Thursday, September 19, 2024
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गुडविन मसीह की छोटी कहानी – गूंगी बहू

हिंदी की प्रोफ़ेसर धीरा को न सिर्फ हिन्दी से लगाव था, बल्कि वह हिंदी से प्रेम भी बहुत करती थीं। वह चाहती थीं कि भारत में ही नहीं, सारी दुनिया में हिंदी बोली जाए। हर इंसान हिंदी से प्रेम करे और हिंदी को अपनाए।
हिंदी की प्रतिष्ठा और मान सम्मान बढ़ाने के लिए, आये दिन उनके घर में हिंदी प्रेमियों और लेखक-लेखिकाओं का जमावड़ा लगता था। आए दिन उनके घर में काव्य गोष्ठियां और हिंदी कहानी पर चर्चा होती थी।
इसीलिए प्रोफ़ेसर धीरा काफी चर्चा में रहती थीं। लेकिन इन दिनों वह अपने हिंदी प्रेम के लिए चर्चा में नहीं थीं। बल्कि इन दिनों इसलिये चर्चा में थीं, क्योंकि उनका इकलौता बेटा देव अमेरिका पढ़ाई करने गया था और वहां से शादी करके एक अमेरिकन बहू ले आया था। जिसका नाम इलीना था। इलीना को लेकर प्रोफ़ेसर धीरा के घर में कुछ दिनों तक तो हाय तौबा मची। बेटे और बहू को सबने उल्टा सीधा बोला। दोनों को खूब ताने मारे गए।नाक-भौं सिकोड़ीं गई, फिर बाद में सब हालात से समझौता करके शांत हो गए।
धीरा से जो भी बहू के बारे में बात करता, धीरा एक ही बात कहकर मन हल्का कर लेती, कि उसके तो भाग्य ही फूट गए, कितने अरमानों से बेटे को पाला पोषा और पढ़ाया लिखाया, लेकिन सब बेकार चला गया।  कितने सपने देखे थे बेटे की शादी के लिए , लेकिन सब टूटकर चकनाचूर हो गए।
बेटा किसी इंडियन लड़की से शादी करता तो कम से कम उसकी बोली भाषा तो हमारी समझ में आती। इसकी तो भाषा ही हमारी समझ में नहीं आती है। बस देव के साथ ही गिटपिट करती रहती है। हमारे लिए तो यह बोलते हुए भी गूंगी ही है।
बात आई गई हो गई। एक दिन शाम को धीरा के घर में काव्य गोष्ठी चल रही थी। शहर के सभी प्रतिष्ठित कवि कवि व कवयित्री आए हुए थे। सभी भाव रस में डूब कर अपनी अपनी कविता पढ़ रहे थे ।
तभी अचानक धीरा की अमेरिकन बहू इलीना ड्राइंग रूम में आयी और सबको हाथ जोड़कर बड़े ही शिष्टाचार से नमस्ते करते हुए बोली, “आप सभी की इज़ाज़त हो तो मैं भी अपनी एक छोटी सी कविता आप लोगों के सामने पढ़ना चाहती हूँ।”
इलीना जिस अंदाज़ में ड्रॉइंग रूम में आई और जिस सलीके से, और जिस लहजे में उसने हिंदी बोली, उसे सुनकर सब चौंक पड़े। स्वयं धीरा को भी यकीन नहीं हो रहा था कि अब तक जिस इलीना ने एक शब्द भी हिंदी का नहीं बोला, वह आज इतनी स्पष्ट हिंदी कैसे बोल रही है?
इससे ज्यादा चौंकाने वाली बात तो यह थी कि इलीना ने जो कविता सबके पढ़ी, उसे सुनकर सब के सब भौचक्के रह गए। इतनी सुंदर और भावपूर्ण कविता सुनकर, किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था की एक गैर हिंदी भाषी लड़की इतनी अच्छी कविता कैसे लिख सकती है।
सबके मनोभाव और भाव भंगिमाओं को देख, सुन और समझकर इलीना ठहाका मारकर हंसी और हंसते हुए बोली, मम्मी जी, आप सभी को आश्चर्य हो रहा होगा कि मैं अमेरिकन होते हुए भी इतनी अच्छी और साफ सुथरी हिंदी कैसे बोल, लिख और पढ़ लेती हूँ।
धीरा कुछ न बोलकर बस आँखे फाड़कर उसे देख रही थी। जैसे उसने कोई बड़ा अजूबा देख लिया हो। इलीना फिर मुस्कुराई और वहां बैठे सब लोगों से बोली, “मैं अमेरिका में पैदा होकर वहां पली-बड़ी जरूर हूँ, लेकिन मैं हिंदी से उतना ही प्रेम करती हूं, जितना प्रेम मैं अपनी मम्मी से करती हूं।
रही बात धाराप्रवाह हिंदी बोलने, लिखने और पढ़ने की तो उसका श्रेय मेरी मम्मी को जाता है। आप लोगों को को यह बताते हुए मुझे गर्व हो रहा है कि मेरी मम्मी इंडियन होने के साथ-साथ हिंदी की एक अच्छी और चर्चित लेखिका भी हैं। और जब इलीना ने सबको अपनी मम्मी का नाम बताया तो सब लोग और अधिक चौंक कर बोले, ओह तो तुम अंकिता काले की बेटी हो ?
“हाँ, मम्मी ने ही मुझे हिंदी बोलना, पढ़ना और लिखना और लिखना सिखाया है। और मुझे भी हिंदी से इतना लगाव हो गया। न सिर्फ लगाव हुआ बल्कि भारत से भी प्यार हो गया। मैं भारत आना चाहती थी, मैं पूरा भारत घूमना चाहती थी।
धीरे धीरे मैं भी मम्मी की तरह हिंदी में कविताएं लिखने लगी। और पत्र पत्रिकाओं में छपने लगी। मेरी एक कविता पढ़कर ही देव को मुझसे दोस्ती की थी। मैंने देव को अपने मम्मी पापा से मिलवाया। मम्मी पापा को भी देव अच्छा लगा। फिर धीरे धीरे हमारी दोस्ती प्यार प्यार में बदल गई और हमने शादी करने का मन बना लिया।
देव की पढ़ाई पूरी होते ही देव वापस इंडिया आने की तैयारी करने लगा। देव ने मेरे मम्मी पापा से कहा, कि वह मुझसे शादी करके मुझे अपने साथ इंडिया ले जाना चाहता है। देव अच्छा लड़का है इसलिए मम्मी पापा ने भी देव के प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार कर, देव से मेरी शादी करवा दी, और मैं देव के साथ इंडिया आ गई।”
“लेकिन तुमने यह बात अभी तक मुझसे क्यों छिपाई की तुम हिंदी की चर्चित लेखिका अंकिता काले की बेटी हो और तुम्हें भी हिंदी आती है ?” धीरा ने पूछा।
इलीना फिर जोर से हंसी और हंसते हुए बोली, “यह सरप्राइज देव का था । देव ने ही मुझसे यहां आते वक्त कहा था कि मेरी मम्मी हिंदी की प्रोफ़ेसर हैं और अक्सर हमारे घर में काव्य गोष्ठी और हिंदी कहानियों पर चर्चा होती है। बहुत सारे लेखक और लेखिकाएं हमारे घर में आते हैं। इसलिये जब तक घर में मम्मी की कोई काव्य गोष्ठी न हो, तब तक तुम घर में किसी को यह पता मत लगने देना कि तुम हिंदी जानती हो और हिंदी में कविता भी लिखती हो। बस इसीलिए मैंने अभी तक किसी को यह पता नहीं चलने दिया था कि मुझे हिंदी आती है और बहुत अच्छी हिंदी आती है।
वैसे भी भाषा कोई भी हो, उसको बोलने का लहजा अच्छा हो, उसमें मिठास और अपनापन हो, उसमें संस्कार, सहजता, शालीनता, समानता, मानवता और संवेदनशीलता हो, तो उस भाषा से हर किसी को लगाव हो जाता है। हर कोई उस भाषा से प्यार करने लगता है, उसका आदर सम्मान करने लगता है। और यह खासियत हिंदी भाषा की है। इसमें अपनापन है, शीरे सी मिठास है। इसीलिए इस भाषा को भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया में मान सम्मान दिया जाता है। इसीलिए हिंदी को समृद्ध भाषा कहा जाता है ।”
धीरा मैम, आप तो कहतीं थीं कि आपकी बहू गूंगी है, क्योंकि इसे हिंदी बोलनी नहीं आती है।  लेकिन यह तो हिंदी की बॉस निकली। इसकी तो रग रग में हिंदी बसी हुई है।” वहां बैठे हुए सभी कवि और कवयित्रियों ने इलीना की प्रशंसा करते हुए कहा।
इलीना की सच्चाई जानकर और वहां बैठे सभी लोगों के मुंह से अपनी अमेरिकन बहू की प्रशंसा सुनकर प्रोफ़ेसर धीरा गर्व से फूली नहीं समा रही थी।
गुडविन मसीह
चर्च के सामने,
वीर भट्टी, सुभाष नगर, बरेली 243001 (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल: 6398322391
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1 टिप्पणी

  1. बड़ी प्यारी कहानी है गुडविन जी। अंत अनपेक्षित रहा। लेकिन इतने दिनों तक खामोश रहना भारी पड़ा होगा इलीना को।माँ की पीड़ा अलग रही।
    पर अंत भला तो सब भला।
    यह कहानी साहित्यिक गोष्ठी के लिए ही नहीं अपितु हिंदी दिवस के लिए भी उपहार की तरह रही।
    गूंगी बहू जब बोली तो कमाल बोली! सार्थक शीर्षक। बहुत-बहुत बधाइयाँ आपको इस कहानी के लिये।

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