीत हुई! उसने बताया उसकी सौतेली मां है!
मां के कहने पर ही पिताजी ने उसकी शादी जल्दी कर दी   बसइतना ही बोल पाई थी कि रोने लगी!
मै भी उसके दर्द को कब अपना समझने लगी पता नही लगा! वह रोते रोते अपनी बात कहती गयी हम सब सुनते गए, इसी कारण हम सबने क्लास भी  छोड़ दी!! विशाखा को चुप कराकर सबने कुछ खाने के लिए मगवाया लेकिन मुझे भूख नही थी .. आज घर आकर विशाखा की सारी बात माँ को बताई और मै खुद रो पड़ी!!
मेरी मम्मी बोली  बेटी सबकी जिंदगी अलग कलम से लिखी है तू क्यों रोती है, तेरे नसीब में क्या लिखा है किसी को कुछ नहीं पता!!
धीरेधीरे विशाखा से हम लोगों का संपर्क टूट गया जिसका कारण था,उसने कॉलेज में आना बंद कर दिया  था |एक अव्वल आने वाली लड़की की जिंदगी इस मोड से गुजरेगी  किसी को पता नहीं था !
आज बरसो बाद विशाखा का फोन आया  उसकी आवाज  को शुरुमें, मै पहचान नही सकी, फिर जब उसने मुझे एम. क्लास की बात याद दिलाई,तो मुझे तुरंत समझ में गया की यह विशाखा है पुरानी कैंटीन के बात आज फिर से ताजा हो गई मेरे मन में उसके विवाह के बाद क्या हुआ कैसी जिंदगी चल रही है जानने की जिज्ञासा उमड़ गई!!
विशाखा ने जब अपनी जिंदगी की बात बतानी शुरू  कि मेरे पैरो से जैसे जमीन ही सरक गई  हो….!उसका पति विशाल, विवाह के समय पढ़ा लिखा सभ्य समाज का सभ्य इंसान था |एक साल तक  वह बहुत अच्छे से रहा भी! पता नही कब उसको शराब कि लत लगी और बर्बादी का  समय शुरु हो गया?
विशाखा ने बहुत कोशिश की उसको सही रास्ते पर लाने की, लेकिन उसको विशाखा में ही कमी नजर आने लगी!!
एक समय था जब विशाखा से दुनिया में सबसे अच्छी लगती थी और आज वह ही उसकी सबसे बड़ी दुश्मन थी…!
दो  बच्चो का बाप नाली, कचरे में गिरता पड़ता फिर रहा है…!!
विशाल अपने पिता की इकलौती संतान था  पिता का पुश्तेनी घर, गाड़ी सब कुछ उसको विरासत में मिला था, एम. बी. किया विशाल होनहार थावह खेती के काम में भी पिता का  हाथ बटाता रहता, ज़ब भी अपनी नौकरी से गांव आता, तुरंत खेत मै पहुंच जाता नौकरों के साथ भी उसका सही व्यवहार था !
जब से विशाल की जॉब गई विशाल बुझा बुझा सा रहने लगा था गांव में अपने दोस्तों के साथ घूमता फिरता अंधेरा होने तक वह घर आता!एक दिन पड़ोस के ही एक लडके की शादी थी , विशाल सारी रात घर नही आया, पिताजी को  चिंता हुई उन्होंने राजू को पड़ोस में भेजा  कि विशाल को  बुला ला!! राजू  विशाल की स्थिति देखकर दंग रह गया! उसने इससे पहले विशाल को ऐसी हालत में नहीं देखा था! किसी तरह विशाल को उठाकर घर लाया गया विशाल नशे की हालत में बुरी तरह जा चुका था! उसकी यह हालत देखकर मैं भी चौक गई इससे पहले मैंने विशाल को कभी शराब के नशे में नहीं देखा था!!
बच्चे अपने पापा की ऐसी हालत देखकर बहुत रोने लगे,उन्हें नहीं पता था कि क्या हो गया  गुड्डू अपने पापा की यह दशा देखकर सहम गया!विशाल के पास बैठ कर बोला पापा उठ जाओआज आप मेरे लिए कुछ नही लाये!!
गुड्डू के  बोलने के बाद मेरे भी मानो  होश से उड़ गए, आखिर क्या था यह सब!!
अगले दिन जब विशाल को होश आया तो हम सब ने विशाल से पूछा कि क़ल  जो तुमने किया वह सब क्या था…! विशाल के पापा की गांव समाज में इज्जत थी वह पीना तो दूर की बात पीने वालों के पास भी नहीं बैठे थे | अपनी खेती बाड़ी में काम करने वाले और मजदूरों के साथ  मृदु व्यवहार के साथ काम करते थे!आज यह सब देख वह बैठ से गए, उनके मुँह से  बोल नही फूटे! इकलौते लड़के की यह दशा देखकर वह समझ गए कि यह गलत संगत में जा चुका है!!
अब विशाल का यह हफ्ते में तीसरे दिन का काम होने लगा वह कब पी कर जाता किसी को कुछ नहीं पता था उसको अगर कोई कुछ भी बोलना तो वह मारनेपीटने को  आतुर हो जाता |
विशाल का यह काम अब रोज का होने लगा था मुझे पहले तो लगा कि यह महीने में एक या दो बार ही पीता है |अब वह रोज पीकर घर जाता और कोई उसे कुछ बोलता तो मारपीट करने पर उतारू हो जाता! दिन तो  काम काज में कैसे कट जाता, परंतु रात काटना बहुत मुश्किल हो रही थी विशाल का रोज का नया तमाशा, कुछ ना कुछ नई बात खड़ी कर देता!!
घर में आए दिन क्लेश होने लगा जिसका प्रभाव बच्चों के बाल मन पर भी पड़ने लगा  वह स्कूल जाते  समय रास्ते में कोई भी उनको चिढ़ाने कि फिराक से बोल देता कि तेरा बाप फला जगह नाली में पड़ा है यह सब सुनकर बच्चे कुछ समझ नहीं पाते थे इनकी उम्र अभी समझाने की थी भी नहीं| नौ, दस साल की उम्र का बच्चा क्या समझेगा?
  कोई हमें क्यों बोलता है दादा दादी के साथ तो कोई मोहल्ले का कुछ भी नहीं बोलता था लेकिन जब भी बच्चे  अकेले बाहर अलग खेलते तो कोई ना कोई मोहल्ले का उनको चिढ़ाने जाता |
धीरेधीरे पड़ोसियों ने आना छोड़ दिया क्या सुख में क्या दुख में?
कोई भी हमें यह नहीं पूछता कि तुम कौन हो?कारण विशाल की शराब, और उसका झगड़ालू स्वभाव!!
एक दिन विशाल का किसी मोहल्ले वाले के साथ झगड़ा हो गया उसने भी शराब पी हुई थी और विशाल ने भी…!
दोनों का एक साथ बैठकर पी रहे थे ना जाने किस बात पर बहस  हुई और मारपीट हो गई 
हाथा पाई में एक दूसरे के खून तक निकल  गया…!
जब पिताजी को यह सब बात पता चली उन्होंने दोनों को बुलाकर पूछा किआखिर क्या हुआ?
मोहल्ले में पिताजी की बहुत इज्जत थी इसी वजह से तो दूसरा शराबी का पिता कुछ बोल नहीं पाया और उसने अपने ही बेटे को दो चार लगा दिए यह सब देखकर पिताजी ने विशाल को भी दोचार डंडे मारे!
पिताजी ने यहां  तक  बोल दिया, कल मरता आज मर जाए मुझे इसकी जरूरत नहीं है इसने मेरा नाम मिट्टी में मिला दिया!
अब तो सुबह भी डर से होती है और शाम भी डर के साये में होने लगी!
विशाखा ने अपने पिताजी को कहा कि पापा यह पहले तो शराबी नहीं था अब तो यह सुबह शाम पीने लगा है,और बहुत ज्यादा तमाशा करता है मैं क्या करूं…!!
उसकी सौतेली मां ने जवाब दियाकि तेरा नसीब, हम क्या कर सकते हैं हमने तो शादी के समय में लड़के का घरपरिवार और इसकी पढ़ाई देखकर विवाह किया था |आज यह शराबी बन गया तो हम इसमें क्या कर सकते हैं तेरा नसीब है वही रहना!यहां मत आना..!
 क्या उसके लिए दो दिन भी सुकून के ऐसे नहीं थे कि जो वह अपने पिताजी के पास जा सके !!
 क्या होता है नसीब?
शादी के वक़्त तो किसी ने नही जाना उसके नसीब को? उस से बिना पूछे ही शादी तय कर दी गई थी जिसका  खामयाजा आज तक भुगत रही है ..!!
यह सब सोचते सोचते हैं   काम में लग गई  
गुड्डू स्कुल से आकर  बोला मम्मी आज पापा ठीक है क्या?
मैंने पूछा क्यों क्या हुआ
गुड्डू स्कूल टीचर ने मम्मी फीस मांगी है!
विशाल ही फीस भरने का काम करता था,बच्चों कीदो महीने की फीस के पैसे को भी वह शराब में उड़ा दिया
आखिर ऐसा तो नहीं था विशाल क्या हो गया इसको!!
किसी ने कहा कि इसको कुछ करवा दिया गया है, किसी ने कहा किसको मानसिक तनाव है जितने मुंह उतनी बात पता नहीं!! लेकिन उसकी जिंदगी में   खुशी लिखी थी भी या नही!
  बचपन से अपनी माँ को नहीं देखा….!!सौतेली  माँ ने कभी प्यार दिया नही!! जिंदगी हमेशा अपने और अपनों के प्यार को तड़पती रही!!
  बड़ी हुई तो शादी कर दी गई वह भी उसअनजान शख्स के साथ जिसको में नहीं जानती थी और आज बोल दिया गया कि तेरा नसीब है तुझे इसी के साथ रहना है|
  हमारे तोहार त्यौहार नहीं रहे थे, यहां तक की बच्चों का जन्मदिन भी हम अच्छे से नहीं मना  सकते थे घर में कब झगड़ा  हो जायेगा यही डर रहता था |उसके सिवा कुछ भी नहीं था अब तो आंख के आंसू भी सुख गए थे आखिर कितना रोये जबकि हमें पता था रोने से कुछ होगा भी नहीं..!!
  विशाल का मन कभी कभी बदल भी जाता था,अब विशाल पहले से थोड़ा कम पीने लगा लेकिन जब वह बहुत ज्यादा पीता था तो उसने बहुत सामान बेच दिया था! मंदिर जैसा  घर  को तमाशा बना गया था |
             करवा चौथ का दिन आया मेरी साल को बोली कि आज मत पीना आज करवा चौथ का दिन है मेरा व्रत है विशाल मुस्कुरा के बोला मैं नहीं पियूंगा,और उस दिन उसने पी भी नहीं पता नहीं क्यों मेरे मन में एक उम्मीद सी जागी की विशाल धीरेधीरे शराब छोड़ देगा!!
 
मेरे सास ससुर में कोई कमी नहीं थी दोनों देवता समान थे खैर पिछली बातों को छोड़कर  वह जिंदगी  में आगे बढ़ गई…!!
एक दिन विशाल की तबीयत अचानक बिगड़ गई रात को ही उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां पता चला इसकी सांस की नली पर सूजन है फैटी लिवर है अन्य कहीं  बीमारियों ने  इसे घेर लिया है 
यह सब सुनकर पिताजी बैठ गए! डॉक्टर ने कह दिया कि अगर इसने शराब नहीं छोड़ी तो इसकी मृत्यु निश्चित है!!
हम सब ने विशाल को समझाया रिश्तेदार भी उसे देखने आए तो सभी यही बोलकर जाते हैं कि बेटा शराब मत पी 
पीना तो विशाल ने छोड़ा नहीं लेकिन कम कर दिया|
धीरेधीरे बिल्कुल ही काम कर दिया,अब वह पहले से ठीक अवस्था में था लेकिन एक दिन रात को उसको खून की उल्टी हुई वह बहुत जोर से चिल्लाने लगा,उसको रात को ही मोहल्ले के दो चार लड़के एक  कार में लेकर पास वाले अस्पताल में गए जहां उसे…..मृतघोषित कर दिया!!
डॉक्टर ने बताया कि इसका लिवर फैट चुका है जिस कारण इसकी मृत्यु हो गई!!
ज़ब उस लेकर वापस आए  तब तक सुबह हो गयी थी पूरा मोहल्ला हमारे घर में गया चारों तरफ रोने की आवाज लोगों की बात करने की आवाज मेरे कानों में गूंज रहने लगी….!
  विशाल को जमीन पर लेटा दिया गया  विशाखा और उसके दोनों बेटों को उसके पास बिठाया गया कोई उसकी मांग से सिंदूर  पूछता,कोई हाथों से चूड़ियां फोड़ने लगा! कोई  बिंदी उतरने लगा!!
  उस दशा में उसको यह भी नहीं पता था कि उसके साथ क्या हो रहा है!!
आखिर कौन सा रीति रिवाजक्या हो रहा था उसके साथ?
  किसी ने कभी भी उसकी बात नही  सुनी थी शादी के वक्तभी ? कैसे रहेगी कैसे नही!!
 फिर आज क्यों लोगों को  इतनी चिंता होने लगे कि ये कैसे  जियेगी!!
  कोई कहता अभी तो इसकी उम्र ही क्या है इसकी दूसरी शादी करवा दो कोई कुछ बोल रहा हूं कोई कुछ!! 
   सौतेली मां पिताजी के साथ आई हुई थी तभी खड़े होकर बड़े साहस के साथ  विशाखा ने अपनी मां से पूछा क्या यही था मेरा नसीब?
  यह तुम्हारा बनाया हुआ था सब कुछ…!!विशाल तुम्हारी रिश्तेदारी का था,क्या तुम्हें नहीं पता था कि कैसा लड़का है अब मुझे सब पूछ रहे हैं कि मैं कैसे जिऊंगी क्या मैं दूसरी शादी करूंगी?
  मैं सभी को कहना  चाहूंगी कि मैं दूसरी शादी नहीं करूंगी अपने दोनों बच्चों के साथ अपने सास ससुर के साथ हमेशा रहूंगी मैं किस हाल में कैसे रहूंगी!!
यह मेरा अपना मन है किसी को मेरे सुहाग के जोड़े को हाथ लगाने की जरूरत नहीं है समाज क्या कहता है क्या नहीं यह मुझे मान्य नहीं है तब कहां था समाज जब मेरी शादी हुई और किसी ने मुझसे पूछा भी नहीं की विशाखा तुझे शादी करनी है नहीं करनी है |
सिर्फ रीति रिवाज दिखावा सब कुछ मेरे ऊपर उड़ेल दिया मैं उसे अंधे बहरों की तरह निभाती रहूं… ¡¡
नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं होगा! मैं अपनी पढ़ाई पूरी करूंगी!
यहां से शुरू होती है विशाखा की नई जिंदगी….! जिसमे तङप तो बहुत है, अकेलेपन और जिम्मेदारी को निभाती हुई वह आगे बढ़ने लगी!!पीएचडी  की पढ़ाई पूरी की  जिसमें उसका साथ उसके साथ ससुर ने दिया!!
विशाखा संघर्ष करती गई जिसका परिणाम भी सुखद मिला! आज विशाखा इंटर कॉलेज में हिंदी की प्रवक्ता के रूप में कार्यरत है अपने दोनों बेटों को अच्छी शिक्षा दे रही है! सास ससुर के साथ  जीवन  जीने कि कोशिश कर रही है!! विशाल की तस्वीर को देखकर एक दिन विशाखा रोने लगी काश….तुम भी मेरी जिंदगी का आज हिस्सा होते हैं तो मेरी कामयाबी को देखकर बहुत खुश होते हैं!!
एक शराब की लत ने पूरी जिंदगी खराब कर दी….आखिर किसने किया था यह सब कुछ विशाल तो शराबी नहीं था!!
इसका पता भी बाद में चल गया पड़ोसी उनके परिवार को देखकर बड़े परेशान रहते थे!!
विशाल बहुत ही अच्छे स्वभाव का था तो उसे उन्होंने अपनी संगत में जोड़ लिया था जिसका परिणाम यह निकला की विशाल की जिंदगी ही खत्म हो गई!!
साथसाथ हम सभी कहीं ना कहीं टूट कर जुड़े हैं बच्चों के सर से पिता का साया छिन गया..!विशाखा का जीवन साथी चला गया…..! बूढ़े मातापिता का इकलौता सहारा चला गया…!!
इसलिए बस आखिर में यही कहना चाहूंगी की संगत बहुत मायने रखती है जिंदगी को बनाने में जिंदगी बीत जाती है…!!  और  तमाशा  बनने में देर नही लगती!!

डॉ मोनिका देवी 
संपर्क – [email protected]
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4 टिप्पणी

  1. डॉ मोनिका देवी की कहानी ‘तड़पती जिंदगी ‘ झकझोरती है। एक ज़हीन लड़की का जीवन ऐसे भी बरबाद हो सकता है यह इस कहानी में देखने को मिल रहा है। ऐसी घटनाएं अब आम हो चुकी है। शराब के लती को प्रतिदिन पैसे चाहिए ही होते हैं। घर के बर्तन बिक जाएं उसकी बला से। कहानी का विषय वास्तविक है। एक दो पैराग्राफ में कहानी गड़बडा़नी है पर बाद में संभाल ली गई है। जब से विशाल की जाब गई है ———-++- इस पैराग्राफ को संभाला जा सकता था। अंत जल्दबाजी का शिकार हो गया है। अंतिम पैराग्राफ सहजता की मांग कर रहा था पर जल्दी हो गया। कहानी समाज के लिए प्रेरणादाई है। इस कहानी के लिए लेखिका को बधाई।

    • लेखन तभी सफल माना जाता है ज़ब रचना को पढ़कर कोई टिप्पणी आती है | मेरे लिए इस पत्रिका में छपना ही बड़ी बात है पत्रिका कि समस्त टीम व सम्पादक मंडल कि आभारी हु | लेखक बड़ा छोटा नहीं होता है, वह बस लेखक होता है सर बस वक़्त के साथ साथ लेखन निखरता रहता है! आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए सोने प्र सुहागा है, अगली रचना जल्द बाज़ी से हट कर धैर्य के साथ लिखी जाएगी!!
      धन्यवाद सर

  2. मैं आपकी इस टिप्पणी पर यही कहूंगा कि आप साहित्य की सच्ची साधिका है। कहानी पर की गई टिप्पणी को स्वीकार करना या न करना अलग विषय है पर टिप्पणी को सम्मान देना बड़े साहित्यकार की निशानी है।

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