Wednesday, October 23, 2024
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रामा तक्षक द्वारा अनूदित Edward van Vendel & Martijn van der Linden की कविता

शीर्षक : जब माँ की आंखों से आंसू टपकें तो तुम क्या करो ?
(Edward van Vendel & Martijn van der Linden की मूल डच कविता का शीर्षक wat moet je doen als je moeder huilt (जब माँ की आंखों से आंसू टपकें तो तुम क्या करो?)
तुम माँ के पास बैठ जाओ।
माँ की बाहों को,
कंधे से उंगली तक,
अपनी छोटी बाँहों और उंगली से ढक दो।
उसे बोलने दो,
तुम्हारे पिता के बारे में,
उसके अपने मित्रों,
उसकी अपनी बहनों, भाइयों के बारे में।
उसे बोलने दो।
उसे रोने दो।
उसके गालों से ढ़लते, आँसुओं को मत पोंछो।
यह भी मत कहो कि “माँ चुप हो जाओ।”
तुम्हें सब समझ आए, यह जरूरी नहीं।
कोई प्रश्न भी ना करो।
तुम माँ से छू जाओ,
केवल तुम अपनी देह को
अपनी माँ की देह से
सटाकर, एक हो, खड़े हो जाओ।
तुम्हें एहसास होगा कुछ क्षण में,
है हो रहा कुछ घटित।
सूरज की किरण का ताप अगले पल,
लगेगा लिपटने।
अपनी माँ का हाथ पकड़,
माँ की देह से सटकर, एक हो जाओ।
अनपेक्षित वहन क्षमता की करवट,
तुम्हारे हाथ की,
माँ के हाथ पर पकड़,
ध्यान की खींच बन जाएगी।
सूरज की किरणों का साथ,
माँ की सुबकियों में,
लोकगीत ले उभरेगा।

रामा तक्षक
Watertuin 24,
3648GC, Wilnis,
The Netherlands
Mobile: +316 1542 1594
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